(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, आर्थिक एवं सामाजिक विकास) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत की क्रिप्टोकरेंसी नीति में संभावित बदलाव का संकेत देते हुए कहा कि सभी देशों को स्टेबलकॉइन (Stablecoins) के साथ ‘जुड़ने के लिए तैयार’ रहना होगा।
प्रमुख बिंदु
- यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) निजी क्रिप्टोकरेंसी (वर्चुअल डिजिटल एसेट्स: VDA) के प्रति सतर्क हैं।
- वित्त मंत्रालय एवं RBI दोनों ने निजी क्रिप्टोकरेंसी पर आरक्षण (आपत्ति) व्यक्त की है। भारत ने नियामक (Regulation) के तहत इन उत्पादों को वैध नहीं किया है किंतु इन पर होने वाले लेनदेन पर कर (Tax) लगाता है।
- RBI निजी VDA पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की वकालत करता रहा है। इसके समानांतर RBI ने अपनी स्वयं की क्रिप्टोकरेंसी ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC)’ के पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए हैं।
क्या हैं स्टेबलकॉइन
- स्टेबलकॉइन (Stablecoins) एक प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी हैं, जिनका उद्देश्य स्थिर मूल्य बनाए रखना होता है। ये अपना मूल्य स्थिर रखने के लिए किसी अंतर्निहित परिसंपत्ति (Underlying Asset) से जुड़ी होती हैं।
- ये परिसंपत्तियाँ आमतौर पर मुद्राओं की एक टोकरी (जैसे- डॉलर, यूरो) या कीमती धातुएँ (जैसे- सोना) हो सकती हैं।
स्टेबलकॉइन (Stablecoin) की स्थिरता का आधार
स्टेबलकॉइन के लाभ
स्टेबलकॉइन डिजिटल दुनिया में मुद्रा की अस्थिरता की समस्या को हल करते हैं, जिससे इनके कई लाभ हैं-
- कीमत में स्थिरता (Price Stability): स्टेबलकॉइन की कीमत किसी फिएट मुद्रा (जैसे- USD) से जुड़ी होती है और ये बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी अत्यधिक अस्थिर क्रिप्टोकरेंसी से बचते हैं। यह इन्हें विनिमय के माध्यम (Medium of Exchange) और मूल्य भंडार (Store of Value) के रूप में उपयुक्त बनाती है।
- क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए सेतु (Bridge for Crypto Trading): ट्रेडर इनका उपयोग अस्थिर बाज़ार स्थितियों से बचने के लिए करते हैं। जब उन्हें लगता है कि अन्य क्रिप्टो की कीमत गिरने वाली है, तो वे अपनी संपत्ति को तुरंत स्टेबलकॉइन में बदल लेते हैं जिससे उन्हें बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर करने की लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता है।
- सीमा पार भुगतान (Cross-Border Payments): पारंपरिक बैंकिंग प्रणालियों की तुलना में स्टेबलकॉइन का उपयोग करके अंतर्राष्ट्रीय फंड ट्रांसफर तेज़, सस्ता एवं 24/7 उपलब्ध होता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनके पास पारंपरिक बैंकिंग सुविधाओं तक पहुँच नहीं है।
- वैश्विक पहुँच और वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion): दुनिया में कहीं भी (जहाँ इंटरनेट कनेक्शन है) और कोई भी व्यक्ति स्टेबलकॉइन का उपयोग कर सकता है। यह विकासशील देशों में या उन लोगों के लिए वित्तीय सेवाओं तक पहुँच प्रदान करता है जो मुख्यधारा की बैंकिंग से बाहर हैं।
- ब्याज अर्जित करने की क्षमता (Earning Interest/Yield): उपयोगकर्ता अपने स्टेबलकॉइन को डिसेंट्रलाइज़्ड फाइनेंस (DeFi) प्रोटोकॉल में जमा करके पारंपरिक बचत खातों की तुलना में प्राय: अधिक ब्याज या यील्ड (Yield) अर्जित कर सकते हैं।
स्टेबलकॉइन के जोखिम
जोखिम |
विवरण |
आरक्षित जोखिम |
यदि जारीकर्ता के पास कॉइन के बदले पर्याप्त आरक्षित संपत्ति नहीं है, तो कॉइन के स्थिर मूल्य (पेग) में कमी आ सकती है। |
नियामक अनिश्चितता |
दुनिया भर की सरकारें अभी भी इनके लिए नियम (Regulation) तय कर रही हैं, जिससे भविष्य में इनकी उपयोगिता सीमित हो सकती है। |
केंद्रीकरण |
अधिकांश का नियंत्रण एक केंद्रीकृत इकाई के पास होता है, जिससे खाता फ्रीज होने या कानूनी कार्रवाई का खतरा रहता है। |
भुगतान प्रणालियों के लिए खतरा |
अत्यधिक लोकप्रियता से देश की मौजूदा राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियाँ (जैसे- UPI) प्रभावित हो सकती हैं। |
केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा
- एक केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी वैध मुद्रा सी.बी.डी.सी. है। यह आधिकारिक या वैध (फिएट) मुद्रा जैसी है और फिएट मुद्रा के साथ एक के बदले दूसरे के रूप में इसका विनिमय किया जा सकता है। केवल इसका रूप भिन्न है।
- इसे खुदरा (या सामान्य प्रयोजन) उपयोग के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है, जो बैंक नोटों के डिजिटल संस्करण जैसा होगा। इसे थोक उपयोग के लिए भी डिज़ाइन किया जा सकता है जहाँ यह थोक भुगतान और निपटान प्रणालियों में उपयोग के लिए केवल सीमित थोक बाज़ार सहभागियों के लिए ही सुलभ होगा।