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वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2021

प्रारंभिक परीक्षा के लिए - वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2021, वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम 1972, CITES
मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3  - पर्यावरण संरक्षण

संदर्भ 

  • हाल ही में राज्यसभा द्वारा वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया गया।
  • वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन(CITES) के बेहतर कार्यान्वयन के लिए यह मसौदा कानून वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन करता है।

विधेयक द्वारा प्रस्तावित संशोधन

  • विधेयक के तहत, अनुसूचित पशुओं के जीवित नमूनों को रखने वाले लोगों को प्रबंधन प्राधिकरण से पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
  • विधेयक के द्वारा राज्य में सभी अभयारण्यों को नियंत्रित, प्रबंधित और बनाए रखने का अधिकार, मुख्य वन्यजीव वार्डन को दिया गया है।
    • मुख्य वन्यजीव वार्डन की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है।
    • विधेयक निर्दिष्ट करता है, कि मुख्य वार्डन के कार्य अभयारण्य के लिए  प्रबंधन योजनाओं के अनुरूप होने चाहिए।
  • विशेष क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले अभयारण्यों के लिए(जहां एफआरए 2006 लागू है और 5 वीं अनुसूची के अंतर्गत आते हैं), संबंधित ग्राम सभा के परामर्श के बाद प्रबंधन योजना तैयार की जानी चाहिए।
  • विधेयक, केंद्र सरकार द्वारा एक प्राधिकरण की नियुक्ति करने का प्रावधान करता है, जो वन्यजीवों के व्यापार के लिए निर्यात या आयात लाइसेंस प्रदान करेगा।
  • विधेयक के अंतर्गत संशोधनों के द्वारा, धारा 43 में हाथियों का 'धार्मिक या किसी अन्य उद्देश्य' के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति प्रदान की गयी है।
  • विधेयक, किसी भी व्यक्ति को स्वेच्छा से किसी भी बंदी जानवरों या पशु उत्पादों को चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को सौंपने का प्रावधान करता है। ऐसी वस्तुओं को वापस करने के लिए व्यक्ति को कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा। 
  • विधेयक केंद्र सरकार को आक्रामक विदेशी प्रजातियों के आयात, व्यापार, कब्जे या प्रसार को विनियमित या प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है।
  • वर्तमान में, अधिनियम में पौधों, जानवरों और वर्मिन प्रजातियों के लिए कुल छह अनुसूचियां हैं, प्रस्तावित विधेयक के द्वारा अनुसूचियों की संख्या को घटाकर चार कर दिया गया है तथा वर्मिन प्रजातियों के लिए अनुसूची को हटा दिया गया है। 
    • अनुसूची I - पशु प्रजातियां जिन्हे उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्राप्त है 
    • अनुसूची II - पशु प्रजातियां जो कुछ हद तक सुरक्षा के अधीन है 
    • अनुसूची III - संरक्षित पौधों की प्रजातियाँ
    • अनुसूची IV - सीआईटीईएस (अनुसूचित नमूने) के तहत परिशिष्ट में सूचीबद्ध नमूने
  • विधेयक के द्वारा CITES के तहत सूचीबद्ध वन्यजीवों के लिए एक अनुसूची को भी सम्मिलित किया गया है।
  • प्रस्तावित विधेयक के द्वारा अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के लिये निर्धारित दंड में भी वृद्धि की गयी है।
  • विधेयक के द्वारा सामान्य उल्लंघनों के लिए दंड को 25,000 से बढ़ाकर 1,00,000 कर दिया गया और विशेष रूप से संरक्षित जानवरों के मामले में उल्लंघन के लिए जुर्माना 10,000 से 25,000 कर दिया गया है।

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972

  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 भारत में वन्यजीव संरक्षण को नियंत्रित करता है।
  • यह वन्यजीव सलाहकार बोर्ड, वन्यजीव वार्डन की नियुक्ति, उनकी शक्तियों, कर्तव्यों आदि का प्रावधान करता है।
  • इस अधिनियम के द्वारा राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों आदि की स्थापना का प्रावधान किया गया।
  • यह अधिनियम भारतीय वन्यजीव बोर्ड (IBWL),केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण तथा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के गठन का भी प्रावधान करता है।

वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन(CITES)

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  • CITES, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के खतरों से लुप्तप्राय पौधों और जानवरों की रक्षा के लिए एक बहुपक्षीय संधि है।
  • इसका उद्देश्य, यह सुनिश्चित करना है कि जंगली जानवरों और पौधों के नमूनों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से वन्यजीव प्रजातियों के अस्तित्व के समक्ष कोई संकट उत्पन्न ना हो।
  • 1963 में IUCN के सदस्यों की बैठक में अपनाए गए एक संकल्प के परिणामस्वरूप CITES का मसौदा तैयार किया गया था।
  • CITES 1 जुलाई 1975 को लागू हुआ, इसका मुख्यालय जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में है।
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