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विंडर्जी इंडिया 2025 : हरित ऊर्जा के पंखों से उड़ान भरता भारत

चर्चा में क्यों

7वीं विंडर्जी इंडिया 2025 (Windergy India 2025) का आयोजन चेन्नई ट्रेड सेंटर, नंदनमबक्कम में किया गया। इस अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले और सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने किया।

विंडर्जी इंडिया 2025 के बारे में

  • क्या है : विंडर्जी इंडिया, भारत की सबसे बड़ी पवन ऊर्जा प्रदर्शनी और सम्मेलन है।
  • आयोजक: इंडियन विंड टरबाइन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IWTMA) द्वारा। 
  • उद्देश्य : पवन ऊर्जा उद्योग, नीति निर्माताओं, और निवेशकों को एक मंच पर लाना है ताकि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र को गति दी जा सके।
  • 2025 की थीम : “Powering a Sustainable Future through Wind Energy” (पवन ऊर्जा के माध्यम से सतत भविष्य की ओर)
    • यह थीम भारत की हरित विकास नीति और आत्मनिर्भरता मिशन के अनुरूप है, जो स्वच्छ ऊर्जा के जरिए विकास को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

प्रमुख लक्ष्य

  • भारत को पवन ऊर्जा उत्पादन में वैश्विक अग्रणी बनाना।
  • 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य (2030) में 100 GW या उससे अधिक योगदान सुनिश्चित करना।
  • घरेलू निर्माण क्षमता को बढ़ावा देना।
  • ग्रीन एनर्जी निवेश, तकनीकी नवाचार और नीति सुधारों को प्रोत्साहित करना।

मुख्य परिणाम

  • भारत ने 6 GW नई पवन क्षमता जोड़ने का लक्ष्य तय किया है (2025-26 तक)।
  • अब तक चालू वित्त वर्ष में 3 GW से अधिक क्षमता पहले ही जोड़ी जा चुकी है।
  • GST दर को 12% से घटाकर 5% किया गया, जिससे प्रति मेगावॉट 25 लाख की लागत में कमी आई।
  • आत्मनिर्भर विंड मिशन के तहत घरेलू सामग्री की हिस्सेदारी 70% से बढ़ाकर 85% करने का लक्ष्य।
  • ऑफशोर विंड एनर्जी (समुद्री पवन ऊर्जा) के लिए अंतराल निधि योजना शुरू; पहले चरण में गुजरात और तमिलनाडु में 500 MW-500 MW परियोजनाएं।
  • ALMM-Wind Framework से भारत 2030 तक वैश्विक मांग का 10% और 2040 तक 20% तक पूरा करने की स्थिति में।

भारत की पवन ऊर्जा क्षमता

  • भारत की कुल स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता 54 GW है।
  • अतिरिक्त 30 GW परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं।
  • राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (NIWE) के अनुसार, भारत में 1,164 GW क्षमता की संभावनाएँ हैं (150 मीटर हब ऊँचाई पर)।

मुख्य हॉटस्पॉट

  • भारत की कुल पवन ऊर्जा क्षमता में लगभग आधा योगदान तीन राज्यों से है—
    1. तमिलनाडु
    2. कर्नाटक
    3. आंध्र प्रदेश
  • इन राज्यों के तटीय और उच्चभूमि क्षेत्रों में निरंतर तेज़ हवाएँ पवन ऊर्जा के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती हैं।

सरकारी पहलें

  • आत्मनिर्भर विंड मिशन : स्थानीय निर्माण और तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहन।
  • VGF Scheme for Offshore Wind Projects : समुद्री पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु वित्तीय सहायता।
  • ALMM-Wind Framework : मानक आधारित निर्माण और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने की पहल।
  • GST कटौती (12% से 5%) : लागत में कमी और निवेश आकर्षण।
  • राज्यों के साथ सहयोग : भूमि अधिग्रहण, ग्रिड कनेक्टिविटी और बकाया भुगतान से संबंधित मुद्दों के समाधान हेतु समन्वय।

चुनौतियाँ

  • भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय मंजूरियों में विलंब।
  • ग्रिड कनेक्टिविटी और ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी।
  • असमान वायु घनत्व और मौसमी अस्थिरता से उत्पादन प्रभावित।
  • कुछ राज्यों में बकाया भुगतान और अनुबंध संबंधी विवाद।

आगे की राह

भारत को वर्ष  2030 तक 100 GW पवन ऊर्जा लक्ष्य हासिल करने के लिए:

  • राज्य व केंद्र सरकारों के समन्वय को और मजबूत करना होगा।
  • ऑफशोर विंड और हाइब्रिड प्रोजेक्ट्स (विंड+सोलर) को प्राथमिकता देनी होगी।
  • R&D और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना होगा ताकि भारत वैश्विक टरबाइन निर्माण केंद्र बन सके।
  • ग्रीन फाइनेंसिंग और निजी निवेश के अवसरों का विस्तार आवश्यक है।
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