| (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र - 3 पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी) |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, सरकार द्वारा क्लाउड सीडिंग के प्रयोगों पर ध्यान दिया गया है। इसमें शीर्ष भारतीय शोध संस्थानों की भागीदारी रही है, जिससे यह विषय वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गहन अध्ययन का पात्र बन गया है।

क्या है क्लाउड सीडिंग:
- क्लाउड सीडिंग प्राकृतिक मौसम इंजीनियरिंग का एक रूप है।
- इसमें सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड जैसे पदार्थों को आर्द्रता-युक्त या गर्म वर्षा वाले बादलों में डाला जाता है।
- यह प्रक्रिया बादल संघनन नाभिक या बर्फ नाभिक के रूप में कार्य करती है, जिससे जल वाष्प संघनित होकर वर्षा उत्पन्न होती है।

क्लाउड सीडिंग के प्रकार
- स्थैतिक क्लाउड सीडिंग (Static Cloud Seeding)
- इसमें बर्फ के नाभिक (सिल्वर आयोडाइड, शुष्क बर्फ) ठंडे बादलों में डाले जाते हैं।
- ये बर्फ के क्रिस्टल या बर्फ के टुकड़े बनाने में मदद करते हैं।
- पहले तरल जल की बूंदों के रूप में मौजूद पानी बर्फ में बदलकर वर्षा के रूप में गिरता है।
- डायनेमिक क्लाउड सीडिंग (Dynamic Cloud Seeding)
- इसमें ऊर्ध्वाधर वायु धाराओं को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे बादलों में वर्षा को प्रेरित किया जा सके।
- यह स्टैटिक क्लाउड सीडिंग की तुलना में जटिल है।
- इसकी सफलता सही मौसमीय घटनाओं और बादलों की स्थिति पर निर्भर करती है।
- हाइग्रोस्कोपिक क्लाउड सीडिंग (Hygroscopic Cloud Seeding)
- इसमें उष्म मेघों के आधार में नमक जैसे हाइग्रोस्कोपिक पदार्थों के सूक्ष्म कण छिड़के जाते हैं।
- ये कण मेघ संघनन नाभिक के रूप में कार्य करते हैं।
- बूंदों की संख्या और आकार बढ़ाने से मेघ की परावर्तनशीलता और स्थिरता में सुधार होता है।
- ग्लेशियोजेनिक क्लाउड सीडिंग (Glaciogenic Cloud Seeding)
- इसमें सिल्वर आयोडाइड या शुष्क बर्फ के नाभिक सुपरकूल बादलों में फैलाए जाते हैं।
- यह बर्फ के नाभिकीकरण (Ice Nucleation) और अवक्षेपण (Deposition) को प्रेरित करता है।
- इसके परिणामस्वरूप बर्फ के क्रिस्टल बनते हैं और वर्षा उत्पन्न होती है।
सर्दियों में क्लाउड सीडिंग तकनीकी सीमाएँ:
- बीजारोपण केवल विशेष प्रकार के बादलों पर प्रभावी होता है।
- आर्द्रताग्राही बादल मानसून-पूर्व और मानसून के दौरान प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं।
- नवंबर से जनवरी तक, जब उत्तर भारत में वायु प्रदूषण चरम पर होता है,
- ऐसे बादलों की उपस्थिति केवल 5-10% रहती है।
प्रदूषण और क्लाउड सीडिंग:
- क्लाउड सीडिंग तकनीक वायु प्रदूषण के समाधान के रूप में सीमित प्रभाव डालती है।
- ठंडी परिस्थितियों में हल्की बारिश अक्सर पीएम2.5 कणों को प्रभावी रूप से नहीं धो पाती।
- इसके परिणामस्वरूप सूक्ष्म कण जमते हैं और पुनः बढ़ जाते हैं।
अल्पकालिक लाभ:
- यदि वर्षा होती भी है, तो यह केवल अल्पकालिक राहत प्रदान करती है।
- वायु प्रदूषण के स्रोत लगातार सक्रिय रहते हैं और मौसम की मार के कारण पीएम2.5 स्तर जल्दी पुनः बढ़ जाता है।
क्लाउड सीडिंग के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:
पर्यावरणीय प्रभाव
- क्लाउड सीडिंग में प्रयुक्त सिल्वर आयोडाइड, शुष्क बर्फ और लवण जैसे पदार्थ वर्षा के साथ धरातल पर आ सकते हैं।
- सिल्वर आयोडाइड के अवशेष विषाक्त माने जाते हैं और आसपास के पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं।
- शुष्क बर्फ कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित कर सकता है, जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है।
अस्थायी राहत
- क्लाउड सीडिंग से वायु प्रदूषण (PM2.5, PM10) पर अल्पकालिक प्रभाव पड़ सकता है।
- यह वाहनों और औद्योगिक इकाइयों से उत्पन्न प्रदूषण के मूल कारणों को कम नहीं करता।
उपलब्धता संबंधी मुद्दे
- वर्षा उत्पन्न करने के लिए आर्द्रता वाले बादलों की आवश्यकता होती है।
- ऐसे बादल हमेशा उपलब्ध नहीं होते और पूर्वानुमानित भी नहीं किए जा सकते।
- वर्षा के लिए बादलों की विशिष्ट विशेषताएँ जैसे आर्द्रता और ऊर्ध्वाधर गति आवश्यक होती हैं।
तकनीकी और आर्थिक चुनौतियाँ;
- क्लाउड सीडिंग में रसायनों को हवाई जहाज या फ्लेयर शॉट्स के माध्यम से आकाश में फैलाना शामिल होता है।
- यह प्रक्रिया महँगी है और इसके लिए उच्च लागत, लॉजिस्टिक समर्थन और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
क्लाउड सीडिंग के लाभ:
- प्रदूषण से मुकाबला: प्रदूषण से राहत प्रदान करने के लिए इसे वैज्ञानिक विधि माना जाता है।
- शीतकालीन बर्फबारी और पर्वतीय हिमपात को बढ़ाना: यह आसपास के क्षेत्र के समुदायों के लिए उपलब्ध प्राकृतिक जल आपूर्ति को पूरक बनाता है।
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प्रश्न. क्लाउड सीडिंग किस क्षेत्र से संबंधित एक तकनीक है?
(a) जैव प्रौद्योगिकी
(b) मौसम इंजीनियरिंग
(c) खगोल विज्ञान
(d) पर्यावरण रसायन
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