(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट एवं सूचकांक) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन) |
संदर्भ
18 सितंबर, 2025 को इथियोपिया की राजधानी अदिस अबाबा में साइंस एंड एनवायरनमेंट सेंटर (CSE) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ अफ्रीका’स एनवायरनमेंट 2025’ (State of Africa’s Environment 2025) जारी की।
स्टेट ऑफ अफ्रीका’स एनवायरनमेंट 2025 के बारे में
- यह अफ्रीका के पर्यावरणीय संकट पर आधारित रिपोर्ट है जिसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, आर्थिक हानि एवं अनुकूलन की आवश्यकता पर शोध केंद्रित है।
- यह रिपोर्ट विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की ‘स्टेट ऑफ क्लाइमेट इन अफ्रीका 2024’ पर आधारित है, जो दर्शाती है कि वर्ष 2024 अफ्रीका का सबसे गर्म वर्ष था।
- यह अफ्रीका महाद्वीप की भूमि एवं आसपास के समुद्रों की ऊष्मा, चरम मौसम व स्वास्थ्य संकट को उजागर करती है।
- रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीका वैश्विक जलवायु आपातकाल का प्रमुख केंद्र बन गया है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- तापमान वृद्धि : अफ्रीका का औसत सतह तापमान 1991-2020 के औसत से 0.86 °C अधिक रहा।
- उत्तरी अफ्रीका में यह 1.28 °C अधिक रहा। शताब्दी के अंत तक तापमान वृद्धि 3-6 °C तक हो सकती है।
- समुद्री हीट वेव्स : वर्ष 2024 में अफ्रीका के आसपास के समुद्रों में रिकॉर्ड समुद्री हीट वेव्स देखी गईं।
- जनवरी-अप्रैल में 30 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र प्रभावित रहा, जो वर्ष 1993 के रिकॉर्ड से अधिक था।
- यह समुद्री जीवन, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों और दक्षिण-पूर्वी देशों (मलावी, मोजाम्बिक, मेडागास्कर) को प्रभावित कर रहा है।
- घातक संकट : वर्ष 2021-2025 में 22.1 करोड़ लोग प्रभावित हुए तथा 28,759 मौतें हुई जो वर्ष 2016-2020 से तीन गुना अधिक है।
- बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूस्खलन एवं हीट वेव वर्ष 2011 से अब तक 41 करोड़ लोगों को प्रभावित कर चुकी हैं।
- बीमारी का बोझ : मलेरिया के मामले वर्ष 2023 में 14% बढ़े, वर्ष 2030 तक 14.7-17.1 करोड़ अतिरिक्त जोखिम।
- कॉलरा के मामलों में 125% की वृद्धि हुई।
- जलवायु परिवर्तन से ऊँचाई वाले क्षेत्रों में मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि हुई।
- खाद्य एवं जल संकट : 2 °C ग्लोबल वार्मिंग से 50% आबादी कुपोषण का शिकार हो सकती है।
- जल तनाव से वर्ष 2030 तक 70 करोड़ लोग विस्थापित हो सकते हैं। कोको उत्पादन व मत्स्य पालन प्रभावित होगा और मीठे पानी की कमी होगी।
- विस्थापन : अफ्रीका सर्वाधिक ‘जलवायु सक्रिय’ बनेगा।
- वर्ष 2021-2025 में संघर्ष एवं चरम मौसम से विस्थापन में वृद्धि हुई और नाइजीरिया में 87 लाख प्रभावित हुए।
- आर्थिक हानि : उत्तरी अफ्रीका में वर्षिक 11.8 अरब डॉलर, उप-सहारा में 12.5 अरब डॉलर की हानि हुई।
इसके निहितार्थ
- यह संकट अफ्रीका की अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य एवं सामाजिक संरचना को गहराई से प्रभावित कर रहा है।
- खाद्य असुरक्षा से कुपोषण बढ़ेगा, जो SDG लक्ष्यों को विफल करेगा।
- जल तनाव से संघर्षों में वृद्धि होगी, जैसे- पूर्वी अफ्रीका में।
- स्वास्थ्य बोझ से मलेरिया उन्मूलन लक्ष्य (2030) विफल हो सकता है और कॉलरा महामारी बढ़ सकती है।
- विस्थापन से सामाजिक अस्थिरता एवं शरणार्थी संकट गहराएगा।
- आर्थिक रूप से ‘कर्ज का बोझ’ अनुकूलन को बाधित कर रहा है जिससे अफ्रीका वैश्विक उत्सर्जन में निम्न योगदान (4%) के बावजूद असमानता झेल रहा है।
- सकारात्मक रूप से यह अफ्रीका को जलवायु नेतृत्व के लिए प्रेरित कर सकता है, जैसे- नवीकरणीय ऊर्जा और जैव-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए।
आगे की राह
- जलवायु वित्त में वृद्धि : विकसित देशों से वादा पूरा करने की मांग
- स्थानीय अनुकूलन रणनीतियाँ : सामुदायिक स्तर पर जलवायु-सहिष्णु कृषि
- नवीकरणीय ऊर्जा पर फोकस : सौर एवं पवन ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना
- क्षेत्रीय सहयोग : अफ्रीकी देशों के बीच जलवायु चेतावनी और आपदा प्रबंधन में साझेदारी
- वैश्विक सहयोग : IPCC एवं WMO जैसे संगठनों की रिपोर्ट के आधार पर ठोस नीति निर्माण