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सुपरकंप्यूटर: कार्यप्रणाली, घटक एवं भविष्य की दिशा

(प्रारंभिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता)

सुपर कंप्यूटर : एक अवलोकन

सुपरकंप्यूटर वर्तमान में विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी उपकरण बन चुके हैं। जहां एक सामान्य लैपटॉप सिर्फ इंटरनेट ब्राउज़िंग, गेमिंग या डॉक्यूमेंट टाइपिंग के लिए उपयोगी होता है, वहीं सुपरकंप्यूटर ऐसे जटिल और बड़े समस्याओं को हल करता है जिन्हें सामान्य कंप्यूटर वर्षों में भी हल नहीं कर पाते हैं। मौसम पूर्वानुमान, परमाणु प्रतिक्रियाओं का सिमुलेशन और ब्रह्मांड के आरंभिक मॉडलिंग इसके उदाहरण हैं।

कार्यप्रणाली

  • सुपरकंप्यूटर का मुख्य सिद्धांत पैरेलल कम्प्यूटिंग (समानांतर गणना) है।
  • इस सिद्धांत के अनुसार, किसी एक शक्तिशाली प्रोसेसर के स्थान पर हजारों या लाखों प्रोसेसर (Cores) एक साथ काम करते हैं।
  • प्रत्येक प्रोसेसर समस्या का एक छोटा हिस्सा हल करता है और सभी समाधान मिलकर पूरा उत्तर बनाते हैं।

मुख्य घटक

  1. प्रोसेसर: CPU सामान्य कार्यों के लिए और GPU गणनात्मक कार्यों के लिए
  2. नोड (Node): प्रोसेसर एवं मेमोरी का समूह, एक छोटे कंप्यूटर जैसा
  3. नेटवर्क: नोड्स को तेज़ कनेक्शन के माध्यम से जोड़ना
  4. मेमोरी और स्टोरेज: Petabytes में डेटा संग्रहण और तेज़ पहुँच
  5. कूलिंग: अत्यधिक गर्मी को नियंत्रित करने के लिए पानी एवं विशेष तरल
  6. पावर (शक्ति) : संचालन में एक छोटे शहर जितनी बिजली लगती है।

सॉफ़्टवेयर

  • प्रोसेसर का तालमेल और कार्य विभाजन का कार्य करता है।
  • पैरलल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, जैसे- MPI एवं OpenMP का प्रयोग किया जाता है।
    • MPI (मैसेज पासिंग इंटरफ़ेस) वितरित मेमोरी सिस्टम में प्रक्रियाओं के बीच संदेशों के आदान-प्रदान को संभालता है जबकि OpenMP साझा मेमोरी आर्किटेक्चर पर मल्टीथ्रेडिंग को सक्षम करने के लिए एक मानक है।
  • समय एवं ऊर्जा की बचत के लिए कार्य वितरण (Load Balancing)।
  • प्रदर्शन FLOPS (Floating-point Operations Per Second) में मापा जाता है। आज के टॉप सुपरकंप्यूटर Exaflops स्तर पर काम करते हैं।

भारत में सुपरकंप्यूटर

  • 1980 के दशक में भारत ने स्वदेशी प्रयास शुरू किया।
  • C-DAC ने PARAM सीरीज विकसित की।
  • वर्ष 2015 में National Supercomputing Mission (NSM) की शुरुआत हुई।
  • देशभर में 70+ उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग सुविधाएँ हैं।
  • प्रमुख सुपरकंप्यूटर: AIRAWAT-PSAI (C-DAC, Pune), Pratyush (IITM, Pune), Mihir (Noida)
  • उपयोग: मौसम पूर्वानुमान, भारतीय महासागर अध्ययन, हिमालयी मॉडलिंग, दवा खोज, नैनो तकनीक, ब्लैक होल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिमुलेशन, रक्षा अनुसंधान

भविष्य की दिशा

  • भविष्य के सुपरकंप्यूटर अलग दिख सकते हैं। क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों का उपयोग करने वाले क्वांटम कंप्यूटर कुछ प्रकार की समस्याओं को हल करने का नया तरीका पेश करते हैं, जो हार्डवेयर एवं ऊर्जा की मांग कम कर सकता है।
  • साथ ही, एक्सास्केल कंप्यूटिंग क्लासिकल मशीनों की सीमाओं को बढ़ा रही है। उदाहरण के लिए, 5 सितंबर को जर्मनी में जूपिटर नाम की मशीन यूरोप का पहला एक्सास्केल सुपरकंप्यूटर बना। यूरोपीय आयोग के अनुसार, यह पूरी तरह नवीकरणीय ऊर्जा से चलता है।
  • मानव मस्तिष्क से प्रेरित न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग जैसे नए डिजाइन भी हैं, जहाँ प्रोसेसिंग एवं मेमोरी एक चिप पर होंगे, जो ऊर्जा दक्षता व गति में बड़ा लाभ दे सकते हैं।
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