| (प्रारंभिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) |
संदर्भ
भारत के वायुसेना ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनके दल के सदस्य 25 जून 2025 को स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान से Axiom-4 मिशन पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर गए थे। ऐसे अभियानों में अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष प्रेशराइज्ड सूट पहनना अनिवार्य होता है, जो उन्हें अंतरिक्ष के शून्य वातावरण से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

अंतरिक्ष और वायुमंडलीय दाब का महत्व
- पृथ्वी का वायुमंडल गैसों की एक मोटी परत है जो गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी के चारों ओर बनी हुई है। यह वायुमंडल हमें
- हानिकारक सौर विकिरण से बचाता है।
- तापमान को संतुलित रखता है।
- सांस लेने योग्य गैसें उपलब्ध कराता है।
- हमारे शरीर पर लगभग 20 टन वायुमंडलीय दाब कार्य करता है, किंतु शरीर के भीतर समान बल के कारण हमें इसका एहसास नहीं होता। जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती है, वायुमंडलीय दाब घटता जाता है, और अंतरिक्ष में यह शून्य (Vacuum) होता है।
- यदि मानव शरीर को अचानक शून्य वातावरण में उजागर कर दिया जाए, तो निम्न घातक प्रभाव तुरंत उत्पन्न होते हैं:
- Ebullism : शरीर के द्रवों का निम्न दाब पर उबलना
- Hypoxia : ऑक्सीजन की कमी से बेहोशी
- Decompression : आंतरिक गैसों का तीव्र प्रसार जिससे मृत्यु कुछ ही मिनटों में हो सकती है।
अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा
1. एक्स्ट्रा-व्हीक्युलर एक्टिविटी (EVA) सूट
- यह सूट अंतरिक्षयान के बाहर कार्य (spacewalk) करने के लिए होता है।
- इसमें 12-14 परतें होती हैं, जो तापमान, विकिरण और सूक्ष्म उल्कापिंडों से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- वजन लगभग 100-130 किग्रा. तक होता है।
- यह सूट स्वयं एक “व्यक्तिगत अंतरिक्ष यान” की तरह कार्य करता है।
2. इंट्रा-व्हीक्युलर एक्टिविटी (IVA) सूट
- यह सूट अंतरिक्षयान के अंदर पहना जाता है।
- इसमें दो प्रकार के वस्त्र शामिल होते हैं:
- फ्लाइट सूट : अग्निरोधक कपड़ा, जो तापमान और निम्न दाब से रक्षा करता है।
- प्रेशर सूट : कम दाब वाले वातावरण में शरीर पर आवश्यक दाब बनाए रखता है।
IVA सूट की विशेषताएँ
- वजन लगभग 8-10 किलोग्राम
- पूर्ण शरीर पर दाब
- ऑक्सीजन की आपूर्ति और संचार प्रणाली
- आपात स्थिति में शरीर के लिए लगभग 40% वायुमंडलीय दाब बनाए रखना
IVA सूट की अनिवार्यता
- वर्ष 1971 में Soyuz-11 मिशन के दौरान तीन रूसी कॉस्मोनॉट्स की मृत्यु हुई थी, जब 168 किमी ऊँचाई पर केबिन का दाब अचानक कम हो गया।
- इस हादसे के बाद आरोहण (Ascent) और अवरोहण (Descent) के समय IVA सूट पहनना अनिवार्य कर दिया गया। इन चरणों में उच्च G-Force, तीव्र कंपन, अत्यधिक तापमान और संभावित केबिन डिकंप्रेशन जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- वर्ष 2018 में Soyuz MS-10 मिशन के दौरान रॉकेट की विफलता के बाद भी Sokol KV-2 सूट पहने अंतरिक्ष यात्रियों की जान बच गई थी।
गगनयान मिशन और Sokol KV-2 सूट
भारत के पहले मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान में भारतीय अंतरिक्ष यात्री “गगनयानत्री” रूसी Sokol KV-2 सूट का प्रयोग करेंगे।
सूट की विशेषताएँ
- दो परतें:
- अंदरूनी रबरयुक्त पॉलीकैप्रोलैक्टम ब्लैडर
- बाहरी नायलॉन कैनवास परत (सुरक्षा और मजबूती के लिए)
- 128 से अधिक सोयुज मिशनों में इसका उपयोग हुआ है।
- हल्के रंग के साथ प्रतिबिंबित तत्व, ताकि लैंडिंग के बाद यात्रियों को खोजा जा सके।
- गगनयानत्रियों ने पैराबोलिक फ्लाइट के माध्यम से भारहीनता में इस सूट को पहनने-उतारने (Donning/Doffing) का प्रशिक्षण लिया है।
संविधानिक एवं विधिक पक्ष
- अनुच्छेद 51 : भारत अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। अंतरिक्ष अन्वेषण और सुरक्षा इसी भावना का हिस्सा है।
- अनुच्छेद 51A (g) : प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करे; अंतरिक्ष अन्वेषण में सुरक्षा और नैतिक प्रयोग इसी संवैधानिक जिम्मेदारी का विस्तार है।
- अंतरराष्ट्रीय कानून (1967) : भारत इस संधि का हस्ताक्षरकर्ता है, जो अंतरिक्ष में मानव सुरक्षा और शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देती है। इस संधि के तहत हर राष्ट्र अपने अंतरिक्ष कर्मियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है।
निष्कर्ष
अंतरिक्ष में मानव जीवन का अस्तित्व पूरी तरह वैज्ञानिक तकनीक और सुरक्षा उपायों पर निर्भर है। प्रेशराइज्ड सूट केवल एक परिधान नहीं, बल्कि “जीवन रक्षक अंतरिक्ष यान” है, जो अंतरिक्ष यात्रियों को मृत्यु से बचाता है। भारत का गगनयान मिशन इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है, जहाँ विदेशी विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए देश स्वदेशी मानव अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की ओर अग्रसर है।