(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन, आतंरिक सुरक्षा, भारतीय सैन्य क्षमता) |
संदर्भ
7 से 10 मई 2025 के भारत-पाकिस्तान संघर्ष (ऑपरेशन सिंदूर) में ड्रोन और काउंटर-ड्रोन तकनीकों ने युद्ध की रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ड्रोन के बारे में
- यह एक मानव रहित हवाई वाहन (UAV) होता है, जो बिना मानव पायलट के रिमोट कंट्रोल या स्वायत्त तकनीक के माध्यम से संचालित होता है।
- यह सैन्य, नागरिक, और व्यावसायिक उपयोग के लिए डिज़ाइन किया जाता है, जिसमें निगरानी, टोही, हमला, डिलीवरी, और डेटा संग्रह जैसे कार्य शामिल हैं।
ड्रोन की विशेषताएँ
- स्वायत्त उड़ान: AI और GPS-आधारित प्रणाली से बिना मानव हस्तक्षेप के उड़ान और नेविगेशन।
- रिमोट कंट्रोल: ऑपरेटर द्वारा रिमोट से नियंत्रित, जैसे- सैन्य ड्रोन में।
- रेंज: कुछ किमी. से हजारों किमी. (MQ-9B: 1,800 किमी) तक।
- सहनशक्ति: कुछ मिनटों से लेकर 40 घंटे तक (जैसे CH-4 ड्रोन)।
- कैमरा और सेंसर: HD कैमरा, इन्फ्रारेड (IR), थर्मल इमेजिंग, और रडार।
- हथियार: मिसाइल, बम, या लेजर-गाइडेड विस्फोटक (जैसे हारोप ड्रोन)।
- लो-रडार सिग्नेचर: रडार से बचने के लिए स्टील्थ डिज़ाइन (जैसे हारोप)।
- जैमिंग रोधी: GPS और रेडियो सिग्नल जैमिंग से बचाव (जैसे खरगा ड्रोन)।
- लॉइटरिंग मुनिशन: कुछ ड्रोन (जैसे हारोप, नागास्त्र) लक्ष्य क्षेत्र में मंडराते हैं और सटीक हमला करते हैं। ‘कामिकाज़े’ ड्रोन लक्ष्य पर आत्मघाती हमला करते हैं।
विविध उपयोग
- सैन्य: निगरानी, टोही, हमला (जैसे ऑपरेशन सिंदूर में हारोप)।
- नागरिक: कृषि (कीटनाशक छिड़काव), आपदा प्रबंधन, डिलीवरी (जैसे अमेज़न ड्रोन)।
- वैज्ञानिक: पर्यावरण निगरानी, मौसम डेटा संग्रह।
भारत द्वारा सुरक्षा के लिए ड्रोन प्रयोग
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर (7-11 मई 2025) में आतंकी ठिकानों और पाकिस्तानी सैन्य लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए उन्नत ड्रोन तकनीकों का उपयोग किया।
प्रयोग किये गए प्रमुख ड्रोन निम्नलिखित हैं:
हारोप (Harop) ड्रोन
- उत्पत्ति: इज़राइल (IAI द्वारा निर्मित)
- प्रकार: लॉइटरिंग मुनिशन (कामिकाज़े/सुसाइड ड्रोन)
- विशेषताएं:
- रेंज: 1,000 किमी
- लॉइटरिंग समय: 6 घंटे
- रडार-सीकिंग क्षमता, GNSS जैमिंग से सुरक्षित
- ट्यूब-लॉन्च सिस्टम से तैनात, मोबाइल ग्राउंड वाहनों या नौसैनिक प्लेटफॉर्म से लॉन्च
- उपयोग: पाकिस्तान के लाहौर में एयर डिफेंस सिस्टम (जैसे HQ-9) को नष्ट करने में प्रभावी। ऑपरेशन सिंदूर में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह करने में महत्वपूर्ण भूमिका।
वॉरमेट (Warmate)
- उत्पत्ति: पोलैंड (आयातित, भारत में लाइसेंस के तहत निर्माण)
- प्रकार: लॉइटरिंग मुनिशन
- विशेषताएं:
- रेंज: 30 किमी.
- लॉइटरिंग समय: 70 मिनट
- हाई-एक्सप्लोसिव वॉरहेड, बख्तरबंद लक्ष्यों पर सटीक हमला
- रीकॉन्सेन्स (जासूसी) से अटैक मोड में शिफ्ट की क्षमता
- उपयोग: छोटे आतंकी ठिकानों और ड्रोन हमलों को नष्ट करने में उपयोग।
खरगा (Kharga)
- उत्पत्ति: DRDO (स्वदेशी)
- प्रकार: हाई-स्पीड लॉइटरिंग मुनिशन
- विशेषताएं:
- रेंज: 1.5 किमी
- गति: 40 मीटर/सेकंड
- 700 ग्राम विस्फोटक, GPS, HD कैमरा, और रडार-जैमिंग रोधी क्षमता
- उपयोग: कम दूरी के सटीक हमलों में उपयोग, विशेष रूप से PoJK में।
नागास्त्र (Nagastra)
- उत्पत्ति: सोलर इंडस्ट्रीज (स्वदेशी)
- प्रकार: लॉइटरिंग मुनिशन
- विशेषताएं
- रेंज: 15-30 किमी.
- सटीक निशाना, रडार से बचने की क्षमता
- उपयोग: आतंकी ठिकानों पर हमले में प्रभावी।
रुस्तम (Rustom)
- उत्पत्ति: DRDO (स्वदेशी)
- प्रकार: मध्यम ऊंचाई, लंबी दूरी (MALE) UAV
- विशेषताएं
- रेंज: 250-300 किमी
- सहनशक्ति: 24 घंटे
- निगरानी, टोही, और लक्ष्य प्राप्ति
- उपयोग: सीमा पर निगरानी और खुफिया जानकारी एकत्र करने में उपयोग।
स्वार्म ड्रोन
- उत्पत्ति: इंदौर के स्टार्टअप्स और DRDO
- विशेषताएं
- रेंज: 50 किमी
- AI-आधारित, रडार को धोखा देने में सक्षम
- 500 मीटर से सटीक निशाना
- उपयोग: ऑपरेशन सिंदूर में झुंड में तैनात, पाकिस्तानी चौकियों पर हमला।
पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमले में ड्रोन प्रयोग
पाकिस्तान ने मई 2025 में भारत की पश्चिमी सीमा (उधमपुर, सांबा, जम्मू, अखनूर, नगरोटा, पठानकोट, लेह से कच्छ) पर 300-1,000 ड्रोन हमले किए, जिन्हें भारत ने नाकाम कर दिया।
प्रयोग किये गए प्रमुख ड्रोन
अस्सिगार्ड सोंगर (Assigard Songar)
- उत्पत्ति: तुर्की
- प्रकार: सशस्त्र ड्रोन
- विशेषताएं:
- 10 किमी रेंज
- 10 किलो विस्फोटक ले जाने की क्षमता
- निगरानी और सटीक हमले
- उपयोग: भारत के सैन्य ठिकानों (जैसे बठिंडा एयरबेस) और रिहायशी क्षेत्रों पर हमले की कोशिश। भारतीय काउंटर-ड्रोन सिस्टम ने इन्हें नष्ट किया।
चीनी ड्रोन (CH-4 और अन्य)
- उत्पत्ति: चीन
- प्रकार: MALE UAV
- विशेषताएं
- रेंज: 1,500 किमी.
- क्षमता: 40 घंटे
- निगरानी, टोही, और हथियारबंद हमले
- उपयोग: भारत की सीमा पर निगरानी और मिसाइल हमलों के लिए। भारतीय S-400 और भार्गवास्त्र ने इन्हें नाकाम किया।
कामिकाज़े ड्रोन
- उत्पत्ति: तुर्की और चीन
- विशेषताएं:
- सस्ते, हल्के, और AI-आधारित
- रडार से बचने की सीमित क्षमता
- उपयोग: 36 स्थानों पर 300-400 ड्रोन हमले, ज्यादातर नाकाम।
इसे भी जानिए!
यूक्रेन ने मार्च 2025 में 3000 किमी. की रेंज वाले ड्रोन विकसित करने की घोषणा की है।
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भारत की ड्रोन संबंधी क्षमता के बारे में
स्वदेशी ड्रोन
- DRDO: रुस्तम, खरगा, तापस (MALE UAV, विकासाधीन), और नागास्त्र।
- निजी क्षेत्र: सोलर इंडस्ट्रीज (नागास्त्र), आइडियाफॉर्ज (निगरानी ड्रोन), इंदौर स्टार्टअप्स (स्वार्म ड्रोन)।
- भार्गवास्त्र: मल्टी काउंटर-ड्रोन सिस्टम, 6 किमी तक ड्रोन डिटेक्शन, 2.5 किमी तक नष्ट करने की क्षमता। 13 मई 2025 को गोपालपुर में सफल परीक्षण।
- CATS वॉरियर: HAL द्वारा विकसित, एयरो इंडिया 2025 में प्रदर्शित। भविष्य में सशस्त्र ड्रोन की क्षमता बढ़ाएगा।
आयातित ड्रोन
- हैरोन मार्क-2 (इज़राइल): 3,000 किमी रेंज, 24 घंटे सहनशक्ति, रडार और IR कैमरा।
- MQ-9B प्रीडेटर (अमेरिका): 2024 में डील, निगरानी और सशस्त्र हमलों के लिए।
- हारोप और वॉरमेट: इज़राइल और पोलैंड से आयात।
तैनाती एवं उपयोग
- निगरानी व टोही : रुस्तम, सर्चर MK I/II (इज़राइल) एवं हैरोन
- हमले : हारोप, खरगा एवं नागास्त्र
- काउंटर-ड्रोन : भार्गवास्त्र एवं आयरन डोम (DRDO), 600+ पाकिस्तानी ड्रोन नष्ट
- AI और स्वार्म तकनीक : इंदौर के ड्रोन और DRDO की AI-आधारित प्रणालियां बिना GPS के संचालित
हाल की उपलब्धियां
- ऑपरेशन सिंदूर में 9 आतंकी ठिकाने और 11 पाकिस्तानी एयरबेस नष्ट।
- 7-11 मई 2025 में 600-1,000 पाकिस्तानी ड्रोन हमले नाकाम।
- रडार जैमिंग (SPECTRA, DRFM) और आकाशतीर सिस्टम की प्रभावशीलता।
भारत की एकता और अखंडता में ड्रोन की भूमिका
- सीमा सुरक्षा: ड्रोन (रुस्तम, हैरोन) सीमा पर निगरानी और आतंकी गतिविधियों को रोकने में मदद करते हैं, जिससे जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्रों में स्थिरता बनी रहती है।
- आतंकवाद विरोधी अभियान: ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन ने PoJK में आतंकी ठिकानों को नष्ट कर आतंकवाद के खिलाफ मजबूत संदेश दिया।
- आर्थिक स्थिरता: ड्रोन हमलों को नाकाम कर महत्वपूर्ण ढांचों (जैसे बठिंडा एयरबेस) की रक्षा, जिससे आर्थिक नुकसान रुकता है।
- राष्ट्रीय गौरव: स्वदेशी ड्रोन (भार्गवास्त्र, खरगा) और ऑपरेशन की सफलता ने जनता और सेना का मनोबल बढ़ाया, जो राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है।
आगे की राह
स्वदेशीकरण को बढ़ावा
- DRDO, HAL, और निजी कंपनियों (आइडियाफॉर्ज, सोलर इंडस्ट्रीज) के साथ मिलकर तापस, CATS वॉरियर, और स्वार्म ड्रोन का विकास तेज करना।
- 2022 में ड्रोन आयात पर प्रतिबंध (केवल रक्षा को छोड़कर) को सख्ती से लागू करना।
उन्नत काउंटर-ड्रोन तकनीक
- भार्गवास्त्र जैसे सिस्टम को और विकसित कर 10 किमी+ रेंज और स्वार्म ड्रोन नष्ट करने की क्षमता बढ़ाना।
- लेजर-आधारित हथियार और RF जैमर की तैनाती।
AI और स्वायत्तता
- AI-आधारित ड्रोन (जैसे इंदौर के स्वार्म ड्रोन) को GPS-मुक्त संचालन और स्वार्म हमलों के लिए अनुकूलित करना।
- रियल-टाइम खतरा पहचान और स्वायत्त हमले की क्षमता।
एकीकृत ड्रोन ग्रिड
- IACCS और आकाशतीर सिस्टम के साथ ड्रोन और काउंटर-ड्रोन प्रणालियों का पूर्ण एकीकरण।
- सेना, नौसेना, और वायुसेना के बीच समन्वय बढ़ाना।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
- इज़राइल और अमेरिका से उन्नत ड्रोन तकनीक (जैसे MQ-9B) के लिए साझेदारी।
- क्वाड (QUAD) देशों के साथ ड्रोन और साइबर युद्ध में सहयोग।
प्रशिक्षण और नीति
- सैन्य कर्मियों को ड्रोन संचालन और काउंटर-ड्रोन रणनीतियों में प्रशिक्षण।
- 2021 ड्रोन नियमों को और सख्त कर रक्षा और नागरिक उपयोग में संतुलन।
निजी क्षेत्र की भागीदारी
- टाटा, अडानी, और स्टार्टअप्स को ड्रोन निर्माण में प्रोत्साहन।
- ड्रोन पुर्जों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा।
निष्कर्ष
मई 2025 के भारत-पाकिस्तान संघर्ष में भारत ने हारोप, खरगा, और स्वार्म ड्रोनों से पाकिस्तानी ठिकानों को नष्ट किया, जबकि पाकिस्तान के तुर्की और चीनी ड्रोनों को S-400 और भार्गवास्त्र ने नाकाम किया। भारत की ड्रोन क्षमता स्वदेशी और आयातित (इज़राइल, अमेरिका) प्रणालियों पर आधारित है। स्वार्म ड्रोन और हाइपरसोनिक खतरों से निपटने के लिए स्वदेशीकरण, AI, और काउंटर-ड्रोन तकनीक जरूरी है, जो राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूत करेगा।