(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान व निकाय) |
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम, 2013 (POSH Act) के दायरे में महिला राजनीतिक कार्यकर्ताओं को शामिल करने की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियाँ
- सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार महिला राजनीतिक कार्यकर्ताओं के इस तरह के समावेश से अधिनियम के इच्छित दायरे से परे दूरगामी परिणाम सामने आएंगे।
- POSH अधिनियम वर्तमान में संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों के कर्मचारियों को कवर करता है किंतु राजनीतिक कार्यकर्ताओं को नहीं, जिन्हें कर्मचारी के बजाय स्वयंसेवक माना जाता है।
- न्यायालय ने संकेत दिया कि यह मामला विधायी नीति से संबंधित है, न की न्यायिक विस्तार से। साथी ही, इसे संसद द्वारा ही सबसे बेहतर ढंग से संबोधित किया जा सकता है।
POSH अधिनियम (2013) के बारे में
- इसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित विशाखा दिशानिर्देशों (1997) को प्रभावी बनाने के लिए अधिनियमित किया गया है।
- इसका उद्देश्य यौन उत्पीड़न के विरुद्ध महिलाओं के लिए एक सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करना है।
- इसमें असंगठित क्षेत्रों सहित सार्वजनिक और निजी दोनों कार्यस्थल शामिल हैं।
आगे की राह
- इस अधिनियम में संशोधन या राजनीतिक कार्यकर्ताओं और सार्वजनिक जीवन के लिए एक नया कानून बनाने पर संभावित बहस
- महिला उत्पीड़न संबंधी शिकायतों के लिए राजनीतिक दलों के भीतर आंतरिक निवारण तंत्र को मजबूत करना