(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: आपदा एवं उसका प्रबंधन) |
संदर्भ
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में 5 अगस्त, 2025 को बादल फटने और भारी बारिश के कारण खीर गंगा नदी में आई अचानक बाढ़ ने भारी तबाही मचाई।
उत्तराखंड में हालिया बाढ़ आपदा के बारे में
आपदा केंद्र
- धराली, उत्तरकाशी : यह पर्यटन स्थल गंगोत्री धाम के रास्ते पर स्थित है, जो समुद्र तल से 8,600 फीट की ऊंचाई पर है।
- खीर गंगा नदी के किनारे बसे इस क्षेत्र में अत्यधिक होटल व रेस्तरां हैं।
कारण
- बादल फटना : खीर गंगा नदी के ऊपरी क्षेत्र में बादल फटने (क्लाउड बर्स्ट) से भारी मात्रा में पानी और मलबा बहकर आया।
- भारी बारिश : मौसम विभाग ने उत्तराखंड में 10 अगस्त तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
- भौगोलिक संवेदनशीलता : उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अनियोजित शहरीकरण और नदी मार्ग पर अतिक्रमण से बाढ़ के प्रभाव में वृद्धि।
नुकसान और प्रभाव
- मानव हानि : कम-से-कम चार लोगों की मृत्यु हो चुकी है और 60-70 लोग लापता हैं या मलबे में फंसे हो सकते हैं।
- संपत्ति का नुकसान : धराली के बाजार क्षेत्र में 25 से अधिक होटल, गेस्ट हाउस एवं घर पूरी तरह नष्ट हो गए।
- पर्यटन पर प्रभाव : धराली, गंगोत्री जाने वाले तीर्थयात्रियों का प्रमुख पड़ाव स्थल है, अब कीचड़ से भरे नदी तट जैसा दिखता है।
- सेना शिविर पर प्रभाव : हर्षिल के निचले क्षेत्र में सेना के शिविर पर बाढ़ का असर पड़ा, जिसमें कुछ सैनिक लापता हैं।
- सांस्कृतिक नुकसान : प्राचीन कल्प केदार मंदिर मलबे में दब गया, जो केदारनाथ धाम की वास्तुकला से मिलता-जुलता था।
बचाव कार्य
- तत्काल कार्रवाई: भारतीय सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया।
- उपकरण और टीमें: बचाव कार्यों में ड्रोन, थर्मल इमेजिंग कैमरे और विशेष खोजी कुत्तों का उपयोग किया जा रहा है।
- हेलीकॉप्टर सहायता: सेना ने MI-17 और चिनूक हेलीकॉप्टरों को तैनात किया है।
चुनौतियां
- खराब मौसम : लगातार बारिश और भूस्खलन ने बचाव कार्यों को मुश्किल बना दिया है।
- बाधित सड़कें : गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग का 30 मीटर हिस्सा धंस गया, जिससे बचाव दल धराली तक नहीं पहुँच पा रहे।
- संचार समस्याएँ : खराब कनेक्टिविटी के कारण सूचनाओं का आदान-प्रदान चुनौतीपूर्ण है।
- मलबे की मात्रा : खीर गंगा नदी से लाए गए भारी मलबे से बचाव कार्यों में बाधा पद रही है।
- जलस्तर का खतरा : भगीरथी नदी में मलबे के कारण बनी कृत्रिम झील से निचले क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
आगे की राह
- तत्काल राहत : प्रभावित लोगों को भोजन, आश्रय एवं चिकित्सा सहायता प्रदान करना प्राथमिकता होनी चाहिए।
- बुनियादी ढांचे की मरम्मत : क्षतिग्रस्त सड़कों, पुलों एवं संचार लाइनों को तुरंत बहाल करने की आवश्यकता है।
- दीर्घकालिक उपाय : नदी के किनारे सुरक्षात्मक दीवारों का निर्माण और अतिक्रमण को रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएँ।
- जलवायु परिवर्तन पर ध्यान : विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन और अनियोजित शहरीकरण से आपदाओं की तीव्रता में वृद्धि हुई है। इसके लिए टिकाऊ विकास नीतियों की आवश्यकता है।
- जागरूकता और तैयारी : स्थानीय लोगों को आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण और मौसम चेतावनियों के लिए बेहतर प्रणाली विकसित की जाए।