(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान व निकाय)
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संदर्भ
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए जारी की गई निधि में निरंतर कमी से ग्रामीण महिलाओं की आय एवं वित्तीय सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने से नागरिक समाज कार्यकर्ताओं ने चिंता व्यक्त की है।
महिलाओं के लिए मनरेगा का महत्त्व
- ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम 100 दिनों का गारंटीकृत वेतन रोजगार प्रदान करता है।
- इस योजना में महिलाएँ कार्यबल का लगभग 55-60% हिस्सा हैं जो इसे आजीविका एवं सशक्तीकरण का एक महत्वपूर्ण स्रोत बनाता है।
बजटीय सहायता की स्थिति
- हाल के वर्षों में मनरेगा के लिए बजट आवंटन में तो सामान्यतया वृद्धि देखी गई है किंतु जारी की गयी वास्तविक निधि में कमी आई है। इसके परिणामस्वरूप भुगतान में देरी, काम का राशनिंग और रोज़गार के दिनों की उपलब्धता में कमी आई है।
- इससे सीमित गतिशीलता के कारण जो महिलाएँ स्थानीय वेतन वाले कार्यों पर अधिक निर्भर हैं वे असमान रूप से प्रभावित होती हैं।
- विगत पाँच वर्षों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) के अंतर्गत बजट अनुमान चरण, संशोधित अनुमान चरण और जारी निधि का विवरण (करोड़ रुपए में) नीचे दिया गया है-

- चूँकि महात्मा गांधी नरेगा एक माँग-आधारित वेतन-रोज़गार योजना है, इसलिए बजटीय परिव्यय किसी विशेष वित्तीय वर्ष में रोज़गार की प्रत्याशित माँग के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
- मंत्रालय माँग के आधार पर निधि आवश्यकताओं का नियमित आकलन करता है और आवश्यकतानुसार वित्त मंत्रालय से महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत अतिरिक्त धनराशि की माँग करता है।
- वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ₹86,000 करोड़ का बजट आवंटन इस योजना की शुरुआत से अब तक बजट अनुमान (BE) स्तर पर इसके लिए अब तक का सर्वाधिक आवंटन था। वित्तीय वर्ष 2025-26 में सरकार ने इस आवंटन को ₹86,000 करोड़ पर ही बनाए रखा है।
महिलाओं पर प्रभाव
- विशेष रूप से एकल महिलाओं और विधवाओं के लिए ग्रामीण परिवारों की आय में गिरावट की समस्या
- परिवारों के भीतर महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता और सौदेबाजी की शक्ति में कमी की संभावना
- गरीबी, प्रवास व अनौपचारिक शोषणकारी श्रम बाजारों के प्रति अधिक संवेदनशीलता
- गरीबी उन्मूलन, लैंगिक सशक्तीकरण और सामाजिक सुरक्षा में इस योजना की भूमिका के कमज़ोर होने की संभावना
- निधि संकुचन ग्रामीण रोज़गार गारंटी के अधिदेश के विपरीत
आगे की राह
- मनरेगा के लिए पर्याप्त और समय पर निधि जारी करने को सुनिश्चित करना
- महिला-केंद्रित रोज़गार के अवसरों को प्राथमिकता देना
- सामाजिक लेखा परीक्षण एवं पारदर्शिता तंत्र को मज़बूत करने पर बल देना
- अवसरों का विस्तार करने के लिए मनरेगा को जलवायु अनुकूलन और देखभाल कार्यों से जोड़ना