(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन एवं कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने देश भर में एयर कंडीशनर (Air Conditioner) की परिचालन तापमान सीमा को मानकीकृत करने के लिए दिशा-निर्देश प्रस्तावित किए हैं।
प्रस्तावित दिशा-निर्देश के बारे में
- इस प्रस्ताव के अनुसार, कोई भी ए.सी. अब 20 °C से कम या 28 °C से अधिक तापमान पर काम नहीं करेगा, अर्थात उपयोगकर्ता 20 °C से नीचे या 28 °C से ऊपर का तापमान सेट नहीं कर सकेंगे।
- प्रस्तावित दिशा-निर्देश ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा प्रस्तुत वर्ष 2018 की योजना पर आधारित है। यह दिशा-निर्देश फिलहाल विस्तृत रूप में सामने नहीं आया है।
- यह मुख्यत: नए एयर कंडीशनर पर लागू होगा, जबकि केंद्रीकृत ए.सी. सिस्टम का प्रयोग करने वाले बड़े वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (जैसे- मॉल या ऑफिस) इस दायरे से बाहर हो सकते हैं।
प्रस्तावित दिशा-निर्देश का कारण
- ऊर्जा की बचत : अत्यधिक निम्न तापमान पर ए.सी. चलाने से बिजली की खपत तेजी से बढ़ती है। 24°C–28°C के बीच तापमान बनाए रखने से ऊर्जा उपभोग में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है।
- गलत धारणाओं का निवारण : कई लोग मानते हैं कि तापमान को बहुत कम सेट करने से कमरा जल्दी ठंडा होता है जबकि सच्चाई यह है कि ए.सी. की क्षमता इसके टन क्षमता पर निर्भर करती है, न कि तापमान सेटिंग पर।
- सार्वजनिक हित : यह कदम हेलमेट कानून की तरह ही सामूहिक जिम्मेदारी एवं सार्वजनिक हित की दिशा में एक पहल के रूप में देखा जा सकता है।
संभावित प्रभाव
- सीमित व्यक्तिगत असुविधा : यह नियम मुख्यत: उन लोगों को प्रभावित करेगा जो अपने कमरों को 20°C से कम तापमान पर रखना पसंद करते हैं।
- ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा : यह पहल लोगों को ए.सी. के अधिक जिम्मेदार उपयोग के लिए प्रेरित करेगी।
- पर्यावरणीय लाभ : बिजली की मांग में कमी से कोयले पर आधारित विद्युत् उत्पादन की आवश्यकता घटेगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन भी घटेगा।
- ग्रिड पर दबाव में कमी : अत्यधिक गर्मी के मौसम में ए.सी. के अधिक उपयोग से ग्रिड पर दबाव बढ़ता है जिससे ब्लैकआउट की स्थिति बनती है। यह नियम इस दबाव को कम कर सकता है।
भारत में ए.सी. लोड एवं मांग
- बी.ई.ई. का अनुमान है कि मौजूदा बाजार की प्रवृत्ति को देखते हुए एयर कंडीशनिंग के कारण भारत में कुल कनेक्टेड लोड वर्ष 2030 तक लगभग 200 गीगावाट (GW) होगा तथा इसमें और वृद्धि हो सकती है क्योंकि वर्तमान में केवल 6% घरों में एक या अधिक एयर कंडीशनर का उपयोग किया जाता है।
- भारत की कूलिंग मांग लगभग 50GW है या भारत की अधिकतम बिजली मांग का लगभग पांचवां हिस्सा है।
इसे भी जानिए!
- जापान द्वारा कार्यालयों एवं सार्वजनिक भवनों में एयर कंडीशनर के लिए 28 °C पर डिफ़ॉल्ट सेटिंग को प्रोत्साहित किया जाता है।
- इटली ने स्कूलों एवं डाकघरों जैसी सार्वजनिक इमारतों में कूलिंग के लिए न्यूनतम तापमान 25 °C तय किया है।
- अमेरिका में लोगों के घर पर होने पर एसी को 25.5 °C पर रखने का सुझाव दिया जाता है।
- स्पेन ने वर्ष 2022 में एक कानून पारित किया जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों, कार्यालयों एवं वाणिज्यिक इमारतों में कूलिंग को 27 °C से कम नहीं रखा जा सकता है।
- ऑस्ट्रेलिया थर्मोस्टेट सेटिंग्स पर कोई सीमा नहीं लगाता है किंतु राज्य के दिशानिर्देश तापमान को 22 °C से 24 °C के बीच रखने का सुझाव देते हैं।
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अन्य पहलू
- जन-जागरूकता की आवश्यकता : ए.सी. उपयोग से जुड़ी वैज्ञानिक जानकारी का आमजन में अभाव है। यह नियम जागरूकता फैलाने का एक अवसर बन सकता है।
- निर्माताओं की तैयारी : कंपनियों ने संकेत दिए हैं कि वे दो से तीन महीने में इन बदलावों को लागू करने में सक्षम हैं।
- ऊर्जा दक्षता कोड एवं निर्माण डिज़ाइन : देश में पहले से एनर्जी इफिशिएंट बिल्डिंग कोड मौजूद हैं किंतु उनका पालन का दायरा सीमित है। यदि इन्हें सही से लागू किए जाएं, तो ए.सी. की आवश्यकता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
आगे की राह
- 5-स्टार रेटेड ए.सी. की खरीद पर सब्सिडी या टैक्स में छूट दी जाए।
- पुराने कम दक्षता वाले ए.सी. के लिए एक्सचेंज प्रोग्राम चलाया जाए।
- सरकारी खरीद में केवल उच्च दक्षता वाले मॉडल की अनुमति दी जाए।
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) की स्टार रेटिंग प्रणाली को और अधिक कड़ा एवं अद्यतन किया जाना चाहिए, ताकि केवल वास्तव में कुशल उत्पाद ही उच्च रेटिंग प्राप्त करें।
- सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों से ए.सी. को चलाने की योजनाओं को प्रोत्साहन।
- शहरी योजनाओं में ग्रीन बिल्डिंग डिज़ाइन एवं वेंटिलेशन की पारंपरिक भारतीय तकनीकों को पुनर्जीवित किया जाए।
निष्कर्ष
सरकार द्वारा प्रस्तावित एयर कंडीशनर की तापमान सीमा का मानकीकरण एक सूक्ष्म लेकिन दूरदर्शी कदम है। यह ऊर्जा संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन और सार्वजनिक जागरूकता जैसे कई उद्देश्यों को एक साथ पूरा कर सकता है।