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अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय: अधिकार क्षेत्र और विवाद

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश)

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) पारित कर अफ़गानिस्तान में कथित रूप से युद्ध अपराधों में शामिल अमेरिकी सैनिक और अन्य लोगों के कृत्यों की जाँच कर रहे अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायलय (International Criminal Court- ICC) के अधिकारियों पर आर्थिक व पर्यटन सम्बंधी प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिये गए हैं।
  • यह आदेश अमेरिका के राज्य सचिव (US Secretary of State) को आई.सी.सी. अधिकारियों की अमेरिका में स्थित सम्पत्ति को ज़ब्त करने के साथ ही इनके अमेरिका में प्रवेश को भी प्रतिबंधित करता है।

क्या है मुद्दा?

  • अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने अफ़गानिस्तान और उसकी सीमा के बाहर कथित युद्ध अपराधों और मानवता के विरूद्ध कथित अपराधों के मामलों की जाँच हेतु अनुमति दी थी।
  • आई.सी.सी.के न्यायाधीशों ने इस प्रकार की जाँच को वीटो करने वाले अपने एक पुराने निर्णय को सर्वसम्मति से पलटते हुए अफ़गान सुरक्षा बलों, तालिबान और अमेरिकी सैन्यकर्मियों पर लगे युद्ध अपराधों की जाँच शुरू करने के पक्ष में फ़ैसला दिया था।
  • आई.सी.सी. के अभियोजक (Prosecutor) फ़तूं बेन्सूडा वर्ष 2003 से 2014 के मध्य किये गए सम्भावित अपराधों की जाँच करना चाहते हैं, जिनमें तालिबान द्वारा नागरिकों की सामूहिक हत्याएँ, अफ़गान अधिकारियों द्वारा कैदियों को दी गई यातनाएँ और कुछ हद तक अमेरिकी सेना तथा अमेरिकी जाँच एजेंसी (सी.आई.ए.) की युद्ध अपराधों में भूमिका शामिल है।
  • आई.सी.सी. के अभियोजन पक्ष द्वारा अपनी प्रारम्भिक जाँच के पश्चात वर्ष 2017 में जाँच शुरू करने का निर्णय लिया गया है। अभियोजन पक्ष का कहना है कि अफ़गानिस्तान में युद्ध अपराधों की जाँच के लिये उचित आधार पाए गए हैं तथा यह आई.सी.सी. का अधिकार क्षेत्र भी है।
  • अमेरिका द्वारा हेग स्थित आई.सी.सी. की कार्य प्रणाली पर युद्ध अपराधों, नरसंहार और मानवता के विरूद्ध अपराधों की जाँच के सम्बंध में कई बार आपत्ति दर्ज कराई गई है।
  • अमेरिका का पक्ष है कि न्यायालय का अधिकार क्षेत्र केवल तब है जब कोई सदस्य देश अपने यहाँ घटित अत्याचारों के विरूद्ध मुकदमे की कार्यवाही करने में असमर्थ या अनिच्छुक है। साथ ही, अमेरिका कभी भी न्यायलय का सदस्य नहीं रहा है।

आई.सी.सी. का अधिकार क्षेत्र

  • आई.सी.सी. केवल सदस्य देशों के मुकदमों या मामलों की ही सुनवाई कर सकता है तथा इसमें मामले की सुनवाई की कुछ शर्ते भी निर्धारित की गईं हैं।

1. जब किसी देश की राष्ट्रीय अदालत द्वारा उस मुद्दे या अपराध की सुनवाई या जाँच करने से इनकार कर दिया गया हो।
2. जब सयुंक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् द्वारा किसी मुद्दे को आई.सी.सी. के पास भेजा गया हो।

  • वर्तमान में आई.सी.सी. के कुल 124 सदस्य देश हैं। भारत इसका सदस्य देश नहीं है साथ ही, रूस, चीन, इजराइल, म्यामांर भी आई.सी.सी. के सदस्य देश नहीं हैं।
  • ज्ञात हो कि अमेरिका भी आई.सी.सी. का सदस्य देश नहीं है।

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायलय (आई.सी.सी.)

  • अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायलय 1 जुलाई 2002 को ‘रोम संविधि’ (Rome Statute) के तहत अस्तित्व में आया। यह न्यायालय ‘हेग’ (नीदरलैंड) में स्थित है।
  • यह पहला स्थाई और संधि आधारित अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय है, जो नरसंहार (Genocide), युद्ध अपराधों (War Crimes) और मानवता के विरुद्ध अपराधों के अभियोजन (Prosecution) हेतु सुनवाई का अंतिम विकल्प है।
  • मुख्य रूप से न्यायालय का वित्तपोषण सदस्य देशों द्वारा किया जाता है। हालाँकि, न्यायालय द्वारा सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, निगमों, व्यक्तियों और अन्य संस्थाओं से भी स्वैच्छिक योगदान प्राप्त किया जाता है।
    संरचना और मत प्रणाली
  • न्यायालय का प्रबंधन, निरीक्षण और विधायी कार्य, सदस्य देशों की सभा (Assembly) द्वारा किया जाता है। जिसका निर्माण प्रत्येक सदस्य देश (रोम संविधि के पक्षकार) के एक प्रतिनिधि द्वारा किया गया है।
  • प्रत्येक सदस्य देश का एक मत होता है तथा आम सहमति (Consensus) से निर्णय लेने हेतु ‘हर सम्भव प्रयास’ (Every Effort) किया जाना चाहिये। अगर आम सहमति नहीं हो पाती है तो निर्णय मत-प्रक्रिया द्वारा लिया जाता है।
  • सभा की अध्यक्षता एक अध्यक्ष और दो उपाध्यक्षों द्वारा की जाती है, जिन्हें सभा के सदस्यों द्वारा तीन वर्ष के कार्यकाल के लिये निर्वाचित किया जाता है।
  • सभा द्वारा न्यायाधीशों और अभियोजकों का चुनाव किये जाने के साथ ही न्यायालय के बजट सम्बंधी निर्णय भी लिये जाते हैं।

आलोचनाएँ

  • इस न्यायालय के पास संदिग्धों को गिरफ्तार करने की शक्ति प्राप्त नहीं है। सुनवाई और जाँच में सहयोग हेतु यह सदस्य राज्यों पर निर्भर है। जाँच और दंड देने हेतु प्राथमिक उत्तरदायित्व सदस्य देशों पर छोड़ दिया जाता है।
  • आई.सी.सी. पर भेदभावपूर्ण रवैये का आरोप लगता रहा है कि यह पश्चिमी साम्राज्यवाद से प्रेरित होने के कारण धनी और शक्तिशाली देशों द्वारा किये गए अपराधों की अनदेखी करते हुए छोटे, गरीब और कमज़ोर देशों के नेताओं को दण्डित करता है।

आगे की राह

  • अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का उद्देश्य कथित युद्ध अपराधों की जाँच “स्वतंत्र, निष्पक्ष और तटस्थ” भाव से करने के पश्चात ही मुक़दमें की कार्यवाही शुरू की जानी चाहिये।
  • इस बात से पूर्णतः सचेत रहने की आवश्यकता है कि बहुपक्षीय संस्थाएँ एक ज़िम्मेदार नेतृत्व के अभाव के कारण राजनैतिक प्रतिशोध लेने का माध्यम न बनने पाएँ।
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