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रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 : आंतरिक सुरक्षा)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, रक्षा मंत्रालय द्वारा नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (Defence Acquisition Procedure-DAP), 2020 जारी की गई है। पूर्व में इसे रक्षा खरीद प्रक्रिया (Defence Procurement Procedure-DPP) के नाम से जाना जाता था।

रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया, 2020 के मुख्य बिंदु

  • नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 1 अक्टूबर 2020 से, रक्षा खरीद प्रक्रिया 2016 को प्रतिस्थापित करेगी।
  • नई नीति में स्वदेशी फर्मों के लिये रक्षा खरीद से सम्बंधित कई वर्गों को आरक्षित किया गया है। इसमें भारतीय वेंडर को एक ऐसी कम्पनी के रूप में परिभाषित किया गया है, जो एक भारतीय नागरिक के स्वामित्त्व तथा नियंत्रण में हो तथा जिसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 49% से अधिक ना हो।
  • नई नीति में विदेशी रक्षा खरीद के समग्र अनुबंध के मूल्य का 50% भारत में निवेश किया जाएगा, जिससे स्वदेशीकरण की प्रवृति को बढ़ावा मिलेगा। इस प्रावधान से भारत में रक्षा उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा तथा रक्षा आयात में कमी होगी।
  • सरकार द्वारा जारी की गई 101 वस्तुओं की आयात प्रतिबंध सूची को विशेष रूप से नई रक्षा नीति में शामिल किया गया है। ध्यातव्य है कि अगस्त में सरकार द्वारा घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने हेतु कुछ देशों से विशिष्ट वस्तुओं के आयात को प्रतिबंधित किया गया है।
  • नई अधिग्रहण प्रक्रिया में रक्षा खरीद के सम्बंध में ऑफसेट क्लॉज़ (offset clause) के प्रावधान के तहत विदेशी आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अनुबंध के मूल्य के निर्धारित हिस्से का उपयोग (निर्माण या निवेश से सम्बंधित) भारत में ही किया जाएगा। ध्यातव्य है कि यह प्रावधान अंतर-सरकारी अनुबंधों में लागू नहीं होगा।

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रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया, 2020 के फ़ायदे

  • नई नीति के लागू होने से रक्षा खरीद की प्रक्रिया निर्धारित समय-सीमा के तहत पूरी हो सकेगी, जिससे रक्षा क्षेत्र को गति मिलेगी।
  • नई प्रक्रिया से परियोजनाओं के प्रबंधन में कुशलता एवं दक्षता हासिल करने के उद्देश्य से परियोजना प्रबंधन इकाई (Project Management Units) की स्थापना से कारोबारी सुगमता की अवधारणा को बल मिलेगा।
  • ऑफसेट क्लॉज़ का प्रावधान तकनीकी हस्तांतरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। क्योंकि इसके माध्यम से निजी क्षेत्र भारत में विदेशी आपूर्तिकर्ता की निवेश प्रतिबद्धता के विकल्प के रूप में तकनीकी हस्तांतरण प्राप्त कर सकता है।
  • रक्षा अधिग्रहण की इस नई नीति से रक्षा उद्योग में निजी क्षेत्र की सहभागिता में वृद्धि होगी।

आगे की राह

  • रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। इसलिये राष्ट्र की सम्प्रभुता तथा सैन्य श्रेष्ठता बनाए रखने हेतु घरेलू रक्षा उत्पादन पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
  • भारत के सामने दोनों मोर्चों पर पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद बना हुआ है। इस भू-रणनीतिक खतरे से निपटने हेतु रक्षा सुधारों को तीव्रता से लागू किया जाना चाहिये।
  • वर्ष 2018-19 में भारत का कुल रक्षा उत्पादन 80,558 करोड़ रुपए और निर्यात 8,320 करोड़ रुपए था। सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक घरेलू रक्षा उत्पादन को दोगुना तथा निर्यात को चार गुना करने के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु समय-समय पर नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (सिपरी) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत सैन्य क्षेत्र में खर्च करने वाला दुनिया का तीसरा (अमेरिका और चीन के बाद) सबसे बड़ा देश है। जब तक रक्षा सौदों में विदेशी कम्पनियों का प्रभुत्त्व रहेगा तब तक आत्म निर्भरता का नारा सफल नहीं हो सकता। इसलिये एल. एंड टी., महिंद्रा और भारत फोर्ज़ जैसी प्राइवेट कम्पनियों को रक्षा क्षेत्र में विशेष छूट प्रावधानों के साथ अवसर दिया जाना चाहिये।

प्री फैक्ट्स

  • पहली रक्षा खरीद प्रक्रिया वर्ष 2002 में शुरू की गई थी।
  • रक्षा खरीद प्रक्रिया 2016 को वर्ष 2013 की रक्षा खरीद प्रक्रिया से प्रतिस्थापित किया गया था।
  • रक्षा सौदों में ऑफसेट क्लॉज़ की शुरुआत वर्ष 2005 में की गई थी, जिसके तहत 300 करोड़ रुपए से अधिक की रक्षा पूँजी आयात पर सम्बंधित विदेशी आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अनुबंध के मूल्य का कम से कम 30% भारत में ही निवेश करना आवश्यक था।
  • रक्षा मंत्रालय द्वारा सशत्र बलों के सदस्यों के नवाचारी विचारों को जानने और उन्हें लागू करने हेतु IDEX4Fauji पहल तथा रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज या DISC के चौथे संस्करण की शुरुआत की गई है।

रक्षा अधिग्रहण परिषद् (Defence Acquisition Council-DAC)

  • रक्षा खरीद प्रक्रिया में भ्रष्टाचार से निपटने तथा सैन्य खरीद में तेज़ी लाने के उद्देश्य से वर्ष 2001 में भारत सरकार द्वारा रक्षा अधिग्रहण परिषद् की स्थापना की गई।
  • परिषद् के कार्यों में सशत्र बलों की अनुमोदित आवश्यकताओं की शीघ्र खरीद सुनिश्चित करना, आवंटित बजटीय संसाधनों का बेहतर उपयोग करना, अधिग्रहण सम्बंधी नीतिगत दिशा-निर्देश सुनिश्चित करना तथा सभी रक्षा अधिग्रहण से सम्बंधित सौदों को मंज़ूरी प्रदान करना शामिल है।
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