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राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद

संदर्भ

  • हाल ही में, भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद (NSAC) में गैर-आधिकारिक सदस्यों को नामित किया है।
  • परिषद में 28 गैर-आधिकारिक सदस्यों को नामित किया गया है, जिसमें बायजू के सी.ई.ओ, ओला के सह-संस्थापक, कलारी कैपिटल के प्रबंध निदेशक तथा सॉफ्टबैंक इंडिया के प्रमुख शामिल हैं।

राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद (NSAC)

  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ने देश में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये 21 जनवरी, 2020 को ‘राष्ट्रीय स्टार्टअप सलाहकार परिषद’ (NSAC) का गठन किया था।
  • इस परिषद की अध्यक्षता वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री द्वारा की जाती है।
  • सयुक्त सचिव से उच्च पद के संबंधित मंत्रालयों, विभागों और संगठनों से संबंधित अधिकारी परिषद के पदेन सदस्‍य होंगे।
  • उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्‍यापार विभाग के संयुक्‍त सचिव परिषद के संयोजक होंगे।
  • परिषद के गैर-आधिकारिक सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, तक होगा।
  • गैर-आधिकारिक सदस्यों को केन्‍द्र सरकार द्वारा सफल स्‍टार्टअप्‍स के संस्‍थापकों, भारत में कंपनी बनाने और उसे विकसित करने में अनुभवी व्‍यक्तियों, इन्‍क्‍यूबेटरों एवं उत्‍प्रेरकों के हितों तथा स्‍टार्टअप्‍स में निवेशकों के हितों का प्रति‍निधित्‍व करने में सक्षम लोगों, और स्‍टार्टअप्‍स के हितधारकों के संघों एवं औद्योगिक संघों के प्रतिनिधियों जैसे विभिन्‍न वर्गों से नामांकित किया जाता है।

प्रमुख उद्देश्य

  • देश में नवाचार और स्टार्टअप के लिये मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने हेतु सरकार को आवश्यक उपायों पर सलाह देना।
  • नागरिकों, विशेषकर विद्यार्थियों में नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना।
  • कस्बों एवं ग्रामीण क्षेत्रों सहित देश भर में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहन देना।
  • अनुसंधान के माध्यम से रचनात्मक और नवीन विचारों को समर्थन और उनका विकास करना।
  • उद्योगों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये अनुकूल वातावरण विकसित करना, जिससे ‘व्यापार सुगमता सूचकांक’ में बेहतर स्थिति प्राप्त की जा सके।
  • सेवाओं में सुधार के उद्देश्य से सार्वजनिक संगठनों को नवाचार को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना।
  • बौद्धिक संपदा अधिकार के संरक्षण और व्यावसायीकरण को प्रोत्साहन देना।
  • नियामकीय अनुपालन और लागत को कम करते हुये कारोबार शुरू करने, इसके विकास और बंद करने की प्रक्रिया को सुगम बनाना।
  • स्टार्टअप्स के लिये पूंजी की आसान उपलब्धता तथा निवेश के लिये घरेलू पूंजी को प्रोत्साहन देना।
  • भारतीय स्टार्टअप्स के लिये वैश्विक पूंजी आकर्षित करना और वैश्विक बाज़ारों तक पहुँच उपलब्ध कराना।
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