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प्रेस्टन वक्र (Preston Curve) क्या है ?

  • Preston Curve- एक ग्राफिकल प्रतिनिधित्व है जो किसी देश की प्रति व्यक्ति आय और जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) के बीच के संबंध को दर्शाता है।
    • प्रस्तावक: अमेरिकी समाजशास्त्री सैमुअल एच. प्रेस्टन (Samuel H. Preston) ने 1975 में इसे प्रस्तावित किया।
    •  उद्देश्य: यह दिखाने के लिए कि आय में सुधार स्वास्थ्य परिणामों, विशेष रूप से जीवन प्रत्याशा में सुधार से कैसे संबंधित होते हैं।

Preston Curve को समझना

  • यह ग्राफ निम्नलिखित को प्रदर्शित करता है:
    • X-अक्ष: प्रति व्यक्ति आय (आमतौर पर USD या PPP-संशोधित में मापी जाती है)।
    • Y-अक्ष: जन्म पर जीवन प्रत्याशा (सालों में)।
  • निम्न आय स्तरों पर, आय में छोटे सुधार भी जीवन प्रत्याशा में महत्वपूर्ण सुधार ला सकते हैं।हालांकि, एक निश्चित आय सीमा के बाद, आय में और वृद्धि जीवन प्रत्याशा में घटती हुई वृद्धि (Diminishing Returns) का कारण बनती है।

प्रेस्टन वक्र के चरण:-

प्रेस्टन वक्र को दो चरणों में बांटा गया है :-

  • तीव्र वक्र (Steep Curve) – निम्न-आय वाले देश:
  • बहुत कम आय स्तरों पर, देशों को जीवन प्रत्याशा में बड़े सुधार मिलते हैं, जैसे:
    • बेहतर पोषण (Better Nutrition)
    •  सुरक्षित स्वच्छता (Improved Sanitation)
    • मूलभूत स्वास्थ्य देखभाल (Basic Healthcare Access)
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप (Public Health Interventions) जैसे कि वैक्सीनेशन, स्वच्छ पानी
  • समतल वक्र (Flattening Curve) – उच्च-आय वाले देश:
  • जब आय एक निश्चित सीमा (लगभग $10,000–$15,000 प्रति व्यक्ति) से बढ़ जाती है, तो:
    • जीवन प्रत्याशा में सुधार धीमा पड़ जाता है
    • जीवनशैली रोग (Lifestyle Diseases) जैसे मोटापा, तनाव, और प्रदूषण आगे के सुधारों को प्रभावित कर सकते हैं
    •  स्वास्थ्य अब आय के बजाय व्यवहारिक (Behavioral), पर्यावरणीय (Environmental), और सामाजिक (Social) कारकों द्वारा अधिक प्रभावित होता है।

नीति निर्माताओं के लिए महत्व

  • आय वृद्धि अकेले पर्याप्त नहीं है।
    • एक निश्चित सीमा के बाद, गैर-आय कारक (जैसे शिक्षा, पर्यावरण, और निवारक स्वास्थ्य देखभाल) अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
  • सरकारों को निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:
    • स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच में सुधार (Improving Healthcare Access)
    • असमानता को कम करना (Reducing Inequality)
    • स्वच्छ हवा, पानी, और स्वच्छता सुनिश्चित करना (Ensuring Clean Air, Water, and Sanitation)
    • स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना (Promoting Healthy Lifestyles)
  • यह समावेशी विकास नीतियों (Inclusive Growth Policies) को डिज़ाइन करने में मदद करता है:
    • आर्थिक विकास के साथ-साथ मानव विकास में निवेश जरूरी है।

भारत के संदर्भ में प्रासंगिकता

  • भारत ने विशेष रूप से 1991 में उदारीकरण (Liberalization) के बाद प्रति व्यक्ति आय में steady वृद्धि देखी है।
  • हालांकि, जीवन प्रत्याशा (लगभग 70 वर्ष) उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ी है, और इसके कारण हैं:
    • वायु और जल प्रदूषण (Air and Water Pollution)
    • खराब स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचा (Poor Healthcare Infrastructure)
    • पोषण की कमी (Nutritional Deficiencies)
    • सेवाओं तक असमान पहुंच (Unequal Access to Services)
  • भारत संभवतः Preston Curve के समतल (Flattening) खंड में है।
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