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इंटरपोल का सिल्वर नोटिस

(प्रारंभिक परीक्षा : महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठन)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-2 & 3, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश; धन-शोधन और इसे रोकना)

परिचय

इंटरपोल ने भारत के अनुरोध पर एक बड़े वीजा धोखाधड़ी के आरोपी पूर्व फ्रांसीसी दूतावास के अधिकारी शुभम शौकीन से जुड़ी अवैध संपत्तियों का पता लगाने के लिए अपना पहला सिल्वर नोटिस जारी किया है।

इंटरपोल के बारे में

  • पूर्ण नाम: अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (International Criminal Police Organization)
  • स्थापना: वर्ष 1923 में वियना में द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय पुलिस कांग्रेस के दौरान
  • मुख्यालय : ल्योन, फ्रांस
  • सदस्य देश: वर्तमान में 196 सदस्य देश (भारत सहित)
  • उद्देश्य:
    • वैश्विक पुलिस सहयोग को बढ़ावा देना।
    • अंतरराष्ट्रीय अपराधों जैसे आतंकवाद, साइबर अपराध, मानव तस्करी, नशीली दवाओं की तस्करी आदि से निपटना।
    • सदस्य देशों के बीच आपराधिक जानकारी साझा करना।

संगठन की संरचना

  • महासभा (General Assembly) 
    • सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था
    • प्रत्येक सदस्य देश इसमें प्रतिनिधित्व करता है। 
    • यह संगठन की नीतियाँ और कार्यक्रम तय करती है। 

  • कार्यकारी समिति (Executive Committee)
    • महासभा द्वारा निर्वाचित
    • दैनिक कार्यों की निगरानी
    • इस समिति में कुल 13 सदस्य (अध्यक्ष, तीन उपाध्यक्ष और चार इंटरपोल क्षेत्रों: अफ्रीका, अमेरिका, एशिया और यूरोप का प्रतिनिधित्व करने वाले नौ प्रतिनिधि शामिल)
    • भारत इस समिति का सदस्य है।
  • सचिवालय (General Secretariat)
    • इंटरपोल का प्रशासनिक निकाय
    • प्रमुख : महासचिव (वर्तमान महासचिव वाल्डेसी उरक्विज़ा Valdecy Urquiza)
  • नेशनल सेंट्रल ब्यूरो (NCB)
    • प्रत्येक सदस्य देश में एक NCB होता है, जो इंटरपोल और स्थानीय पुलिस के बीच समन्वय स्थापित करता है।
    • भारत में इसका संचालन CBI के माध्यम से किया जाता है।

इंटरपोल की नोटिस प्रणाली

  • इंटरपोल आठ प्रकार के रंग-कोडित नोटिस जारी करता है: 
    1. रेड नोटिस: वांछित अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए।
    2. येलो नोटिस: लापता व्यक्तियों की खोज के लिए।
    3. ब्लू नोटिस: आपराधिक जांच के लिए जानकारी एकत्र करना।
    4. ब्लैक नोटिस: अज्ञात शवों की पहचान के लिए।
    5. ग्रीन नोटिस: आपराधिक गतिविधियों की चेतावनी।
    6. ऑरेंज नोटिस: सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरे की चेतावनी।
    7. पर्पल नोटिस: अपराधियों की तकनीकों और विधियों की जानकारी।
    8. सिल्वर नोटिस: आपराधिक संपत्तियों का पता लगाने के लिए (पायलट चरण में)।
  • इसके अतिरिक्त, इंटरपोल-संयुक्त राष्ट्र विशेष नोटिस संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों से संबंधित मामलों के लिए जारी किया जाता है।

सिल्वर नोटिस के बारे में

  • क्या है : यह एक नया नोटिस है, जिसे इंटरपोल ने वर्ष 2023 में वियना में अपनी 91वीं जनरल असेंबली में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया।
  • उद्देश्य : यह नोटिस आपराधिक गतिविधियों से जुड़ी संपत्तियों, जैसे कि धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, नशीली दवाओं की तस्करी, पर्यावरणीय अपराध आदि से संबंधित संपत्तियों (जैसे संपत्ति, वाहन, वित्तीय खाते, और व्यवसाय) का पता लगाने और उनकी जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है।
  • शामिल देश : इस पायलट प्रोजेक्ट में 52 देश शामिल हैं।

विशेषताएं

  • प्रक्रिया: सदस्य देश सिल्वर नोटिस या सिल्वर डिफ्यूजन नोटिस के माध्यम से विशिष्ट देशों से जानकारी मांग सकते हैं।
  • समीक्षा: इंटरपोल सचिवालय प्रत्येक नोटिस की समीक्षा करता है ताकि यह सुनिश्चित हो कि इसका उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा रहा है।
  • गोपनीयता: पायलट चरण के दौरान, सिल्वर नोटिस की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी।

भारत के लिए महत्व

भारत में कम से कम 10 भगोड़े आर्थिक अपराधी हैं, और विदेशों में स्थानांतरित काले धन की मात्रा का अनुमान लगाना मुश्किल है। सिल्वर नोटिस भारत के लिए निम्नलिखित तरीकों से सहायक हो सकता है:

  • अवैध संपत्तियों का पता लगाना: सिल्वर नोटिस भारत को उन अपराधियों की संपत्तियों का पता लगाने में मदद करेगा, जिन्होंने अवैध धन को टैक्स हेवन में स्थानांतरित किया है।
  • संपत्ति जब्ती और वसूली: नोटिस से प्राप्त जानकारी का उपयोग द्विपक्षीय सहयोग के लिए किया जा सकता है, जैसे कि संपत्ति जब्ती या रिकवरी के लिए।
  • अंतरराष्ट्रीय अपराध से निपटना: आपराधिक वित्तीय लाभ को लक्षित करना अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध से लड़ने का एक शक्तिशाली तरीका है, क्योंकि 99% आपराधिक संपत्तियां अभी तक वसूल नहीं की गई हैं।

निष्कर्ष

इंटरपोल का सिल्वर नोटिस भारत जैसे देशों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आर्थिक अपराधियों और उनकी अवैध संपत्तियों को ट्रैक करने में मदद करेगा। यह न केवल भारत को अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम बनाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर संगठित अपराध और काले धन के खिलाफ लड़ाई को भी मजबूत करेगा।

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