(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) |
संदर्भ
भारत में उच्च शिक्षा को विनियमित करने वाली प्रमुख संस्था ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.)’ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है, जिसमें स्वास्थ्य और संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित कुछ पाठ्यक्रमों को मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा (ODL) या ऑनलाइन मोड में पेश करने पर रोक लगा दी गई है।
हालिया यू.जी.सी. निर्देशों के बारे में
- यू.जी.सी. ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों (HEIs) को निर्देश दिया है कि वे जुलाई-अगस्त 2025 के शैक्षणिक सत्र से स्वास्थ्य एवं संबद्ध क्षेत्रों के पाठ्यक्रम, जैसे- मनोविज्ञान, पोषण एवं अन्य संबंधित विषय को मुक्त व दूरस्थ शिक्षा या ऑनलाइन मोड में पेश करना बंद करें।
- यू.जी.सी. ने स्पष्ट किया है कि जिन संस्थानों को पहले से इन पाठ्यक्रमों के लिए मान्यता दी गई थी, उनकी मान्यता भी 2025 के सत्र से वापस ले ली जाएगी।
मुख्य बिंदु
- यह प्रतिबंध राष्ट्रीय संबद्ध एवं स्वास्थ्य देखभाल पेशा आयोग (National Commission for Allied and Healthcare Professions: NCAHP) अधिनियम, 2021 के तहत आने वाले पाठ्यक्रमों पर लागू होता है। इनमें निम्नलिखित विषय शामिल हैं:
- मनोविज्ञान
- सूक्ष्म जीव विज्ञान
- खाद्य एवं पोषण विज्ञान
- जैव प्रौद्योगिकी
- नैदानिक पोषण एवं आहार विज्ञान
- यदि कोई पाठ्यक्रम, जैसे- कला स्नातक (BA), कई विषयों (जैसे- अंग्रेजी, हिंदी, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र) को शामिल करता है, तो केवल NCAHP अधिनियम के तहत आने वाले विषयों (जैसे- मनोविज्ञान) को ऑनलाइन या ODL मोड से हटा दिया जाएगा। अन्य विषय प्रभावित नहीं होंगे।
- इसके अतिरिक्त यू.जी.सी. ने पहले से ही इंजीनियरिंग, चिकित्सा, दंत चिकित्सा, फार्मेसी, नर्सिंग, वास्तुकला, फिजियोथेरेपी, कृषि एवं कानून जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को ऑनलाइन या ODL मोड में पेश करने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।
निर्णय के पीछे के कारण
- यू.जी.सी. का यह निर्णय पेशेवर और व्यावहारिक आधारित पाठ्यक्रमों में गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने की आवश्यकता के कारण लिया गया है।
- स्वास्थ्य एवं संबद्ध क्षेत्रों के पाठ्यक्रमों में व्यावहारिक प्रशिक्षण, प्रयोगशाला कार्य, और नैदानिक अनुभव महत्वपूर्ण हैं, जो ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्रभावी रूप से प्रदान करना चुनौतीपूर्ण है।
- यू.जी.सी. ने देखा कि कई संस्थान ऑनलाइन मोड में इन पाठ्यक्रमों को पेश करके गुणवत्ता से समझौता कर रहे थे, जिससे छात्रों के कौशल और रोजगार योग्यता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था।
महत्व और प्रभाव
- इस निर्णय का भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली और स्वास्थ्य क्षेत्र पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
- यह कदम स्वास्थ्य और संबद्ध क्षेत्रों में पेशेवर प्रशिक्षण की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे बेहतर प्रशिक्षित पेशेवर तैयार होंगे जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा कर सकें।
- हालांकि, यह उन छात्रों के लिए चुनौती पैदा कर सकता है जो दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इन पाठ्यक्रमों को लेने की योजना बना रहे थे, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले या आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्र।
- संस्थानों को अब अपने पाठ्यक्रमों को पुनर्गठित करना होगा और कक्षा-आधारित प्रशिक्षण पर ध्यान देना होगा, जिसके लिए बुनियादी ढांचे और शिक्षकों में निवेश की आवश्यकता होगी।
- दीर्घकाल में यह निर्णय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में विश्वसनीयता और पेशेवर मानकों को मजबूत करेगा किंतु अल्पकाल में यह कुछ संस्थानों और छात्रों के लिए समायोजन की चुनौती ला सकता है।
राष्ट्रीय संबद्ध एवं स्वास्थ्य देखभाल व्यवसाय आयोग (NCAHP) अधिनियम, 2021
- यह अधिनियम भारत सरकार ने स्वास्थ्य एवं संबद्ध क्षेत्रों में पेशेवरों के प्रशिक्षण, अभ्यास व विनियमन को मानकीकृत करने के लिए लागू किया था।
- यह अधिनियम 14 स्वास्थ्य और संबद्ध पेशों को नियंत्रित करता है जिनमें ऑप्टोमेट्री, मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, रेडियोलॉजी, और पोषण जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य इन पेशों में शिक्षा और प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित करना, पेशेवरों का पंजीकरण करना और राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर परिषदों की स्थापना करना है।
- यह स्वास्थ्य क्षेत्र में पेशेवरों की दक्षता और नैतिकता को बढ़ाने के लिए एक केंद्रीकृत ढांचा प्रदान करता है।
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