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कुत्तों के प्रबंधन पर दिशानिर्देश

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ 

राज्य-स्तरीय नीतियाँ बनाने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश (जुलाई 2025) के बाद राजस्थान सरकार आवारा कुत्तों के प्रबंधन पर व्यापक दिशानिर्देश जारी करने वाला पहला राज्य बन गया है। राजस्थान का यह कदम मनुष्यों और पशुओं के बीच सह-अस्तित्व के सिद्धांत के अनुरूप अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श के रूप में कार्य करेगा।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय 

  • उच्चतम न्यायालय ने कुत्तों के काटने (Dog Bite) के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की थी और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कार्य योजनाएँ प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
  • सर्वोच्च न्यायालय का फैसला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आवारा कुत्तों की आबादी पर नियंत्रण से संबंधित था।

राज्य द्वारा आवश्यक दिशानिर्देश 

  • पशु जन्म नियंत्रण (Animal Birth Control: ABC) नियम, 2023 के अंतर्गत नसबंदी और टीकाकरण अभियान
  • पशु कल्याण और जन स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाने के लिए निर्धारित फीडिंग ज़ोन
  • शिकायत निवारण व कुत्तों के काटने की रोकथाम के लिए नगरपालिका की ज़िम्मेदारी
  • ज़िम्मेदार पालतू जानवरों के स्वामित्व को प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता अभियानों को बढ़ावा देना

स्थानीय स्वाशासन के निर्देश 

  • स्थानीय स्वशासन विभाग ने सभी नगर निगमों, नगर परिषदों एवं नगर पालिकाओं को पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2023 का कड़ाई से पालन करने के लिए व्यापक निर्देश जारी किए हैं।
  • दिशानिर्देशों के अनुसार : 
    • प्रत्येक वार्ड व मोहल्ले में आवारा कुत्तों के लिए फीडिंग ज़ोन निर्धारित किए जाएँगे। 
    • उनकी नसबंदी, टीकाकरण एवं कृमिनाशक के लिए नए केंद्र स्थापित किए जाएँगे। 
    • निर्देशों में कुत्तों को पकड़ने, उनका इलाज करने और उन्हें छोड़ने के लिए की जाने वाली कार्रवाई शामिल है। 
    • शहरी स्थानीय निकायों को 30 दिनों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

मानवीय दृष्टिकोण 

  • दिशानिर्देशों में कुत्तों को पकड़ने के लिए चिमटे, तार या फंदे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है। 
    • इसके बजाय प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा ‘मानवीय व्यवहार’ अनिवार्य किया गया है। 
  • कुत्ता पकड़ने वाली प्रत्येक टीम में एक वैन चालक, दो या अधिक प्रशिक्षित नगरपालिका कर्मचारी तथा पशु कल्याण संगठन का एक प्रतिनिधि शामिल होगा।
  • बीमार या घायल कुत्तों की नसबंदी, उपचार एवं स्वस्थ होने के बाद ही किया जा सकता है। 
  • छह महीने से कम आयु के कुत्तों को न तो पकड़ा जा सकता है और न ही उनकी नसबंदी की जा सकती है। 
  • नसबंदी, टीकाकरण एवं कृमि मुक्ति के बाद कुत्तों को उनके मूल स्थानों पर वापस छोड़ दिया जाएगा।

स्थानीय सहभागिता एवं निगरानी तंत्र 

  • भारतीय पशु कल्याण बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त गैर-सरकारी संगठनों को एक आवारा कुत्ते को पकड़ने के लिए 200 और नसबंदी, भोजन एवं ऑपरेशन के बाद की देखभाल के लिए 1,450 मिलेंगे। 
  • नसबंदी, टीकाकरण एवं रिहाई कार्यक्रमों की समीक्षा के लिए प्रत्येक नगर निकाय में एक निगरानी समिति का गठन किया जाएगा।
  • चिकित्सा प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ऑपरेशन थिएटर और ए.बी.सी. केंद्रों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। 
  • दिशानिर्देशों में कहा गया है कि रेबीज या बार-बार काटने के संदिग्ध कुत्तों को मानवीय तरीके से पकड़कर पशु चिकित्सा पर्यवेक्षण में केनेल में तब तक अलग रखा जाना चाहिए जब तक कि उनकी प्राकृतिक मृत्यु न हो जाए।
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