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हानिकारक ई.कोलाई को पानी से हटाने की फोटोकैटलिस्ट विधि

चर्चा में क्यों?

दुनिया भर में हर साल दूषित पानी पीने से लाखों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। पानी के इस परजीवी संक्रमण को दूर करने के लिये हाल ही में, ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय के इंजीनियरों ने एक नई तकनीक विकसित की है।

फोटोकैटलिस्ट विधि

  • विश्वविद्यालय के इंजीनियरों ने ग्राफिकल कार्बन नाइट्राइड और सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके पानी से घातक बैक्टीरिया, जैसे ई-कोलाई को हटाने के लिये एक बेहतर विधि ईजाद की है।
  • नए प्रकार की यह फोटोकैटलिस्ट विधि कम लागत वाली है और इसमें धातु का उपयोग भी नहीं होता है, यह रोगाणुओं से जुड़े प्रदूषण को रोकने में सबसे अधिक सक्षम विधि मानी जा रही है।
  • यदि इसमें और सुधार किया जाए तो यह सूर्य के प्रकाश से बड़ी मात्रा में पानी को साफ कर सकती है। जिन देशों की ताजे पानी तक सीमित पहुँच है यह विधि उनके लिये एक वरदान साबित हो सकती है।
  • इसमें सौर फोटोसैटेफिकेशन तकनीक के द्वारा फोटोकैटलिस्ट को इकट्ठा किया जाता है, जो अधिक टिकाऊ तरीके से और तेज़ी से कीटाणुओं को छान देता है।
  • उल्लेखनीय है कि इस दौरान ग्रेफाइटिक कार्बन नाइट्राइड ने पानी से कीटाणुओं को छानने के लिये धातु रहित फोटोकैटलिस्ट के रूप में वैज्ञानिक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है।
  • ध्यातव्य है कि पानी से होने वाली अधिकतर बीमारियाँ दूषित पानी पीने के कारण होती हैं। पानी से होने वाले रोगों में पेचिश, हैजा, टाइफाइड बुखार और अन्य परजीवी संक्रमण शामिल हैं।

ई-कोलाई

  • इशचेरिचिया कोलाई जिसे ई.कोलाई भी कहते हैं, छड़ी की आकृति का बैक्टीरिया होता है।
  • ई. कोलाई जीवाणु आमतौर पर स्वस्थ लोगों और जानवरों की आंतों में रहते हैं।
  • ई. कोलाई की अधिकांश किस्में हानिकारक नहीं होती हैं, लेकिन कुछ हानिकारक होती हैं।
  • यह पेट में दर्द और दस्त जैसे लक्षणों को पैदा करता है। कई बार इसकी वजह किडनी काम करना बंद कर देती है जिससे संक्रमित की मृत्यु तक हो जाती है।
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