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‘एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड’ योजना

(प्रारम्भिक परीक्षा: आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि) (मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्य द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ तथा इनका निष्पादन)

पृष्ठभूमि

हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह एक ‘राष्ट्र-एक राशन कार्ड’ योजना को अपनाने की सम्भावना पर विचार करे, ताकि कोविड-19 महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान पलायन करने वाले कामगारों व आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लोगों को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध हो सके।

राशन कार्ड (Ration Card)

  • राज्य द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का लाभ प्रदान करने के लिये अपने नागरिकों को राशन कार्ड दिया जाता है। इसके तहत, आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
  • यद्यपि, इस कार्ड की अपनी एक सीमा है कि इसके माध्यम से किसी एक राज्य का निवासी उपभोक्ता किसी दूसरे राज्य में उस कार्ड का उपयोग नहीं कर सकता है, यानी वह उपभोक्ता किसी अन्य राज्य में इस कार्ड से कोई लाभ प्राप्त नहीं कर सकता है। इसलिये, केंद्र सरकार द्वारा ‘एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड’ योजना तैयार की गई है।

सार्वजानिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System-PDS)

  • सार्वजानिक वितरण प्रणाली सस्ती कीमतों पर खाद्य और खाद्यान्न विवरण के प्रबंधन की व्यवस्था करती है। गेंहूँ, चावल, चीनी और मिट्टी के तेल जैसे प्रमुख खाद्यान्नों को इस प्रणाली के माध्यम से सार्वजानिक वितरण की दुकानों द्वारा पूरे देश में पहुँचाया जाता है।
  • इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य, सस्ती दरों पर देश के कमज़ोर वर्ग को खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। इसका संचालन उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजानिक वितरण मंत्रालय द्वारा किया जाता है।

‘एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड’ योजना

  • यह केंद्र सरकार की एक महत्त्वकांक्षी योजना है। इसके अंतर्गत देश भर में पी.डी.एस. धारकों को देश के किसी भी हिस्से में सार्वजानिक वितरण प्रणाली की राशन की दुकानों से उनके कोटे का राशन प्रदान किया जा सकेगा।
  • 1 जनवरी, 2020 से भारत के 12 राज्यों में इस योजना को लागू किया गया है। इन राज्यों मे मध्य प्रदेश, गोवा, त्रिपुरा, झारखंड, कर्नाटक, राजस्थान, केरल, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना शामिल हैं।
  • इस योजना की शुरुआत अगस्त 2019 में  चार राज्यों के दो क्लस्टरों, आंध्रप्रदेश-तेलंगाना, महाराष्ट्र-गुजरात में ‘अंतर्राज्यीय राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी’ (Interstate portability of ration card) को जोड़कर की गई थी।
  • राशन कार्ड की अंतर्राज्यीय पोर्टेबिलिटी से राज्य में पंजीकृत राशन कार्ड धारक किसी दूसरे राज्य की सार्वजानिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत स्थापित राशन की दुकान से अपने कोटे के तहत निर्धारित खाद्यान्न प्राप्त कर सकता है।
  • इस योजना को पूरे देश में लागू करने के लिये सभी पी.डी.एस. दुकानों पर पी.ओ.एस. (Point Of Sale) मशीनें लगाई जाएंगी।
  • इस योजना के तहत पी.डी.एस. लाभार्थियों की पहचान उनके आधार कार्ड पर इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल (ePOS) मशीन से की जाएगी। इस मशीन में लाभार्थियों से सम्बंधित आँकड़े संगृहीत हैं।
  • इस योजना के अंतर्गत, आधार कार्ड की तर्ज पर ही एक विशेष पहचान नम्बर प्रदान किया जाएगा। साथ ही, इस नम्बर का बायोमेट्रिक/आधार प्रमाणीकरण भी किया जाएगा।
  • इस योजना के क्रियान्वयन हेतु, खाद्य एवं सार्वजानिक वितरण विभाग को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है। यह विभाग उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजानिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
  • अक्तूबर 2019 तक आंध्र प्रदेश-तेलंगाना,महाराष्ट्र-गुजरात, केरल-कर्नाटक, राजिस्थान-हरियाणा के मध्य अंतर्राज्यीय राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी की एक ग्रिड को स्थापित किया गया है।

योजना के प्रमुख उद्देश्य

  • विश्व के सबसे बड़े खाद्यान्न सुरक्षा कार्यक्रम की प्रभावशीलता में वृद्धि करने हेतु देशव्यापी राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी नेटवर्क का निर्माण करना।
  • सभी राज्यों के पी.डी.एस. लाभार्थियों के विवरण से एक एकीकृत केंद्रीय रिपॉज़िटरी तैयार करना।
  • आंतरिक प्रवास करने वाले निम्न आय वर्ग के लोगों को सार्वजानिक वितरण प्रणाली का लाभ प्रदान करना।
  • योजना के अंतर्गत सार्वजानिक वितरण प्रणाली को ‘डिपो ऑनलाइन प्रणाली’ (DOS) के साथ जोड़ना, ताकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत लाभों को लक्षित व्यक्तियों तक पहुँचाया जा सके।

डिपो ऑनलाइन प्रणाली (Depot Online System-DOS)

  • भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा संचालित अनाज गोदामों में खाद्यान्न का संग्रहण या भण्डारण किया जाता है। डिजिटल इंडिया के अंतर्गत डिपो ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से नई प्रौद्योगिकी के उपयोग से इन गोदामों को जोड़कर खाद्य आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को बेहतर बनाया जाएगा।
  • भारतीय खाद्य निगम द्वारा डिपो ऑनलाइन प्रणाली की शुरुआत का उद्देश्य सभी गोदामों के संचालन को कम्प्यूटरीकृत करना है, ताकि एफ.सी.आई. के सम्पूर्ण संचालन में दक्षता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता के साथ-साथ जवाबदेही तय की जा सके।
  • इस प्रणाली से गोदामों की सभी प्रकार की जानकारी वास्तविक समय (रियल टाइम) में प्राप्त की जा सकती है।

भारतीय  खाद्य  निगम  (Food Cooperation of India-FCI)

  • एफ.सी.आई. एक सांविधिक निकाय है, इसकी स्थापना भारतीय खाद्य निगम अधिनियम, 1964 के तहत वर्ष 1965 में की गई थी। यह एक सार्वजानिक क्षेत्र का उपक्रम है।
  • भारतीय खाद्य निगम किसानों को उनकी फसल की खरीद के बदले उचित मूल्य देने के साथ ही उपभोक्ताओं को भी उचित मूल्य पर खाद्यान्न उपलब्ध कराता है।
  • यह राज्य सरकारों के साथ मिलकर खाद्य उत्पादन करने वाले राज्यों से सड़क मार्ग, रेल मार्ग और समुद्री मार्ग से खपत वाले राज्यों में खाद्यान्न की आपूर्ति करता है। राज्य सरकारें इस खाद्यान्न को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत आम जनता के लिये वितरित कराती हैं।

‘एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड’ योजना के लाभ

  • भारत के बड़े शहरों जैसे- दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में मौसमी प्रवसन (Seasonal migration) करने वाले व्यक्तियों को भी इस योजना का लाभ होगा।
  • इस योजना से राष्ट्रीय स्तर पर दोहरे राशन कार्ड जैसी गतिविधियों पर रोक के साथ-साथ भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी।
  • इस योजना से विवाह पश्चात् दूसरे राज्यों में प्रवास करने वाली महिलाओं तथा बच्चों को निरंतर पोषण का लाभ मिले सकेगा, जिससे महिला सशक्तीकरण की अवधारणा को बल मिलेगा।

योजना की प्रमुख चुनौतियाँ

  • जो व्यक्ति काम के उद्देश्य से छोटी अवधि के लिये बार-बार प्रवास करते हैं, उनके आँकड़ों को अद्यतन (Update) करने में तकनीकी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
  • इस योजना को इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल मशीनों के द्वारा लागू किया जाएगा, किंतु भारत में अभी इंटरनेट अवसंरचना की स्थिति संतोषजनक नहीं है।
  • इसमें आधार सत्यापन, ऑनलाइन आपूर्ति डिपो प्रबंधन और पोर्टेबिलिटी सुविधा के दुरुपयोग का खतरा है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act), 2013

  • संसद द्वारा पारित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013  को सितम्बर 2013 में अधिसूचित किया गया।
  • इसका मुख्य उद्देश्य गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिये लोगों को वहनीय मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता के खाद्यान्नों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही उन्हें मानव जीवन-चक्र दृष्टिकोण में खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना है।
  • इस अधिनियम में ‘लक्षित सार्वजानिक वितरण प्रणाली’ (Targeted Public Distribution System-TPDS) के अंतर्गत रियायती दरों पर खाद्यान्न प्राप्ति हेतु 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को शामिल किये जाने का प्रावधान है। इस प्रकार, इस योजना अंतर्गत देश की लगभग दो-तिहाई आबादी को शामिल किया जाएगा।
  • अधिनियम के तहत पात्र व्यक्ति को चावल/गेंहूँ/मोटे अनाज को क्रमशः 3/2/1 रुपए/किग्रा. की रियायती दरों पर 5 किग्रा. खाद्यान्न प्रति व्यक्ति/माह दिया जाएगा।
  • वर्तमान में अंत्योदय अन्न योजना परिवार (जिनमे निर्धनतम व्यक्ति शामिल हैं) 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रति परिवार प्रति माह प्राप्त करते रहेंगे।
  • इस अधिनियम में महिलाओं और बच्चों के लिये पोषण सहायता पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। गर्भवती महिलाएँ और स्तनपान कराने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान तथा बच्चे के जन्म के 6 माह बाद भोजन के अतिरिक्त कम से कम 6,000 रुपए मातृत्व लाभ प्राप्त करने की हकदार हैं।
  • अधिनियम के अंतर्गत 14 वर्ष तक की आयु के बच्चे भी निर्धारित पोषण मानकों के अनुसार भोजन प्राप्त करने के हकदार हैं। हकदारी के खाद्यान्नों अथवा भोजन की आपूर्ति नहीं किये जाने की स्थिति में लाभार्थी खाद्य सुरक्षा भत्ता प्राप्त कर सकेंगे।
  • इस अधिनियम में ज़िला और राज्य स्तरों पर शिकायत निपटान तंत्र के गठन का प्रावधान करने के साथ ही पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये भी अलग से प्रावधान किये गए हैं।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की चुनौतियाँ

  • इसके तहत व्यक्ति को दिया जाने वाला खाद्यान्न पर्याप्त नहीं है, अतः इसे बढाए जाने की आवश्यकता है।
  • यह अधिनियम केवल अनाज पर ध्यान केंद्रित करता है; इसके तहत दाल, तेल, फल और सब्जी आदि प्रदान नहीं किये जाते हैं, जोकि समग्र विकास के लिये आवश्यक हैं।
  • मातृत्व लाभ प्रदान करने में काफी विलम्ब हो जाता है, जिससे लाभार्थी को समय पर खाद्यान्न की उपलब्धता नहीं हो पाती है।
  • यदि बहुत अधिक अनाज खुले बाज़ार से बाहर रखा जाता है, तो यह खाद्य मुद्रास्फीति (Food Inflation) का कारण बन सकता है, क्योंकि खुले बाज़ार में खाद्यान्नों की कमी से कीमत बढ़ती है, जिससे मध्यम वर्ग को हानि होती है।
  • इस अधिनियम में एक प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली का अभाव है, विशेषकर ग्रामीण जनता के लिये।

अन्य बाधाएँ

  • इस प्रकार के रियायती कार्यक्रमों से केंद्र सरकार पर उच्च राजकोषीय बोझ पड़ने से राजकोषीय घाटा बढ़ता है।
  • सरकार के पास अनाज के भण्डारण हेतु पर्याप्त भण्डारण क्षमताओं का अभाव है, जिसके कारण बड़ी मात्रा में अनाज बारिश, चूहों द्वारा तथा भण्डारण के अनुचित तरीकों से नष्ट हो जाता है।
  • खाद्य खरीदने की प्रक्रिया से लेकर लक्षित समूह तक प्रत्येक स्तर पर भ्रष्टाचार की समस्या है।
  • बढ़ती जनसंख्या भी सभी को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने में बड़ी बाधा है।

भविष्य की राह

  • यह एक कड़वी सच्चाई है कि भारत में एक तरफ लाखों टन अनाज गोदामों में सड़ जाता है या चूहे खा जाते हैं, तो दूसरी ओर भूख व कुपोषण से बड़ी मात्रा में लोगों की मृत्यु हो जाती है।
  • भारत में खाद्य सुरक्षा एक प्रमुख चुनौती है, यदि देश को आर्थिक विकास की राह पर आगे बढ़ना है, तो ज़मीनी स्तर पर ‘सबका साथ सबका विकास’ के माध्यम से निम्न तबके के लोगों की स्थिति में शीघ्रता से सुधार करना होगा।
  • सरकार द्वारा खाद्य वितरण प्रणाली पर ध्यान देने के साथ ही राष्ट्रीय कृषि नीति तथा उसमें उत्पादन, उपभोग एवं उद्योग इन तीनों में संतुलन स्थापित करना होगा, तभी राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य की प्राप्ति की जा सकेगी।
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