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वेस्ट टू वेल्थ:- प्रमुख लक्ष्य, सरकारी पहलें, प्रमुख मॉडल

आज की दुनिया “Take–Make–Dispose” मॉडल से “Reduce–Reuse–Recycle” मॉडल की ओर अग्रसर हो रही है। वेस्ट टू वेल्थ” (Waste to Wealth) अवधारणा इसी बदलाव की पहचान है — अर्थात् अपशिष्ट (Waste) को संसाधन (Resource) या धन (Wealth) में परिवर्तित करना। भारत जैसे विकासशील देश में जहाँ शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और उपभोग की दर तेजी से बढ़ रही है, वहाँ अपशिष्ट प्रबंधन सतत विकास की कुंजी बन गया है। इसलिए, “वेस्ट टू वेल्थ” न केवल पर्यावरण संरक्षण का मार्ग है, बल्कि आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का भी साधन है।

Waste_to_Wealth

पृष्ठभूमि (Background & Context)

  • भारत में प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख टन ठोस अपशिष्ट (Solid Waste) उत्पन्न होता है (MoHUA, 2024)।
  • इनमें से लगभग 70% अपशिष्ट का वैज्ञानिक निपटान नहीं हो पाता।
  • Waste to Wealth Mission (2019) — भारत सरकार के Principal Scientific Adviser (PSA) के तहत आरंभ हुआ, जिसका उद्देश्य है “भारत को कचरे से स्वच्छ और संसाधन-समृद्ध बनाना”।
  • यह मिशन Circular Economy, Green Energy, Resource Recovery और Zero Waste Cities की दिशा में भारत को अग्रसर कर रहा है।

प्रमुख लक्ष्य (Core Objectives)

  1. अपशिष्ट को ऊर्जा, खाद, और मूल्यवान उत्पादों में परिवर्तित करना।
  2. लैंडफिल-मुक्त शहरों का निर्माण।
  3. अनौपचारिक क्षेत्र का औपचारिक एकीकरण (Formal Integration of Informal Sector)।
  4. प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान (Bio-methanation, RDF, Plastic Pyrolysis)।
  5. Zero Waste Economy की स्थापना।

प्रमुख सरकारी पहलें (Major Government Initiatives)

पहल

विवरण

(1) Waste to Wealth Mission (2019)

PSA के तहत मिशन, 500+ तकनीकी समाधान विकसित।

(2) Swachh Bharat Mission 2.0

ठोस अपशिष्ट के वैज्ञानिक निपटान व स्रोत-विभाजन पर बल।

(3) Gobardhan Yojana

जैविक अपशिष्ट से बायो-गैस एवं कम्पोस्ट उत्पादन।

(4) Smart Cities Mission

Waste-to-Energy व Material Recovery Facilities को बढ़ावा।

(5) EPR Framework (Plastic & E-Waste)

उत्पादकों को अपशिष्ट पुनर्चक्रण की जिम्मेदारी।

(6) Circular Economy Task Force (2022)

नीति आयोग द्वारा सर्कुलर अर्थव्यवस्था हेतु रोडमैप तैयार।

 “वेस्ट टू वेल्थ” के प्रमुख मॉडल (Key Models & Approaches)

  1. Waste-to-Energy (WtE):
    • नगर ठोस अपशिष्ट से बिजली उत्पादन।
    • उदाहरण: दिल्ली के तिमारपुर व भलस्वा संयंत्र।
    • भारत में लगभग 13 Waste-to-Energy Plants कार्यरत हैं (CPCB, 2024)।
  2. Waste-to-Compost:
    • जैविक कचरे से जैविक खाद निर्माण।
    • लगभग 8 लाख टन सालाना जैविक खाद उत्पादित (MoHUA, 2023)।
  3. Waste-to-Biogas:
    • गोबर व खाद्य अपशिष्ट से स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन।
    • Gobardhan योजना के तहत अब तक 550 बायो-गैस संयंत्र स्थापित।
  4. Waste-to-Construction Materials:
    • प्लास्टिक व मलबे से सड़कें और ईंटें बनाना (Plastic Roads)।
    • तमिलनाडु, महाराष्ट्र, तेलंगाना में प्रमुख उदाहरण।
  5. Upcycling & Innovation:
    • “Phool” जैसे स्टार्टअप — मंदिरों के फूलों से अगरबत्ती बनाना।
    • “Recycle India” – प्लास्टिक बोतलों से वस्त्र निर्माण।

उपलब्धियाँ (Achievements)

  • 2014 के बाद शहरी अपशिष्ट प्रबंधन में 60% से अधिक सुधार
  • Waste-to-Compost नीति से 2.5 लाख टन जैविक खाद/वर्ष उत्पादन।
  • Waste-to-Energy से 250 मेगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता
  • 35 से अधिक स्टार्टअप “अपशिष्ट से नवाचार” मॉडल पर कार्यरत।

प्रमुख चुनौतियाँ (Challenges)

  1. स्रोत पर विभाजन की कमी (Source Segregation)अधिकांश घरों में गीले-सूखे कचरे का अलगाव नहीं।
  2. प्रौद्योगिकी सीमाएँ कई WtE प्लांट तकनीकी विफलताओं से ग्रस्त।
  3. वित्तीय व्यवहार्यताउच्च प्रारंभिक लागत, कम बिजली दरें।
  4. अनौपचारिक क्षेत्र का वर्चस्व 80% से अधिक रीसाइक्लिंग अनौपचारिक रूप से होती है।
  5. जन-जागरूकता की कमीनागरिकों में ‘कचरा = संसाधन’ की सोच सीमित।
  6. डेटा की पारदर्शिता का अभावअपशिष्ट के संग्रहण और पुनःप्रसंस्करण पर विश्वसनीय आँकड़ों की कमी।

आगे की राह (Way Forward)

क्षेत्र

सुझाव

नीति सुधार

Waste-to-Wealth Mission को राज्यों के साथ बेहतर समन्वय में लागू किया जाए।

तकनीकी नवाचार

बायोमिथेनेशन, प्लास्टिक पायरोलेसिस, और गैसिफिकेशन जैसी तकनीकों का स्वदेशी विकास।

वित्तीय तंत्र

अपशिष्ट-आधारित उद्योगों को कर छूट व CSR निवेश से प्रोत्साहन।

सामाजिक भागीदारी

नागरिकों, NGOs, RWAs को स्थानीय Waste Solutions में शामिल करना।

अनौपचारिक क्षेत्र एकीकरण

कचरा संग्राहकों को सामाजिक सुरक्षा और प्रशिक्षण प्रदान कर औपचारिक ढाँचे में लाना।

शिक्षा एवं जनजागरूकता

विद्यालय स्तर पर “Waste Literacy” अभियान चलाना।

Circular Economy Roadmap

नीति आयोग द्वारा क्षेत्रवार Circular Economy रोडमैप लागू करना।

अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण (Global Best Practices)

  • स्वीडन: 99% नगरपालिका अपशिष्ट पुनःप्रसंस्कृत — “Zero Landfill Nation”
  • जर्मनी: “Green Dot System” – उत्पादकों से रीसाइक्लिंग शुल्क।
  • जापान: “Waste Hierarchy” नीति – प्राथमिकता: Reduce → Reuse → Recycle → Recover → Dispose.
  • भारत इन मॉडलों से सीखकर “Make Waste a Resource” सिद्धांत को लागू कर सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

“वेस्ट टू वेल्थ” न केवल पर्यावरणीय आवश्यकता है, बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता, नवाचार और सतत विकास की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। यह पहल SDG 11 (Sustainable Cities), SDG 12 (Responsible Consumption and Production) और SDG 13 (Climate Action) को सशक्त बनाती है। भारत यदि इस दिशा में स्थानीय नवाचार, तकनीकी निवेश और नागरिक सहयोग को साथ लाता है, तो वह “कचरा मुक्त भारत” से आगे बढ़कर “संसाधन संपन्न भारत” की दिशा में अग्रसर होगा।

“Waste is not the end of life cycle — it is the beginning of a new one.”

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