(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि) |
संदर्भ
पिछले एक दशक में भारत ने डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। डिजिटल अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय आय में 11.74% का योगदान दिया। इसके वर्ष 2024-25 तक 13.42% तक बढ़ने का अनुमान है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्लाउड कंप्यूटिंग एवं डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में प्रगति से प्रेरित है।
डिजिटल दशक: भारत का तकनीक-केंद्रित भविष्य
कनेक्टिविटी एवं बुनियादी ढांचा
एक मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर आधुनिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है। विगत 11 वर्षों में भारत ने ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क का काफी विस्तार करके इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार किया है।
दूरसंचार एवं इंटरनेट का प्रसार
- भारत में कुल टेलीफोन कनेक्शन मार्च 2014 के दौरान 93.3 करोड़ से बढ़कर अप्रैल 2025 में 120+ करोड़ हो गए।
- भारत में कुल टेली-घनत्व मार्च 2014 में 75.23% था, जो अक्तूबर 2024 में बढ़कर 84.49% हो गया।

इंटरनेट और ब्रॉडबैंड का विस्तार
- इंटरनेट कनेक्शन मार्च 2014 के दौरान 25.15 करोड़ से बढ़कर जून 2024 में 96.96 करोड़ हो गया जो 285.53% की वृद्धि दर्शाता है।

- ब्रॉडबैंड कनेक्शन मार्च 2014 के दौरान 6.1 करोड़ से बढ़कर अगस्त 2024 में 94.92 करोड़ हो गया, जो 1452% की वृद्धि दर्शाता है।
- दिसंबर 2024 तक देश के 6,44,131 गाँवों में से 6,15,836 गाँवों में 4जी मोबाइल कनेक्टिविटी है।
5जी और कनेक्टिविटी
- अक्तूबर 2022 में 5जी के लॉन्च ने भारत की डिजिटल यात्रा को और तीव्र कर दिया है जिससे अधिक तीव्र व स्मार्ट सेवाएँ मिल सकेंगी।
- केवल 22 महीनों में भारत ने 4.74 लाख 5जी बेस ट्रांसीवर स्टेशन (BTS) स्थापित किए।
- अब तक 5जी सेवाएँ देश के 99.6% जिलों को कवर करती हैं जिनमें से अकेले वर्ष 2023-24 में 2.95 लाख बी.टी.एस. स्थापित किए गए हैं।
- बुनियादी ढांचे में यह उछाल वर्ष 2025 में 116 करोड़ के मोबाइल ग्राहक आधार का समर्थन करता है जो भारत के व्यापक डिजिटल उछाल व पहुंच को उजागर करता है।
- भारत के इंटरनेट उपयोगकर्ता आधार में विगत 11 वर्षों में 285% की वृद्धि हुई है।
- वहीं, वायरलेस डाटा की लागत में भारी गिरावट आई है जो वर्ष 2014 में 308 रुपए प्रति जी.बी. से घटकर 2022 में केवल 9.34 रुपए रह गई है, जिससे डिजिटल सेवाएँ अधिक किफायती हो गई हैं।
भारतनेट: गाँवों को इंटरनेट से जोड़ना
- डिजिटलीकरण की इस मुहिम का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण भारत को जोड़ना है। जनवरी 2025 तक भारतनेट परियोजना ने 2.18 लाख से ज़्यादा ग्राम पंचायतों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचा दिया है।
- इस पहल के तहत लगभग 6.92 लाख किमी. ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई है। जिन गांवों में कभी इंटरनेट की बुनियादी सुविधा नहीं थी, अब उनके द्वार पर डिजिटल उपकरण मौजूद हैं।
डिजिटल वित्त और समावेशन
विगत 11 वर्षों में प्रौद्योगिकी ने विशेषकर ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं को लोगों के निकट ला दिया है।
यू.पी.आई.: डिजिटल भुगतान में उछाल
- यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) ने पूरे देश में डिजिटल लेन-देन को बदल दिया है।
- अप्रैल 2025 में यू.पी.आई. का उपयोग करके केवल एक महीने में 24.77 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 1,867.7 करोड़ से अधिक लेनदेन किए गए।
- अब लगभग 460 मिलियन व्यक्ति और 65 मिलियन व्यापारी (UPI) प्रणाली का उपयोग करते हैं।
- ACI वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के अनुसार वर्ष 2023 में वैश्विक रीयल-टाइम भुगतान लेन-देन में भारत की हिस्सेदारी लगभग 49% रही है जो डिजिटल भुगतान नवाचार में वैश्विक अग्रणी के रूप में इसके स्थान की पुष्टि करता है।
- वर्ष 2023 तक भारत में किए गए सभी भुगतानों में से 40% से अधिक डिजिटल हैं जिनमें यू.पी.आई. की हिस्सेदारी सर्वाधिक है।

- UPI अब यू.ए.ई., सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस, मॉरीशस सहित सात से अधिक देशों में लाइव है जो भारत को डिजिटल भुगतान में वैश्विक अग्रणी बनाता है।
- इसको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनाने से प्रेषण में वृद्धि हो रही है, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिल रहा है और वैश्विक फिनटेक परिदृश्य में भारत की स्थिति मजबूत हो रही है।
आधार: प्रौद्योगिकी के साथ विश्वास का निर्माण
- आधार-आधारित ई-केवाईसी प्रणाली ने बैंकिंग एवं सार्वजनिक सेवाओं दोनों में प्रक्रियाओं को सरल बनाने में मदद की है।
- इसने सत्यापन को तेज बनाया है, कागजी कार्रवाई को कम किया है और सभी क्षेत्रों में पारदर्शिता लाई है।
- अप्रैल 2025 तक 141.88 करोड़ आधार आईडी तैयार किए जा चुके हैं।

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण: एक स्वच्छ कल्याण प्रणाली
- आधार प्रमाणीकरण द्वारा समर्थित प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) ने सब्सिडी एवं कल्याण संबंधी भुगतान के तरीके को बदल दिया है।
- इसने फर्जी लाभार्थियों को हटाने में मदद की और सरकार को 2015 से मार्च 2023 के बीच 3.48 लाख करोड़ रुपए से अधिक की बचत हुई।
- मई 2025 तक डी.बी.टी. के माध्यम से अंतरित कुल धनराशि 44 लाख करोड़ रुपए को पार कर गई है। लोगों को सीधे तौर पर और समय पर अब उनका हक मिलता है।
- इस प्रणाली ने लाभार्थियों के डाटाबेस को साफ करने में भी मदद की है।
- 5.87 करोड़ से अधिक अयोग्य राशन कार्ड धारकों को हटा दिया गया है और 4.23 करोड़ डुप्लिकेट या नकली एल.पी.जी. कनेक्शन रद्द कर दिए गए हैं जिससे कल्याण प्रणाली अधिक लक्षित व पारदर्शी हो गई है।
डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ONDC)
- वर्ष 2022 में लॉन्च किया गया ओ.एन.डी.सी. एक परिवर्तनकारी पहल है, जिसका उद्देश्य डिजिटल कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाना है।
- यह पूरे भारत में विक्रेताओं, खरीदारों एवं सेवा प्रदाताओं, विशेष रूप से छोटे व मध्यम उद्यमों (MSME) के लिए एक समान अवसर बनाने की परिकल्पना करता है।
- मुख्य उपलब्धियां
- जनवरी 2025 तक विक्रेता एवं सेवा प्रदाता 616 से अधिक शहरों में फैले हुए हैं, जो ओ.एन.डी.सी. नेटवर्क के भौगोलिक कवरेज का विस्तार करते हैं।
- जनवरी 2025 तक ओ.एन.डी.सी. प्लेटफ़ॉर्म पर 7.64 लाख से अधिक विक्रेता/सेवा प्रदाता पंजीकृत हैं।
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM)
- वर्ष 2016 में लॉन्च किए गए GeM को पांच महीने के रिकॉर्ड समय में बनाया गया था।
- इसके माध्यम से विभिन्न सरकारी विभागों/संगठनों/सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा सामान्य उपयोग की आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं की ऑनलाइन खरीद की सुविधा प्रदान की जाती है।
- GeM के पास 1.6 लाख से अधिक सरकारी खरीदारों और 22.5 लाख से अधिक विक्रेताओं व सेवा प्रदाताओं का नेटवर्क है।
ई-गवर्नेंस : नागरिकों को सशक्त बनाना, परिवर्तन को सक्षम बनाना
विगत 11 वर्षों में भारत में ई-गवर्नेंस ने सेवाओं को अधिक सुलभ, पारदर्शी व कुशल बनाकर नागरिकों के सरकार के साथ संवाद करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव किया है। मजबूत डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से इसने नागरिकों व अधिकारियों दोनों को सशक्त बनाया है, जिससे देश में प्रशासन सुगमता बढ़ी है।
कर्मयोगी भारत+ iGoT

- मिशन कर्मयोगी राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम (NPCSCB) के तहत कर्मयोगी भारत देश में सिविल सेवकों के शिक्षण के परिदृश्य को नया रूप दे रहा है।
- इस पहल का उद्देश्य कुशल एवं नागरिक-केंद्रित प्रशासन के लिए अधिकारियों को सही दृष्टिकोण, कौशल व ज्ञान (ASK) से युक्त करके भावी सिविल सेवक तैयार करना है।
- मई 2025 तक 1.07 करोड़ से अधिक कर्मयोगियों को इस प्लेटफॉर्म पर शामिल किया गया है जो विविध शासन क्षेत्र में 2,588 पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
डिजिलॉकर
- वर्ष 2015 में लॉन्च किए गए डिजिलॉकर का उद्देश्य नागरिकों के डिजिटल दस्तावेज वॉलेट में प्रामाणिक डिजिटल दस्तावेजों तक पहुँच प्रदान करके नागरिकों का ‘डिजिटल सशक्तिकरण’ करना है।
- डिजिलॉकर उपयोगकर्ताओं की संख्या अप्रैल 2025 तक 51.6 करोड़ हो गई है।
उमंग
- उमंग (यूनिफाइड मोबाइल एप्लीकेशन फॉर न्यू-एज गवर्नेंस) को 2017 में लॉन्च किया गया। इसे भारत में मोबाइल गवर्नेंस को आगे बढ़ाने के लिए विकसित किया गया है।
- उमंग सभी भारतीय नागरिकों को केंद्र से लेकर स्थानीय सरकारी निकायों तक की अखिल भारतीय ई-गवर्नेंस सेवाओं तक पहुंचने के लिए एकल मंच प्रदान करता है।
- मई 2025 तक 8.21 करोड़ उपयोगकर्ता पंजीकरण और 597 करोड़ लेनदेन दर्ज किए गए।
- मई 2025 तक 23 भारतीय भाषाओं में उमंग पोर्टल पर 2,300 सरकारी सेवाएँ उपलब्ध हैं।
डिजिटल क्षमता निर्माण
- भारत का डिजिटल परिवर्तन केवल पहुंच तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य लोगों एवं संस्थानों को प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में सक्षम बनाना है।
- विगत 11 वर्षों में इस दृष्टिकोण ने समावेशी विकास को बढ़ावा दिया है, नागरिकों को सशक्त बनाया है और पूरे देश में डिजिटल शासन को मजबूत किया है।
प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा)
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने के लिए फरवरी 2017 में प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा) को मंजूरी दी थी।
- इस पहल का उद्देश्य कम-सेकम 6 करोड़ लोगों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाना है, ताकि वे डिजिटल सेवाओं एवं सूचनाओं का उपयोग कर सकें।
- 31 मार्च, 2024 को अपने औपचारिक समापन तक पीएमजीदिशा योजना ने लगभग 7.35 करोड़ उम्मीदवारों को नामांकित किया था, जिसमें 6.39 करोड़ व्यक्ति सफलतापूर्वक प्रशिक्षित और 4.77 करोड़ प्रमाणित थे।
- यह इसे वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी डिजिटल साक्षरता पहलों में से एक बनाता है।
भाषिणी– भाषागत बाधाओं से मुक्ति
- भाषिणी (भारत के लिए भाषा इंटरफेस) राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (NLTM) के तहत एक अग्रणी पहल है।
- इसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत की भाषायी विविधता को पाटना है।
- ‘भाषिणी’ कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं प्राकृतिक भाषा प्रक्रिया की शक्ति का उपयोग करके कई भारतीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री व सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच को सक्षम बनाती है।
- इसका कार्यान्वयन इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत डिजिटल इंडिया भाषिणी प्रभाग करता है।
- मई 2025 तक भाषिणी 1,600 से ज़्यादा एआई मॉडल और 18 भाषा सेवाओं के साथ 35 से अधिक भाषाओं का समर्थन करता है।

कार्यनीतिक प्रौद्योगिकी क्षमता को बढ़ावा
भारत वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों में तेजी से आगे बढ़ रहा है। एआई क्षमताओं को बढ़ावा देने, कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और एक आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर इको-सिस्टम विकसित करने के लिए केंद्रित प्रयास किए जा रहे हैं।
इंडिया एआई मिशन

- प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 मार्च, 2024 को इंडिया एआई मिशन को मंजूरी दी।
- यह भारत में एक व्यापक व समावेशी एआई परितंत्र बनाने की एक ऐतिहासिक पहल है।
- यह सात कार्यनीतिक स्तंभों- कंप्यूट क्षमता, नवाचार केंद्र, डेटासेट प्लेटफ़ॉर्म, एप्लिकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव, फ्यूचरस्किल्स, स्टार्टअप फाइनेंसिंग और सुरक्षित तथा विश्वसनीय एआई पर केंद्रित है।
- पांच वर्षों में 10,371.92 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ इस मिशन का उद्देश्य राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप जिम्मेदार एआई नवाचार को आगे बढ़ाना है।
- 30 मई, 2025 तक भारत की राष्ट्रीय कंप्यूट क्षमता 34,000 जी.पी.यू. को पार कर गई है जो एआई-आधारित अनुसंधान एवं विकास के लिए एक मजबूत नींव है।
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन
- इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन देश में एक मजबूत सेमीकंडक्टर एवं डिस्प्ले निर्माण संबंधी इको-सिस्टम बनाने के लिए 76,000 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ सरकार द्वारा अनुमोदित एक कार्यनीतिक पहल है।
- यह चिप डिजाइन को बढ़ावा देने के लिए पात्र व्यय के 50% तक का उत्पाद डिजाइन लिंक्ड प्रोत्साहन और पांच वर्षों में शुद्ध बिक्री कारोबार का 6 से 4% का परिनियोजन लिंक्ड प्रोत्साहन भी प्रदान करता है।
- इस मिशन का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण में घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना, आयात पर निर्भरता कम करना और भारत के इलेक्ट्रॉनिकी उद्योग को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ जोड़ना है।
निष्कर्ष
विगत एक दशक में भारत की डिजिटल यात्रा ने न केवल सेवाओं एवं प्रशासन को बदल दिया है बल्कि मजबूत आर्थिक विकास के लिए आधार भी तैयार किया है। डिजिटल उद्योग पारंपरिक क्षेत्रों की तुलना में तेज गति से बढ़ रहे हैं जो दर्शाता है कि कैसे प्रौद्योगिकी प्रगति का एक प्रमुख चालक बन रही है। वर्ष 2030 तक डिजिटल अर्थव्यवस्था के देश की कुल अर्थव्यवस्था का लगभग पाँचवां हिस्सा बनने की उम्मीद है।