(प्रारंभिक परीक्षा: पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी) |
भारत ने अपने पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता के प्रयासों को मजबूत करते हुए बिहार की दो आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल के रूप में मान्यता दी है।
दो नए रामसर स्थल
- गोकुल जलाशय : बक्सर जिला, बिहार (क्षेत्रफल: 448 हेक्टेयर)
- यह गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है।
- उदयपुर झील : पश्चिम चंपारण जिला, बिहार (क्षेत्रफल: 319 हेक्टेयर)
- उदयपुर झील उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य से घिरी हुई है।
- यह कई प्रवासी पक्षियों खासकर पोचार्ड (अयथ्या फेरिना) जैसे पक्षियों के लिए, एक महत्वपूर्ण शीतकालीन विश्राम स्थल है।
विशेषता
- दोनों आर्द्रभूमियां गोखुर (oxbow) झीलें हैं।
- गोखुर झील अर्धचंद्राकार झील होती है, जो किसी घुमावदार नदी के किनारे निर्मित होती है।
महत्व
- आर्द्रभूमियाँ जैव विविधता के लिए आवास प्रदान करती हैं।
- जल स्रोत के रूप में ये जलवायु लचीलापन और पानी की स्थिरता सुनिश्चित करती हैं।
- स्थानीय मछली पालन, कृषि और पर्यटन के लिए सतत आजीविका का माध्यम हैं।
- अंतरराष्ट्रीय मान्यता से संरक्षण और जागरूकता को बढ़ावा मिलता है।
भारत में कुल रामसर स्थल
- अब भारत में कुल 93 रामसर स्थल हैं।
- ये स्थल 13,60,719 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हुए हैं।
- यह संख्या भारत की आर्द्रभूमियों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- बिहार में पहले से ही तीन रामसर स्थल हैं : बेगूसराय की काबर झील (काबर ताल) तथा जमुई जिले के नागी एवं नकटी पक्षी अभयारण्य।
रामसर कन्वेंशन के बारे में
- स्थापना: वर्ष 1971 में, रामसर, ईरान
- मुख्यालय: स्विट्ज़रलैंड के ग्लैंड में
- उद्देश्य: आर्द्रभूमियों का संरक्षण और सतत उपयोग।
- भारत: वर्ष 1982 में इसकी पुष्टि की।
- अंतरराष्ट्रीय महत्व: आर्द्रभूमियाँ जो जैव विविधता, पानी का संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन में योगदान देती हैं।
- सदस्य देश: कन्वेंशन के अंतर्गत लगभग 170 से अधिक देश सदस्य हैं।
- मुख्य गतिविधियाँ: आर्द्रभूमियों की पहचान, संरक्षण योजनाओं का क्रियान्वयन, जागरूकता और स्थानीय समुदायों की भागीदारी।
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