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कोविड-19 के बाद सतत विकास लक्ष्यों का स्वरुप

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन आदि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय, गरीबी एवं भूख से सम्बंधित विषय)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में,सतत विकास पर ‘वर्चुअल उच्च-स्तरीय राजनीतिक मंच’ ने सरकारों और हितधारकों को इन वैश्विक लक्ष्यों पर नज़र रखते हुए बेहतर निर्माण नीतियोंकी आवश्यकता पर बल दिया है।

पृष्ठभूमि

कोरोना महामारी ने विश्व के लगभग सभी हिस्सों में लगभग हर प्रकार की मानवीय गतिविधियों को प्रभावित किया है। एशिया सबसे पहले कोविड-19 की चपेट में आया और इसके विनाशकारी सामाजिक व आर्थिक प्रभावों को महसूस किया। सतत विकास लक्ष्यों (एस.डी.जी.) की प्राप्ति में पहले से ही पीछे चल रहे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिये लॉकडाउन में छूट के बाद भी सामान्य स्थिति में वापस आना बहुत कठिन है। महामारी के खिलाफ चल रही ज़द्दोजेहद से स्पष्ट है कि गरीबी और भुखमरी के शिकार कितने सारे लोग अभी भी समाज में हैं।

महामारी के दौरान एस.डी.जी. की प्रगति: आशावाद के लिये एक आधार

  • एस.डी.जी. (SDGs) के रूप में वर्ष 2030 तक गरीबी उन्मूलन और सतत विकास को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता कठिन वक़्त में आशाकी एक किरण के रूप में काम कर सकती है।
  • इस महामारी ने कई प्रमुख प्रणालियों में भंगुरता और प्रणालीगत अंतराल को उजागर किया है। हालाँकि, देशों ने विकास लक्ष्यों से सम्बंधित प्रगति में तेज़ी लाने के साथ-साथ लचीलेपन को मज़बूत करने के लिये महामारी के दौरान व्यावहारिक रणनीतियों का उपयोग किया है।
  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों का विस्तार करने और सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों को मज़बूत करने के लिये देशों ने कई कदम उठाए हैं। इन कदमों में सुभेद्य तथाकमज़ोर लोगों के लिये नकद हस्तांतरण व खाद्य वितरण प्रणाली शामिल है। इन प्रयासों के लिये सटीक और नियमित डाटा की आवश्यकता अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • वंचित लोगों तक वित्तपोषण की पहुँच तथा छोटे व मध्यम आकार के उद्यमों के लिये सरकार द्वारा दिये जा रहे वित्तीय सहयोग से भी बड़े स्तर पर सहायता मिल रहीहै।
  • इसके अलावा, कई देशों ने भेदभाव के विभिन्न स्वरूपों के सम्बंध में व्यापक कदम उठाए हैं, विशेषकर लिंग असमानता और लिंग आधारित हिंसा से सम्बंधित क्षेत्रों के लिये।
  • निजी क्षेत्र और वित्तपोषण संस्थानों के साथ भागीदारी ने रचनात्मक समाधानों को बढ़ावा देने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महामारी के प्रति त्वरित प्रतिक्रिया और ये सभी अनुभव आशावाद के लिये नैतिक बल के साथ-साथ एक आधार प्रदान करते हैं।

एक क्रांतिकारी पहल की ज़रुरत:एशिया-प्रशांत देशों में पर्यावरण अनुकूल रिकवरी पर फोकस

  • एशिया और प्रशांत के कई देश विकास के लिये पर्यावरण अनुकूल रिकवरी (Green Recovery) और समावेशी दृष्टिकोण के लिये महत्त्वाकांक्षी नई रणनीतियों का विकास कर रहे हैं।
  • हाल ही में, दक्षिण कोरिया ने दो केंद्रीय स्तम्भों पर आधारित एक नए मसौदे या योजना की घोषणा की। ये दो स्तम्भ है: डिजिटलीकरण और अकार्बनीकरण।
  • प्रशांत क्षेत्र के कई देश ‘ब्लू रिकवरी’ पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिससे मत्स्य प्रबंधन के क्षेत्र में अधिक समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के अवसर का लाभ उठाया जा सके। ब्लू रिकवरी महासागरीय अर्थव्यस्था के माध्यम से क्षतिपूर्ति पर आधारित है
  • हाल ही में, भारत ने इस क्षेत्र में सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र के संचालन की घोषणा की है। साथ ही, चीन जीवाश्म ईंधन से सम्बंधित उद्योगों की तुलना में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अधिक नौकरियाँ पैदा कर रहा है।
  • संयुक्त राष्ट्र और एशियाई विकास बैंक जैसे संस्थान इस संकट के प्रति एक साझा प्रतिक्रिया का समर्थन करने के लिये एकजुट होकर आगे बढ़े हैं।

नीति-निर्माताओं के लिये सुझाव

  • इसके लिये नीतिगत मानसिकता के साथ-साथ व्यवहार्य में क्रांतिकारी बदलाव या आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता है। इन परिवर्तनों में महत्त्वपूर्ण भाग हैं:
    • समावेशी और जवाबदेह शासन प्रणाली
    • भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिये लचीलेपन के अनुकूल संस्थाएँ
    • सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य बीमा
    • मज़बूत डिजिटल बुनियादी ढाँचा

आगे की राह

कोविड-19 संकट के प्रति की जाने वाली जवाबी कार्यवाही लोगों की भलाई, उन्हें सशक्त बनाने और समानता को आगे बढ़ाने पर केंद्रित होनी चाहिये। लोगों के स्वास्थ्य और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिये व्यक्ति-पर्यावरण गठजोड़ में ताकतवर और सकारात्मक परिवर्तन एक सुरक्षित भविष्य की कुंजी है। अब यह महत्त्वपूर्ण हो गया है कि एस.डी.जी. के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये देशों को आगे बढ़ने के लिये उस समर्थन को सुरक्षित करने की आवश्यकता है, जो उन्हें सक्षम कर सकें।महामारी के प्रकोप के साथ, एस.डी.जी. को प्राप्त करने की दिशा में देशों को रिकवरी और प्रगति की गति को और मज़बूत करना चाहिये। कोरोना के बीच और लॉकडाउन में ढील के बाद ‘सतत विकास लक्ष्यों’ की प्राप्ति के लिये समग्र, व्यापक और अग्रगामी नीतियों की आवश्यकता है।

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