(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण सम्मेलन एवं कार्यक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
2-4 सितंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित सेमिकॉन इंडिया- 2025 सम्मेलन ने भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग को वैश्विक पटल पर नए स्तर पर पहुँचाया है।
सेमिकॉन 2025 के बारे में
- सेमिकॉन इंडिया एक वार्षिक सम्मेलन है जिसमें वैश्विक और भारतीय कंपनियाँ, स्टार्ट-अप्स, शोधकर्ता व नीति-निर्माता शामिल होते हैं।
- इसका उद्देश्य भारत को ‘सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग हब’ बनाना है।
- वर्ष 2025 के संस्करण में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, निवेश, तकनीकी सहयोग एवं सरकारी नीतियों पर चर्चा हुई।
- इसमें दुनिया की अग्रणी कंपनियों, निवेशकों व नवाचारकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

उद्देश्य
- भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में मज़बूत स्थान दिलाना
- घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देकर आयात निर्भरता कम करना
- उच्च प्रौद्योगिकी आधारित डिजिटल इकोनॉमी और एआई को गति देना
- विदेशी निवेश आकर्षित करना और स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहन देना
- ‘डिज़ाइन इन इंडिया, मेक इन इंडिया, ट्रस्टेड बाय दि वर्ल्ड’ के विज़न को साकार करना
भारत का सेमीकंडक्टर मिशन (ISM)
- यह मिशन वर्ष 2021 में शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य भारत को सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है।
- इसके अंतर्गत लगभग ₹76,000 करोड़ का प्रोत्साहन पैकेज दिया गया।
- इसके तहत फैब यूनिट्स, ATMP (Assembly, Testing, Marking, Packaging) और डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
- वर्ष 2025 तक 10 प्रमुख प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी जा चुकी है।
- वैश्विक कंपनियों, जैसे- माइक्रोन, फॉक्सकॉन एवं वेदांता के साथ साझेदारी हुई है।
वैश्विक सेमीकंडक्टर बाज़ार में भारत की भूमिका
- वैश्विक बाज़ार का आकार $1 ट्रिलियन होने की संभावना
- भारत को इसमें महत्वपूर्ण हिस्सेदारी हासिल करने का लक्ष्य
- भारत की युवा आबादी, बड़ा उपभोक्ता बाज़ार और डिजिटलाइजेशन इसे निवेशकों के लिए आकर्षक बनाते हैं।
- मोबाइल, लैपटॉप, डेटा सेंटर्स, इलेक्ट्रिक वाहन और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में बढ़ती मांग
- भारत का लक्ष्य ‘डिज़ाइन, मैन्युफैक्चरिंग एवं पैकेजिंग’ के तीनों स्तरों पर आत्मनिर्भर बनना
चुनौतियाँ
- उच्च पूंजीगत लागत : एक सेमीकंडक्टर फैब बनाने में अरबों डॉलर का व्यय
- तकनीकी विशेषज्ञता की कमी : प्रशिक्षित इंजीनियर और रिसर्च क्षमता का अभाव
- सप्लाई चेन निर्भरता : अभी भी कई महत्वपूर्ण कच्चे माल (जैसे- रसायन, सिलिकॉन वेफ़र) आयात पर निर्भर
- कड़ी वैश्विक प्रतिस्पर्धा : ताइवान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका एवं चीन पहले से ही मजबूत स्थिति में
- तेजी से बदलती तकनीक : हर 2-3 साल में नई चिप आर्किटेक्चर और नैनो टेक्नोलॉजी
आगे की राह
- कुशल मानव संसाधन का विकास : IITs, IIITs और विशेष प्रशिक्षण केंद्रों में चिप डिजाइन व फैब्रिकेशन पर पाठ्यक्रम
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : अमेरिका, जापान, ताइवान और यूरोपीय देशों से साझेदारी
- अनुसंधान एवं विकास (R&D) निवेश बढ़ाना।
- गति और पारदर्शिता : परियोजनाओं की स्वीकृति और क्रियान्वयन में देरी न हो
- लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना : ऊर्जा, पानी और परिवहन की स्थायी आपूर्ति सुनिश्चित करना
- निर्यात पर जोर: सिर्फ आयातक नहीं, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का अहम निर्यातक बनना
निष्कर्ष
सेमिकॉन इंडिया 2025 ने यह स्पष्ट किया कि भारत केवल उपभोक्ता बाज़ार नहीं रहेगा बल्कि सेमीकंडक्टर उत्पादन और डिजाइन में भी अग्रणी भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री मोदी की दृष्टि और भारत सेमीकंडक्टर मिशन के सहयोग से भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में उभरेगा।