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संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (UNCBD): COP16

  • थीम: “Peace with Nature” (प्रकृति के साथ शांति)
  • स्थान: काली (Cali), कोलंबिया
  • अवधि: 21 अक्टूबर – 1 नवंबर 2024
  • Convention on Biological Diversity (CBD) की स्थापना 1992 के Rio Earth Summit में हुई थी।
  • इसका उद्देश्य जैव विविधता का संरक्षण, उसके सतत उपयोग और लाभों का न्यायसंगत वितरण है।
  • COP16, 16वां पक्षकार सम्मेलन, कोलंबिया में आयोजित हुआ।'
  • यह Kunming–Montreal Global Biodiversity Framework (KMGBF) के कार्यान्वयन की दिशा में अगला कदम था, जिसे COP15 (2022, मॉन्ट्रियल) में अपनाया गया था।
  • सम्मेलन की थीम “Peace with Nature” ने जैव विविधता को सामाजिक एवं आर्थिक स्थिरता से जोड़ने का संदेश दिया।

    मुख्य उद्देश्य व एजेंडा

    1. KMGBF के 23 लक्ष्यों (Targets-2030) की प्रगति की समीक्षा।
    2. One Health Approachमानव, पशु और पारिस्थितिक स्वास्थ्य का एकीकृत दृष्टिकोण।
    3. Digital Sequence Information (DSI)आनुवंशिक संसाधनों से प्राप्त डिजिटल जानकारी के लाभ-साझा करने की व्यवस्था।
    4. Marine & Coastal Biodiversity समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों की सुरक्षा और पुनर्स्थापन।
    5. Resource Mobilisation जैव विविधता संरक्षण हेतु वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
    6. Monitoring, Reporting and Review (MRR)जैव विविधता लक्ष्यों की प्रगति को ट्रैक करने की व्यवस्था।
    7. Local & Indigenous Participationआदिवासी समुदायों, शहरों और उप-राष्ट्रीय सरकारों की भूमिका को सुदृढ़ करना।

    प्रमुख उपलब्धियाँ

    1. ‘Cali Fund’ की स्थापना: DSI (Digital Sequence Information) से होने वाले लाभ के समान वितरण हेतु नई वित्तीय व्यवस्था।
    2. Biodiversity and Health Global Action Plan: पारिस्थितिकी और स्वास्थ्य के आपसी संबंधों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय कार्ययोजना को मंजूरी।
    3. Local Governance Inclusion: स्थानीय सरकारों और शहरों की भागीदारी को आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई।
    4. Indigenous Rights Strengthened: आदिवासी समुदायों के पारंपरिक ज्ञान और अधिकारों को वैश्विक जैव विविधता शासन में शामिल किया गया।
    5. Climate–Biodiversity Linkage: जैव विविधता और जलवायु नीतियों के एकीकरण को औपचारिक मान्यता मिली।

    चुनौतियाँ

    1. वित्तीय संसाधनों की कमी: जैव विविधता संरक्षण के लिए अनुमानित $200 बिलियन/वर्ष की आवश्यकता है, परंतु ठोस प्रतिबद्धता नहीं बनी।
    2. NBSAPs (National Biodiversity Strategies & Action Plans): अधिकांश देशों ने अब तक अपनी नई योजनाएँ प्रस्तुत नहीं की हैं।
    3. Implementation Gap: COP15 में तय लक्ष्यों को ज़मीन पर लागू करने की गति धीमी है।
    4. Negotiation Deadlocks: Resource mobilisation और Monitoring Framework पर सहमति न बन पाने से COP16 को अस्थायी रूप से निलंबित करना पड़ा।
    5. DSI Framework: इसके तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर अभी और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।

    भारत के लिए प्रासंगिकता

    1. जैव विविधता से समृद्ध देश: भारत विश्व के 17 “Megadiverse Countries” में शामिल है।
    2. राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक कदम:
      • नई NBSAP का निर्माण KMGBF लक्ष्यों के अनुरूप करना।
      • DSI से संबंधित नीति ढांचा तैयार करना।
      • आदिवासी समुदायों को जैव विविधता शासन में शामिल करना।
      • जैव विविधता और जलवायु नीतियों का समन्वय बढ़ाना।
    3. Blue Economy में अवसर: COP16 में समुद्री जैव विविधता पर बल मिलने से भारत की “ब्लू इकॉनॉमी” नीति को बल मिलेगा।
    4. One Health दृष्टिकोण: महामारी-पश्चात काल में स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी और कृषि नीति में संतुलन के लिए उपयोगी मॉडल।

    कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचा (KMGBF)

    मुख्य विशेषताएँ:

    • यह एक गैर-बाध्यकारी (Non-binding) फ्रेमवर्क है।
    • अपनाया गया: COP-15, मांट्रियल, कनाडा, 2022 में।
    • उद्देश्य: ‘जैव विविधता के लिए रणनीतिक योजना 2011-2020’ और उसके Aichi Targets की जगह लेना।
    • लक्ष्य: 2030 तक जैव विविधता की हानि रोकना और पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्बहाली सुनिश्चित करना।

    2050 तक चार मुख्य लक्ष्य (Goals):

    1. संरक्षण एवं पुनर्स्थापन (Conservation and Restoration)
    2. प्रकृति के साथ समृद्धि (Nature-positive Benefits)
    3. लाभों का न्यायसंगत साझाकरण (Equitable Sharing of Benefits)
      • विशेष रूप से Digital Sequence Information (DSI) से होने वाले लाभों का साझा करना।
    4. निवेश और सहयोग (Finance and Collaboration)
      • प्रति वर्ष 700 बिलियन डॉलर के जैव विविधता वित्त अंतराल को समाप्त करना।

    2030 तक प्रमुख टारगेट्स (23 Targets Highlights):

    • 30-by-30 Targets:
      • 2030 तक भूमि, समुद्र और अंतर्देशीय जल का 30% संरक्षण
      • निम्नीकृत पारिस्थितिकी तंत्र का 30% पुनर्बहाली।
      • आक्रामक विदेशी प्रजातियों (Invasive Alien Species): 2030 तक प्रसार को 50% तक कम करना
    • वित्तीय लक्ष्य:
      • प्रतिवर्ष 200 बिलियन डॉलर जुटाना।
      • इसमें अंतरराष्ट्रीय वित्त के माध्यम से 30 बिलियन डॉलर शामिल।

    UPSC के लिए उपयोगी बिंदु

    विषय

    विवरण

    अंतरराष्ट्रीय संगठन

    Convention on Biological Diversity (CBD) – 1992 Rio Summit

    COP16 स्थान/वर्ष

    काली, कोलंबिया – 2024

    थीम

    Peace with Nature

    मुख्य उपलब्धि

    Cali Fund (DSI Benefit Sharing), One Health Plan

    भारत से संबंधित

    NBSAP अद्यतन, DSI नीति, स्थानीय भागीदारी

    प्रमुख चुनौती

    वित्तीय संसाधन, कार्यान्वयन की धीमी गति

    अगला कदम

    COP17 (2026) – कार्यान्वयन और वित्त पर समीक्षा

    निष्कर्ष

    COP16 ने जैव विविधता संरक्षण को एक व्यापक सामाजिक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया। “Peace with Nature” का संदेश यह दर्शाता है कि जैव विविधता केवल पर्यावरणीय विषय नहीं, बल्कि मानव अस्तित्व, आर्थिक स्थिरता और वैश्विक न्याय से जुड़ा हुआ मुद्दा है। भारत जैसे देशों के लिए यह अवसर है कि वे अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों को वैश्विक ढांचे के अनुरूप बनाकर, प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण विकास (Harmony with Nature) की दिशा में अग्रसर हों।

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