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भारत में ऑनलाइन सट्टेबाज़ी की वैधानिक स्थिति एवं भविष्य

(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय राज्यतंत्र और शासन – लोकनीति, अधिकार सम्बंधी मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में,आंध्रप्रदेश सरकार द्वारा फैंटेसी क्रिकेट संचालकों पर एक अध्यादेश के माध्यम से प्रतिबंध (आई.पी.एल. के प्रायोजक ड्रीम 11 सहित) लगाया गया है।

ऑनलाइन सट्टेबाज़ी

ऑनलाइन सट्टेबाज़ी में वर्चुअल पोकर (कार्ड गेम में शर्त या बाज़ी लगाने वाले खिलाड़ी) कैसीनो और खेल सम्बंधी बेटिंग (शर्त) शामिल हैं। दुनिया के कई देशों में ऑनलाइन सट्टेबाज़ी को कानूनी मान्यता प्राप्त है।

भारत में कानूनी स्थिति

भारत में जुआ या सट्टेबाज़ी राज्य का विषय है तथा इससे सम्बंधित प्रत्येक राज्य का अपना कानून है। भारत में कौशल आधारित खेल जुए के दायरे से मुक्त हैं। नागालैंड राज्य में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कौशल आधारित खेल क्या और कौन से हैं। अधिकांश राज्यों के कानूनों में इस तरह की स्पष्टता नहीं है। इस सम्बंध में समय-समय पर न्यायालय को ही व्याख्या करनी पड़ती है कि कौन से खेल कौशल के दायरे में आते हैं और कौन से नहीं।

हालाँकि इस मामले से सम्बंधित यचिका अभी सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित है। अगर सर्वोच्च न्यायालय अपने निर्णय या व्याख्या में सट्टेबाज़ी पर रोक लगाता है तो यह पूरा उद्योग बंद हो जाएगा और अगर अनुमति देता है तो राज्य सरकारें इन गतिविधियों के लिये लाइसेंस जारी कर सकती हैं साथ ही पूरे भारत में यह निर्णय लागू होगा। हालाँकि भारत में घोड़ों की रेस पर सट्टेबाज़ी की अनुमति है।गोवा तथा सिक्किम में कई प्रकार की सट्टेबाज़ी की अनुमति है।

भारत में संचालित ऑनलाइन फैंटेसी क्रिकेट प्लेटफार्म जैसे ड्रीम 11 और पेटीएम फर्स्ट आर्थिक लेन-देन पर आधारित हैं।भारत में विभिन्न न्यायालयों द्वारा यह माना गया है कि ये इन प्लेटफार्म पर उपलब्ध खेल,संभावनाओं के बजाय कौशल आधारित खेल (games of skill rather than games of chance )हैं।

कई देशों में जहाँ ऑनलाइन सट्टेबाज़ी को कानूनी स्वीकृति प्राप्त है, वहाँ ऑनलाइन सट्टेबाज़ी की सेवाएँ प्रदान करने या इससे सम्बंधित विज्ञापन जारी करने हेतु सेवा प्रदाताओं को कुछ निर्धारित लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती है।
खेल उद्योग में कई प्रकार के कानूनी और ग़ैर कानूनी घटक शामिल होते हैं इसमें मनोरंजन से लेकर अनैतिक और ग़ैर कानूनी गतिविधियाँ भी शामिल होती हैं। सिक्किम और गोवा में कैसिनो उद्योग को विनियमित किया जाता है। कौशल आधारित कुछ खेलों को नागालैंड राज्य में भी विनियमित किया जाता है। के.पी.एम.जी.(वित्तीय फर्म) के अनुसार भारत में खेल उद्योग का आकार लगभग 150 बिलियन डॉलर है।

ऑनलाइन सट्टेबाज़ी की चुनातियाँ

  • ऑनलाइन सट्टेबाज़ी के सम्बंध में केंद्र तथा राज्यों के कानून बहुत पुराने और स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं हैं।जैसे सार्वजानिक जुआ अधिनियम, 1867।
  • अधिकांश ऑनलाइन सट्टेबाज़ी पर आधारित कम्पनियाँ अपनी आधार स्थिति (Base Location) को टैक्स हैवन क्षेत्रों (ऐसा देश या स्थान, जहाँ विदेशी निवेशकों के लिये कराधान की प्रभावी दरें बहुत कम होती हैं तथा यहाँ उच्च-स्तरीय वित्तीय गोपनीयता प्रदान की जाती है) में पंजीकृत कराती हैं, जिससे मनी लॉन्डरिंग (काले धन को वैध बनाने की प्रक्रिया) की प्रवृति को बढ़ावा मिलता है।
  • ऑनलाइन सट्टेबाज़ी में अगर कोई व्यक्ति जाली पहचान से ग़ैर कानूनी गतिविधियाँ संचालित करता है तो उसे खोजना बहुत जटिल कार्य है तथा इसके लिये भारत में अभी तकनीकी कुशलता का भी अभाव है।
  • सट्टेबाज़ी को कानूनी मान्यता प्रदान करने से खिलाडियों में खेल भावना (Game Spirit) को लेकर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की सम्भावना है।

लागू करने हेतु सुझाव

  • सट्टेबाज़ी के सन्दर्भ में व्यापक और दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाते हुए इस उद्योग को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने के बजाय इसका विनियमन किया जाना चाहिये।
  • सट्टेबाज़ी की कुछ गतिविधियों को विनियमित करने से सरकार को व्यापक स्तर पर कर के रूप में राजस्व की प्राप्ति होगी, जिसे वर्तमान में काले धन के रूप में छिपाया जा रहा है तथा यही काला धन आगे विभिन्न गैरकानूनी उद्योगों में निवेश किया जाएगा, जिससे आतंकवादी सहित अन्य आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
  • सट्टेबाज़ी उद्योग को विनियमित किये जाने से व्यापक स्तर पर रोज़गार सृजन होने के साथ हीलोगों के जीवन स्तर में भी सुधार होगा।
  • सट्टेबाज़ी से सम्बंधित वेबसाइटों का विनियमन कर इनकी निरंतर जाँच हेतु एक मज़बूत निगरानी तंत्र का निर्माण किया जाना चाहिये।

निष्कर्ष

  • भारत में ऑनलाइन सट्टेबाज़ी के सम्बंध में सिक्किम और गोवा जैसे राज्यों के पास कानूनी ढाँचा तथा लाइसेंस व्यवस्था उपलब्ध है। इसी प्रकार अन्य राज्यों में भी इस तरह के कानूनों का विस्तार किया जा सकता है।
  • हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि भारत में आई.पी.एल. के आयोजन को लेकर भी शुरुआत में इसी प्रकार का विरोध हुआ था लेकिन वर्तमान में आई.पी.एल. विश्व की सबसे सफल क्रिकेट श्रृंखला बन चुकी है,जिसने भारत में क्रिकेट की दशा और दिशा ही परिवर्तित कर दी है। इसी प्रकार की सकारात्मक अभिवृत्ति हमें सट्टेबाज़ी के संदर्भ में अपनानी होगी।लेकिन इसके बारे में लोगों को जागरूक करने की तथा नाबालिगों एवं कमज़ोर वर्गों को सट्टेबाज़ी की गतिविधियों से बाहर रखना होगा।

प्री फैक्ट्स

  • सार्वजानिक जुआ अधिनियम, 1867 भारत में सामान्य तौर पर सट्टेबाज़ी का विनियमन करता है।
  • विधि आयोग द्वारा सट्टेबाज़ी के विनियमन पर सहमति जताई गई है।
  • सट्टेबाज़ी से सम्बंधित याचिका अभी सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित है।

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