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मेघालय के रिंडिया सिल्क और खासी हैंडलूम को GI टैग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने मेघालय के दो पारंपरिक वस्त्र उत्पादों - रिंडिया सिल्क और खासी हैंडलूम को आधिकारिक तौर पर भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्रदान किए हैं। 

दोनों वस्त्र उत्पादों के बारे में:

  • रिंडिया सिल्क के विशेष गुण:
    • हाथ से बुनी गई और प्राकृतिक रूप से रंगी हुई।
    • जैविक रूप से उत्पादित एवं नैतिक रूप से संगृहीत।
    • हस्तनिर्मित वस्त्र, जो पारंपरिक तरीकों से तैयार किए जाते हैं।
    • उमदेन-दीवोन क्षेत्र से जुड़ी हुई, जिसे 2021 में मेघालय का पहला एरी सिल्क गांव घोषित किया गया।
  • खासी हैंडलूम के विशेष गुण:
    • खासी समुदाय की पारंपरिक वस्त्र कला का प्रतिनिधित्व।
    • अद्वितीय बुनाई तकनीक और प्राकृतिक रंगों के उपयोग के लिए प्रसिद्ध।
    • पीढ़ियों से चली आ रही सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा।

भौगोलिक संकेत (GI) टैग के बारे में:

  • GI टैग एक बौद्धिक संपदा अधिकार है जो किसी उत्पाद को उसके विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से जोड़ता है।
  • उद्देश्य: उत्पाद की प्रामाणिकता, गुणवत्ता और विशिष्टता की रक्षा करना।
  • भारत में GI टैग 2003 के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम के अंतर्गत दिया जाता है।
  • प्राधिकरण: GI टैग प्रदान करने वाली संस्था है - GI रजिस्ट्रार, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑफिस, चेन्नई।

किन उत्पादों को मिलता है:

  • कृषि उत्पाद, हस्तशिल्प, वस्त्र, खाद्य सामग्री आदि, जो किसी विशेष क्षेत्र से जुड़े होते हैं।

भारत का पहला GI टैग:

  • दार्जिलिंग चाय (2004)

प्रश्न: हाल ही में केंद्र सरकार ने मेघालय के किन दो पारंपरिक वस्त्र उत्पादों को GI टैग प्रदान किया है?

  1. एरी सिल्क और गारो शॉल

  2. रिंडिया सिल्क और खासी हैंडलूम

  3. खासी शॉल और जयंतिया हैंडलूम

  4. नागा सिल्क और मिज़ो हैंडलूम

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