New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM June End Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 27th June 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM June End Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 27th June 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM

ओरल टॉलरेंस पर नया अध्ययन: प्रतिरक्षा प्रणाली की जटिलता का एक नया आयाम

संदर्भ

इज़राइल के वाइज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (WIS) के वैज्ञानिकों ने प्रतिरक्षा कोशिकाओं के एक महत्वपूर्ण नेटवर्क की पहचान की है जो ओरल टॉलरेंस (Oral Tolerance) के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

क्या है ओरल टॉलरेंस 

  • यह मानव प्रतिरक्षा प्रणाली की एक जैविक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से शरीर यह पहचानने में सक्षम होता है कि भोजन में उपस्थित प्रोटीन या अणु हानिकारक नहीं हैं और उन पर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए।
  • यह तंत्र शरीर को खाद्य एलर्जी, आंत संबंधी सूजन और अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों से बचाने में अहम भूमिका निभाता है। 

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष 

  • पारंपरिक दृष्टिकोण को चुनौती : अब तक यह माना जाता था कि डेंड्राइटिक कोशिकाएँ (Dendritic Cells) भोजन के प्रति सहिष्णुता को नियंत्रित करती हैं। किंतु शोध से पता चला है कि इनके अभाव में भी शरीर भोजन को स्वीकार करता है।
  • ROR-गामा-टी कोशिकाओं की खोज : वैज्ञानिकों ने प्रतिरक्षा कोशिकाओं के एक अन्य समूह की पहचान की है जिन्हें ROR-गामा-टी कोशिकाएँ कहा जाता है और जो इस प्रक्रिया के वास्तविक चालक हैं।
    • ये दुर्लभ कोशिकाएँ चार विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं को सम्मिलित करते हुए एक श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया शुरू करती हैं, जो अंततः शरीर की हमलावर कोशिकाओं (CD8 कोशिकाएँ) को भोजन के प्रति प्रतिक्रिया करने से रोकती हैं।
  • संक्रमण के समय अस्थायी बदलाव : जब शरीर को किसी संक्रमण से लड़ना होता है, तब यह तंत्र अस्थायी रूप से स्थगित हो जाता है और प्रतिरक्षा प्रणाली रोगजनकों पर ध्यान केंद्रित करती है। बाद में यह पुनः सामान्य स्थिति में लौट आता है।

अध्ययन का महत्व

यह खोज प्रतिरक्षा विज्ञान में एक क्रांतिकारी कदम है, जो ओरल टॉलरेंस की जटिलता को उजागर करती है। ROR-गामा-टी कोशिकाओं की भूमिका की पहचान न केवल इस प्रक्रिया को समझने में मदद करती है, बल्कि कई क्षेत्रों में संभावित अनुप्रयोगों को भी खोलती है:

  • खाद्य एलर्जी और संवेदनशीलता का उपचार: विश्व भर में खाद्य एलर्जी, जैसे- मूंगफली या दूध से एलर्जी और संवेदनशीलता, जैसे- ग्लूटेन असहिष्णुता, लाखों लोगों को प्रभावित करती हैं। ROR-गामा-टी कोशिकाओं की कार्यप्रणाली को समझकर ऐसी चिकित्सा प्रक्रियाएँ विकसित की जा सकती हैं जो प्रतिरक्षा सहनशीलता को बहाल करें और भोजन प्रोटीनों पर अनावश्यक हमलों को रोकें।
  • स्व-प्रतिरक्षी विकारों पर प्रभाव : सीलिएक रोग जैसे विकार (जहाँ प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से ग्लूटेन पर हमला करती है) इन कोशिकाओं की नियामक प्रक्रियाओं को बढ़ाकर या उनकी नकल करके प्रबंधित किए जा सकते हैं। यह ऊतक क्षति को कम करने में मदद कर सकता है।
  • प्रतिरक्षा विज्ञान में प्रगति : यह खोज दुर्लभ कोशिकाओं की भूमिका पर गहन शोध को प्रोत्साहित करती है जो भविष्य में अंग प्रत्यारोपण, कैंसर इम्यूनोथेरेपी या अन्य प्रतिरक्षा-मध्यस्थ प्रक्रियाओं में नए अनुप्रयोगों को जन्म दे सकती है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए लाभ : मौखिक सहनशीलता की बेहतर समझ से भोजन-संबंधी विकारों का उपचार बेहतर होगा, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा और स्वास्थ्य देखभाल लागत कम होगी। यह पोषण एवं स्वास्थ्य नीतियों में प्रतिरक्षा अनुसंधान को एकीकृत करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR