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वैश्विक आबादी की स्थिति 

(प्रारंभिक परीक्षा प्रश्नपत्र-1 : आर्थिक एवं सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 : जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे)

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के अनुसार, 15 नवंबर को वैश्विक आबादी 8 अरब के आँकड़े तक पहुँच गई। वर्ष 1974 में वैश्विक आबादी 4 अरब थी। जनसंख्या की वर्तमान प्रवृति को देखते हुए निकट भविष्य में मानव आबादी के दुगुने होने की संभावना नहीं है। वस्तुत: मानवता की अगली बड़ी चुनौती घटती हुई जनसंख्या हो सकती है।

वैश्विक परिदृश्य 

  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वैश्विक आबादी के 7 अरब से 8 अरब तक पहुँचने में 12 वर्ष का समय लगा, जबकि इसे 9 अरब तक पहुँचने में लगभग 15 वर्ष (वर्ष 2037 तक) का समय लगने का अनुमान है जो इस बात का एक संकेत है कि जनसंख्या की समग्र वृद्धि दर में कमी आ रही है। 
  • वर्ष 2022 तक दुनिया की आधी से अधिक जनसंख्या एशिया महाद्वीप में निवास करती है जिसमें चीन और भारत 1.4 बिलियन से अधिक व्यक्तियों के साथ दो सर्वाधिक आबादी वाले देश हैं। 
  • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष का अनुमान है कि 2080 के दशक में दुनिया की आबादी 10.4 अरब के शिखर पर पहुँच जाएगी और सदी के अंत तक स्थिर रहेगी। 

प्रजनन दर एवं उत्प्रवास 

world-population

  • वैश्विक आबादी का 60% हिस्सा ऐसे क्षेत्रों में निवास करता है जहाँ प्रजनन दर, प्रतिस्थापन स्तर से काफी कम है। वर्ष 1990 में यह हिस्सा 40% के आस-पास था। 
  • 1950 के दशक के बाद से वैश्विक प्रजनन दर में गिरावट आई है जो प्रति महिला लगभग 4.5 जन्म से लेकर वर्ष 2020 में प्रति महिला 2.4 जन्म तक पहुँच गई है। यह जल्द ही प्रतिस्थापन प्रजनन दर से कम हो सकती है।
    • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, न्यूनतम प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में उच्चतम प्रजनन स्तर की प्रवृति देखी जाती है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन (Migration) अब कई देशों में वृद्धि का कारक है। वर्ष 2020 में 281 मिलियन लोग अपने जन्म वाले देश से बाहर निवास कर रहे हैं। 
  • सभी दक्षिण एशियाई देशों- भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में हाल के वर्षों में अत्यधिक उत्प्रवास (Emigration) को देखा गया है। 

भारत की स्थिति

  • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के अनुसार, भारत की जनसंख्या वृद्धि दर में स्थिरता आ रही है। इसमें अभी भी 0.7% प्रतिवर्ष की दर से वृद्धि हो रही है। इस प्रकार, भारत वर्ष 2023 तक चीन को पछाड़ते हुए विश्व का सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा।
  • भारत में प्रजनन दर (TFR) 2.1 जन्म प्रति महिला के स्तर पर पहुँच गई है जिसमें गिरावट जारी है। यह प्रतिस्थापन प्रजनन दर (Replacement-level Fertility) के बराबर है।

प्रतिस्थापन प्रजनन दर

  • प्रतिस्थापन प्रजनन दर से तात्पर्य केवल मानव आबादी को बनाए रखने के लिये आवश्यक न्यूनतम दर से है। प्रतिस्थापन प्रजनन दर प्रति महिला 2.1 जन्म होती है
  • विश्व की दो-तिहाई जनसंख्या उन देशों में निवास करती है जहाँ प्रजनन दर, प्रतिस्थापन दर से कम है। 
  • भारत में प्रजनन दर में गिरावट के प्रमुख कारण महिला सशक्तीकरण, गर्भनिरोधक का बढ़ता प्रयोग, शिशुओं के मध्य अंतर (Reversible Spacing) वाली विधियों को अपनाना तथा मिशन परिवार विकास, राष्ट्रीय परिवार नियोजन क्षतिपूर्ति योजना, नसबंदी कराने वालों के लिये मुआवज़ा योजना एवं राष्ट्रीय परिवार नियोजन शिखर सम्मेलन जैसे सरकारी प्रयास हैं। 

चीन और भारत 

  • जुलाई 2022 में जारी ‘विश्व जनसंख्या अनुमान 2022’ में चीन की 1.426 अरब जनसंख्या की तुलना में इस वर्ष भारत की जनसंख्या का अनुमान 1.412 अरब रखा गया है।
  • चीन की जनसंख्या वृद्धि दर अभी स्थिर है और वर्ष 2023 की शुरुआत से इसमें गिरावट प्रारंभ हो सकती है। 

अन्य अनुमान 

  • वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2054 में विश्व की जनसंख्या 9.7 अरब पहुँच जाएगी। इसके बाद इसमें गिरावट शुरू हो जाएगी तथा वर्ष 2100 में जनसंख्या 8.7 अरब तक पहुँच जाएगी। 
  • इसी तरह, भारत की जनसंख्या वर्ष 2048 में 1.7 अरब तक पहुँचने का अनुमान है और उसके बाद गिरावट के साथ इस सदी के अंत तक 1.1 अरब रह जाने की संभावना है। 
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