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तियानवेन-2 मिशन

(प्रारम्भिक परीक्षा : अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष)

संदर्भ 

मई 2025 में चीन पृथ्वी के निकट स्थित कामो‘ओअलेवा (Kamo‘oalewa) क्षुद्रग्रह का सर्वेक्षण करने एवं नमूना लेने के लिए अपना पहला मिशन शुरू करेगा जो पृथ्वी के समीप सूर्य की परिक्रमा करता है। 

तियानवेन-2 मिशन के बारे में 

  • तियानवेन-2 (Tianwen-2) चीन का अंतरिक्ष मिशन है जिसका उद्देश्य एक निकट-पृथ्वी क्षुद्रग्रह (Near-Earth Asteroid) से नमूने एकत्र करना और उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है।
  • यह मिशन कामो‘ओअलेवा (469219 Kamo‘oalewa) नामक क्षुद्रग्रह पर केंद्रित है जो एक क्वासी-उपग्रह है।

कामो‘ओअलेवा क्षुद्रग्रह

  • परिचय : यह एक निकट-पृथ्वी क्षुद्रग्रह (Near-Earth Asteroid) है जो क्वासी-उपग्रह (Quasi-satellite) की श्रेणी में आता है।  
  • क्वासी-उपग्रह ऐसे क्षुद्रग्रह होते हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं किंतु पृथ्वी से इनकी दूरी कम होने के कारण वे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित होते हैं
  • खोज : वर्ष 2016 में हवाई द्वीप स्थित Haleakalā पर्वत से Pan-STARRS 1 दूरबीन द्वारा
  • घनत्व और संरचना : इसके परावर्तित प्रकाश का स्पेक्ट्रम चंद्रमा की सतह पर पाए जाने वाले सिलिकेट खनिजों से मिलता-जुलता है। इससे यह संकेत मिलता है कि यह संभवतः चंद्रमा से निकला हुआ टुकड़ा हो सकता है।
  • कक्षा का व्यवहार : कामो‘ओअलेवा अत्यधिक दीर्घवृत्तीय कक्षा में परिक्रमा करता है और पृथ्वी की सापेक्षिक स्थिति के आधार पर कभी उससे आगे, कभी पीछे प्रतीत होता है। यह स्थिति वैज्ञानिकों को इसके गुरुत्वीय व्यवहार और उत्पत्ति को लेकर जिज्ञासु बनाती है।

मिशन की प्रमुख विशेषताएँ 

  • लॉन्च वाहन : तियानवेन-2 को लॉन्ग मार्च सीरीज़ के रॉकेट संभवतः लॉन्ग मार्च-3B द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा। 
  • उन्नत स्वायत्त नेविगेशन प्रणाली : क्षुद्रग्रह की अनियमित सतह पर सुरक्षित संचालन के लिए उच्च-सटीक सेंसर और रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम (RCS)।
  • दूरदर्शी कैमरे और वैज्ञानिक उपकरण : उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे सतह की बारीक बनावट को कैप्चर करते हैं। इसके आलावा स्पेक्ट्रोमीटर और खनिज विश्लेषक क्षुद्रग्रह की रासायनिक संरचना का पता लगाते हैं।
  • नमूना संग्रह की तकनीक : तियानवेन-2 दो तकनीकों का उपयोग करेगा:
  • टच-एंड-गो तकनीक : पहले से उपयोग में लाई गई इस तकनीक (OSIRIS-REx, Hayabusa2 द्वारा) के अंतर्गत यान क्षुद्रग्रह की सतह के निकट जाकर तेज़ी से सैंपल एकत्र करता है।
  • Anchor-and-Attach तकनीक : यदि सतह दुर्लभ (उबड़-खाबड़) हुई, तो चार रोबोटिक आर्म्स क्षुद्रग्रह की सतह में धंसकर नमूने इकट्ठा करेंगी।

मिशन का महत्व  

  • वैज्ञानिक अन्वेषण : यह मिशन कामो‘ओअलेवा की संरचना, उत्पत्ति एवं कक्षा के विकास को समझने में सहायक होगा। चूंकि कामो‘ओअलेवा की उत्पत्ति रहस्यमय है अत: कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह चंद्रमा से निकला हुआ टुकड़ा हो सकता है, जो किसी टक्कर के कारण बाहर आया।
  • एरिज़ोना विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 2021 में अनुमान जताया था कि इस क्षुद्रग्रह की प्रकाशीय स्पेक्ट्रम संरचना अपोलो मिशन से लाए गए चंद्र सैंपलों जैसी है।
  • ग्रहों की बेहतर समझ : यह मिशन न केवल क्षुद्रग्रहों की संरचना एवं भौतिक गुणों का विश्लेषण करेगा, बल्कि पृथ्वी की उत्पत्ति व सौरमंडल के इतिहास के बारे में नई जानकारी प्रदान कर सकता है।
  • पृथ्वी की सुरक्षा : पृथ्वी के निकटवर्ती क्षुद्रग्रहों का अध्ययन पृथ्वी के लिए संभावित खतरों की पहचान और उनसे निपटने की रणनीति विकसित करने में मदद करता है। यह मिशन ऐसी तकनीकों का विकास कर सकता है जो भविष्य में क्षुद्रग्रहों के टकराव से पृथ्वी को बचाने में उपयोगी हों।
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