New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

समलैंगिक विवाह से संबंधित याचिकाएं 

प्रारंभिक परीक्षा – समलैंगिक विवाह, विशेष विवाह अधिनियम 1954
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 – केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र

सन्दर्भ 

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा विशेष विवाह अधिनियम (SMA) 1954 के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान करने से संबंधित विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित कर लिया गया।

महत्वपूर्ण तथ्य 

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर आधिकारिक फैसले के लिए इन याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए याचिकाकर्ताओं के बीच व्यापक सहमति है।
    • सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों से उन तर्कों और निर्णयों के साझा संकलन को प्रस्तुत करने को कहा है, जिन्हें वे त्वरित निर्णय के लिए अदालत के समक्ष रखना चाहते हैं। 
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी 15 फरवरी से पहले इन याचिकाओं पर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य याचिका में विशेष विवाह अधिनियम और विदेशी विवाह अधिनियम के तहत विचाराधीन विवाह के लिए सार्वजनिक नोटिस और आपत्ति जारी करने की अनिवार्यता को चुनौती देते हुए नोटिस जारी किया। 
    • सुप्रीम कोर्ट  के अनुसार, यह प्रावधान समलैंगिक जोड़ों के लिए अशिष्टता, उत्पीड़न और हिंसा के जोखिमों में वृद्धि करता है।

याचिकाकर्ताओं का पक्ष 

  • याचिकाकर्ताओं के अनुसार यह मामला नवतेज जौहर मामले में 2018 के संविधान पीठ द्वारा दिए गये निर्णय की अगली कड़ी है, जिसमें समलैंगिकता को अपराधमुक्त किया गया था।
  • 1954 के विशेष विवाह अधिनियम को लिंग-निरपेक्ष बनाया जाना चाहिए तथा इस अधिनियम को लैंगिक पहचान और यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना, किन्ही भी दो व्यक्तियों के बीच विवाह पर लागू होना चाहिए।
  • याचिकाओं में तर्क दिया गया, कि समलैंगिक विवाह को मान्यता न देना LGBTQ+ समुदाय की गरिमा को प्रभावित करने वाले भेदभाव के समान है।

समलैंगिक विवाह

  • समलैंगिक विवाह, दो सामान लिंग के व्यक्तियों (दो पुरुषों या दो महिलाओं) के बीच विवाह को संदर्भित कर सकता है।

समलैंगिक विवाह के पक्ष में तर्क

  • अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने का अधिकार भारत के संविधान के तहत प्रत्येक व्यक्ति को दिया गया मौलिक अधिकार है।
  • किसी व्यक्ति को विवाह करने से रोकना उसके समानता के अधिकार का उल्लंघन करना है।
  • 2022 तक लगभग 30 से अधिक देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त है। 

समलैंगिक विवाह के विपक्ष में तर्क

  • भारत में विवाह को मान्यता तभी दी जा सकती है, जब वह एक जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच हो।
  • केंद्र सरकार के अनुसार व्यक्तिगत कानूनों पर आधारित वैवाहिक क़ानून में अदालत का कोई भी हस्तक्षेप समाज में असंतुलन पैदा करेगा और कानून का निर्माण करने की संसद की इच्छा के विपरीत कार्य भी कर सकता है।
  • विवाह करने का मौलिक अधिकार एक अनियंत्रित अधिकार नहीं है और अन्य संवैधानिक सिद्धांतों की अवहेलना नहीं कर सकता।

अन्य देशों में समलैंगिक विवाह संबंधी प्रावधान 

same-sex-marriage

  • अमेरिका ने 2015 में समलैंगिक विवाह को मान्यता प्रदान की, क्योंकि विवाह को केवल विषमलैंगिक जोड़ों तक सीमित करना कानून के तहत समान सुरक्षा की गारंटी देने वाले 14वें संशोधन का उल्लंघन है।
  • एक जनमत संग्रह के बाद, ऑस्ट्रेलिया की संसद ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाला कानून पारित किया।
  • आयरलैंड और स्विट्ज़रलैंड में भी LGBTQ विवाहों को औपचारिक मान्यता प्रदान की गयी है।
  • दक्षिण अफ्रीका 2006 में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वाला पहला अफ्रीकी देश बन गया।
  • ताइवान समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाला पहला एशियाई देश बन गया है। 
  • अर्जेंटीना समलैंगिक विवाह की अनुमति देने वाला पहला लैटिन अमेरिकी देश है ।
  • कनाडा में 2005 में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए कानून पारित किया।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR