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तिब्बती भेड़िया : संरक्षण के प्रयास

चर्चा में क्यों

लद्दाख में ग्रामीणों ने भेड़ियों के लिये एक समुदाय आधारित संरक्षण पहल प्रारंभ की है।

प्रमुख बिंदु

  • इस क्षेत्र में भेड़िये पशुधन का एक बड़े स्तर पर शिकार करते हैं, परिणामस्वरूप लोग इन्हें मार रहे हैं। इस कारण वर्तमान में तिब्बती भेड़ियों की संख्या तेज़ी से गिर रही है।
  • इसलिये इनके संरक्षण की दिशा में लद्दाख में ग्रामीण समुदाय भेड़ियों को मारने से रोकने के लिये पारंपरिक भेड़ियों के जाल के आसपास स्तूप निर्मित कर रहे हैं। 
  • उल्लेखनीय है कि ग्रामीणों ने प्रकृति संरक्षण फाउंडेशन (NCF) के साथ मिलकर भेड़ियों द्वारा शिकार किये जाने वाले पशुओं की क्षतिपूर्ति के लिये अपनी स्थानीय बीमा योजनाएँ भी शुरू की हैं।

शेडोंग (भेड़िया जाल)

शेडोंग उल्टे फ़नल के आकार की पत्थर की दीवारों के साथ पारंपरिक फँसाने वाले गड्ढे हैं, जो भेड़ियों को आकर्षित करने के लिये बनाए जाते हैं। तत्पश्चात् फँसे भेड़ियों को मार दिया जाता है। 

तिब्बती भेड़िया

  • यह माना जाता है कि भेड़ियों की 32 उप-प्रजातियों में से दो भारतीय उपमहाद्वीप में निवास करती हैं, जिसमें तिब्बती भेड़िया की सीमा ट्रांस-हिमालय से तिब्बत व चीन तक तथा भारतीय भेड़िया की सीमा प्रायद्वीपीय भारत तक विस्तृत है।
  • तिब्बती भेड़िया दुनिया की सबसे प्राचीन प्रजातियों में से एक है और देश में गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Endangered) है।

संरक्षण

  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I
  • IUCN स्थिति: कम चिंताजनक

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