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क्रॉपिक पहल

(प्रारंभिक परीक्षा : योजनाएँ एवं कार्यक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3:
मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय व बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी)

संदर्भ 

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने फसल स्वास्थ्य की निगरानी एवं फसल क्षति के आकलन को स्वचालित करने के लिए ए.आई. (AI) का उपयोग करते हुए तकनीक-संचालित पहल क्रॉपिक (CROPIC) की शुरुआत की है। 

क्या है CROPIC

  • पूर्ण नाम : Collection of Real Time Observations & Photographs of Crops (CROPIC)
  • परिचय : यह मोबाइल ऐप आधारित एक प्रणाली है जो खेतों की वास्तविक समय की तस्वीरों के आधार पर फसलों की स्थिति, क्षति एवं स्वास्थ्य का मूल्यांकन करेगा। 

प्रमुख उद्देश्य 

  • फसल स्वास्थ्य की निगरानी : इसका मुख्य उद्देश्य फसलों के स्वास्थ्य एवं तनाव (Stress) की निगरानी करना है जिससे समय रहते आवश्यक हस्तक्षेप किया जा सके।
  • बीमा दावों की स्वतः मूल्यांकन प्रणाली : यह अध्ययन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के अंतर्गत फसल क्षति आकलन व दावों के स्वचालन में सहायता करेगा।
  • ‘फसल हस्ताक्षर’ (Crop Signature) डाटाबेस निर्माण : फसल की विभिन्न अवस्थाओं की छवियाँ एकत्र कर एक डिजिटल डाटाबेस तैयार किया जाएगा, जो भविष्य में व्यापक संदर्भ सामग्री बनेगा।
  • डिजिटल कृषि को बढ़ावा : यह पहल कृषि में डिजिटल तकनीक के प्रयोग को संस्थागत रूप देने की दिशा में एक ठोस कदम है।

क्रियान्वयन एवं वित्तपोषण 

  • प्रारंभिक चरण : खरीफ 2025 एवं रबी 2025-26 के मौसमों में 50 जिलों में CROPIC लागू किया जाएगा। इन जिलों का चयन विभिन्न जलवायु क्षेत्रों से तीन अधिसूचित फसलों के आधार पर किया जाएगा।
  • विस्तार : वर्ष 2026 से राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की योजना है।
  • वित्त पोषण : PMFBY के अंतर्गत नवाचार एवं प्रौद्योगिकी कोष (FIAT) द्वारा 

CROPIC की कार्यप्रणाली:

  • किसान-संचालित फोटो अपलोड : किसान CROPIC मोबाइल ऐप का उपयोग करके फसल चक्र के दौरान 4-5 बार फसल की तस्वीरें अपलोड करेंगे, जिससे वास्तविक समय में जमीनी स्तर पर डाटा एकत्र करना सुनिश्चित होगा।
  • ए.आई.-आधारित छवि विश्लेषण : इन तस्वीरों को ए.आई. क्लाउड इंजन के माध्यम से संसाधित किया जाता है जो फसल के प्रकार, विकास चरण, तनाव के संकेतों एवं  संभावित क्षति का पता लगाने के लिए कंप्यूटर विज़न का उपयोग करता है।
  • डायग्नोस्टिक आउटपुट जनरेशन : यह मॉडल दृश्य संकेतकों के आधार पर फसल की स्थिति, अवस्था, तनाव संकेतक एवं क्षति की गंभीरता सहित सटीक डायग्नोस्टिक्स उत्पन्न करता है।
  • वेब-आधारित डैशबोर्ड : एक केंद्रीकृत डिजिटल डैशबोर्ड जिला/राज्य स्तर के अधिकारियों के लिए फसल स्वास्थ्य व उभरते जोखिमों की निगरानी करने के लिए विश्लेषित डाटा प्रदर्शित करता है।
  • बीमा दावा सत्यापन के लिए सहायता : विश्लेषन की गई छवियाँ पी.एम.एफ.बी.वाई. मुआवजा दावों के त्वरित, पारदर्शी व स्वचालित प्रसंस्करण में सहायता के लिए सत्यापन योग्य साक्ष्य के रूप में कार्य करती हैं।

संभावित लाभ

  • किसानों की भागीदारी : किसानों द्वारा स्वयं तस्वीरें भेजने से सहभागिता बढ़ेगी और ग्राउंड-लेवल डाटा सटीक होगा।
  • समयबद्ध क्षति आकलन : प्राकृतिक आपदा या बीमारी से फसल हानि का त्वरित मूल्यांकन संभव होगा।
  • दावों में पारदर्शिता : AI आधारित मूल्यांकन से मुआवजे में मानव हस्तक्षेप कम होगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
  • नीति निर्माण में सहायक : एकत्रित डाटा से सरकार फसल पैटर्न, क्षति के कारण और क्षेत्रीय समस्याओं को बेहतर ढंग से समझ पाएगी।
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