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स्टेट ऑफ़ फ़ूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रीशन इन द वर्ल्ड, 2020 रिपोर्ट

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की समायिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: गरीबी एवं भूख से सम्बंधित विषय, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, ‘स्टेट ऑफ़ फ़ूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रीशन इन द वर्ल्ड, 2020 रिपोर्ट’ जारी की गई, जिसमें भूख, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण से सम्बंधित आधिकारिक आँकड़े जारी किये गए हैं।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • ‘स्टेट ऑफ़ फ़ूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रीशन इन द वर्ल्ड, 2020 रिपोर्ट’, ‘सयुंक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन’, ‘अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष’ और ‘यूनिसेफ’ के साथ-साथ ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ और ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ द्वारा प्रतिवर्ष सयुंक्त रूप से जारी की जाती है। इस रिपोर्ट का पहला संस्करण वर्ष 2017 में जारी किया गया था।
  • इस रिपोर्ट में सस्ते स्वास्थ्य आहारों की उपलब्धता के लिये खाद्य प्रणालियों को बेहतर बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। साथ ही, वर्तमान में खाद्य प्रणालियों व आदतों के पैटर्न के साथ छिपे हुए स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन लागतों पर भी एक नया विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
  • रिपोर्ट में सतत् विकास लक्ष्यों में भुखमरी तथा गरीबी को समाप्त करने के लिये सभी आवश्यक प्रयास करने की भी सिफ़ारिश की गई है।
  • यह रिपोर्ट इस बात का संकेत करती है कि खाद्य असुरक्षा और कुपोषण के ख़िलाफ़ लड़ाई आज भी एक महत्त्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर वर्ष 2030 तक ज़ीरो हंगर के लक्ष्य को पूरा करने हेतु गम्भीरता के साथ कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
  • कोविड-19 महामारी के चलते आर्थिक मंदी के कारण इस वर्ष वैश्विक स्तर पर लगभग 8-13 करोड़ लोगों के भूखे रहने की सम्भावना है। वर्ष 2019 में दुनिया भर में लगभग 69 करोड़ लोग भूख की समस्या से प्रभावित थे।
  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014 के बाद से भुखमरी में लगातार वृद्धि हो रही है और वैश्विक स्तर पर कुपोषण या भुखमरी से प्रभावित लोगों का समग्र प्रतिशत 8.9 है। वर्तमान में एशिया कुपोषित लोगों की संख्या में (लगभग 38 करोड़) पहले स्थान पर है तथा अफ्रीका दूसरे स्थान पर है। इसके बाद लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देश आते है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा के अनुसार, स्वस्थ और पोषक आहार की कीमत 143 रुपए (1.90 डॉलर) से अधिक है। विश्व में स्वस्थ आहार न पाने वाले लोगों की संख्या लगभग 300 करोड़ या चीन व भारत की सयुंक्त आबादी से भी अधिक है।

अन्य प्रमुख तथ्य

  • वर्ष 2019 के आँकड़ों के अनुसार, 5 वर्ष से कम आयु के लगभग 21.3% (14.4 करोड़) बच्चे बौनेपन (Stunting) के शिकार हैं, जबकि लगभग 6.9% (4.7 करोड़) बच्चे दुबलेपन (Wasting) की समस्या से प्रभावित हैं तथा 5.6% के करीब बच्चे मोटापे से पीड़ित हैं।
  • आर्थिक मंदी बेरोज़गारी को जन्म देती है तथा बेरोज़गारी से लोगों की भोजन तक पहुँच सीमित होती है, जिससे समस्या के और जटिल होने की सम्भावना है।
  • मुख्य समस्या लोगों द्वारा स्वस्थ व पोषक आहार को खरीदने की अक्षमता है।

इस रिपोर्ट में नया क्या है?

  • वर्ष 2020 की रिपोर्ट में जनसंख्या के नए आँकड़े, नए खाद्य संतुलन चार्टर और चीन सहित कई अधिक आबादी वाले देशों के लिये घरेलू सर्वेक्षण सम्बंधी डाटा एवं ताज़ा आँकड़ों को भी उपलब्ध करवाया गया है, जोकि भुखमरी का सटीक अनुमान लगाने में अत्यधिक सहायक सिद्ध होंगे।
  • रिपोर्ट में वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण के आधार पर कोविड-19 महामारी का खाद्य सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का भी मूल्यांकन किया गया है।

रिपोर्ट में सरकारों को दिये गए सुझाव

  • पोषण आधारित खाद्यान्न फसलों को कृषि की मुख्यधारा में शामिल किया जाना चाहिये।
  • भोजन की बर्बादी के साथ-साथ भोजन के उत्पादन, भण्डारण, परिवहन और वितरण व विपणन सम्बंधी लागतों में कमी करने के प्रयास किये जाने चाहिये
  • स्थानीय व लघु-स्तर के उत्पादकों को अधिक पौष्टिक खाद्य पदार्थों को उगाने एवं बेचने हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिये, ताकि बाज़ार तक उनकी पहुँच सुनिश्चित हो सके।
  • बच्चों के खाने में पोषण की प्राथमिकता पर बल दिया जाना चाहिये। साथ ही, शिक्षा और संचार के माध्यम से उनके खाद्य व्यवहार में परिवर्तन लाने पर ज़ोर दिया जाना चाहिये।
    • राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों और निवेश रणनीतियों में पोषण को एक महत्त्वपूर्ण आधारभूत आवश्यकता के रूप में अपनाया जाना चाहिये।\

आगे की राह

  • कुपोषण तथा गरीबी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। कुपोषण का मुख्य कारण गरीबी है इसलिये कुपोषण से लड़ने के लिये पहले ग़रीबी की समस्या को समाप्त करने हेतु आवश्यक कदम उठाने होंगे।
  • भारत में पर्याप्त खाद्यान्न उत्पादन के बावजूद व्यापक स्तर पर कुपोषण तथा भुखमरी की समस्या गहरी हैं। इसके सुधार हेतु देश के प्रशासनिक तंत्र को भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी तथा प्रतिक्रियात्मक बनाने पर बल दिया जाना चाहिये।
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