(प्रारंभिक परीक्षा: आर्थिक और सामाजिक विकास) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्पत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.3% से बढ़ाकर 6.5% कर दिया है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से मज़बूत घरेलू बाज़ार और सरकार के दूरदर्शी जी.एस.टी. सुधारों के प्रभाव का परिणाम है।
घरेलू मोर्चे प्रदर्श की स्थिति
- विश्व बैंक की अक्टूबर 2025 में जारी दक्षिण एशिया विकास अपडेट रिपोर्ट भारत के लिए सकारात्मक संकेत प्रस्तुत करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की अप्रैल-जून तिमाही में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.8% रही, जो सभी पूर्वानुमानों से अधिक है। इस प्रदर्शन का श्रेय बढ़ते निजी उपभोग, निवेश में तेज़ी और नियंत्रित मुद्रास्फीति को जाता है।
- विश्व बैंक के अनुसार भारत का दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बने रहने की उम्मीद है। इसका आधार उपभोग में निरंतर वृद्धि है।
- इसके अलावा कृषि उत्पादन में बेहतरी एवं ग्रामीण मज़दूरी में वृद्धि जैसी घरेलू परिस्थितियाँ अपेक्षा से बेहतर रही हैं जो अर्थव्यवस्था को वास्तविक मजबूती दे रही हैं।
- सरकार द्वारा जी.एस.टी. (वस्तु एवं सेवा कर) स्लैब को कम करने और अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाने जैसे सुधारों को भी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण कारक माना जा रहा है।
अगले वर्ष की चुनौती: ट्रम्प का टैरिफ वार
- रिपोर्ट में इसका भी उल्लेख है कि अमेरिकी टैरिफ की वृद्धि से भारतीय निर्यात पर दबाव पड़ेगा। अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों में मौजूदा तनावों के कारण भारत को अपने लगभग तीन-चौथाई माल पर 50% तक टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है।
- यह विकास अनुमान को 6.5% से घटाकर 6.3% करने का प्रमुख कारण बना है। भारत का लगभग 20% माल निर्यात अमेरिका को जाता है जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 2% है।
टैरिफ शुल्क
- टैरिफ (Tariff) का अर्थ आयात या निर्यात पर लगाए गए कर या शुल्क से है।
जब कोई देश दूसरे देश से वस्तुएँ आयात करता है तो सरकार उन वस्तुओं पर एक निश्चित कर लगाती है जिसे आयात शुल्क (Import Tariff) कहते हैं।
- इसी तरह, यदि कोई देश अपने निर्यात पर भी कोई कर लगाता है, तो उसे निर्यात शुल्क (Export Tariff) कहा जाता है।
निष्कर्ष
विश्व बैंक का कहना है कि 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी, किंतु 2026-27 में अमेरिकी टैरिफ के कारण भारतीय विकास की गति में कमी आ सकती है। इन बदलती परिस्थितियों के बीच भारत को अपने व्यापारिक और आर्थिक रणनीतियों को नई दिशा देने की आवश्यकता होगी।