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राष्ट्रीय  अवसंरचना  पाइपलाइन  पर  कार्यबल  की  रिपोर्ट

(प्रारम्भिक परीक्षा: आर्थिक और सामाजिक विकास) (मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-3: बुनयादी ढाँचा, निवेश मॉडल)

चर्चा में क्यों?

‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ (National Infrastructure Pipeline-NIP) की रूपरेखा तैयार करने के लिये वित्त मंत्रालय ने सितम्बर 2019 में एक कार्यबल का गठन किया था। इस कार्यबल ने 29 अप्रैल, 2020 को अपनी अंतिम रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंप दी है।

रिपोर्ट  के  मुख्य  बिंदु

  • सरकार द्वार गठित इस कार्यबल ने अगले पाँच वर्षों (वर्ष 2020 से 2025) के दौरान अवसंरचना क्षेत्र की परियोजनाओं पर 111 लाख करोड़ रुपए के निवेश का अनुमान व्यक्त किया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, 111 लाख करोड़ रुपए के इस अनुमानित पूंजीगत व्यय में से 40 प्रतिशत अर्थात् 44 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाएँ पहले से ही क्रियान्वित की जा रही हैं, जबकि 30 प्रतिशत यानी 33 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाएँ संकल्पना के स्तर पर हैं, वहीं 10 प्रतिशत यानी 11 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाओं की स्थिति के सम्बंध में अभी तक सूचना उपलब्ध नहीं है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, परियोजनाओं में केंद्र (39%) और राज्यों (40%) की लगभग बराबर हिस्सेदारी रहने का अनुमान है, वहीं निजी क्षेत्र से लगभग 21 प्रतिशत तक के सहयोग का अनुमान है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, ऊर्जा (24%), शहरी नियोजन (17%), रेलवे (12%), और सड़क (18%) जैसे क्षेत्रों पर कुल अवसंरचना परियोजना निवेश के 71% की आवश्यकता होगी।
  • कार्यबल ने अपनी रिपोर्ट में अवसंरचना क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी, क्रियान्वयन और वित्तपोषण के लिये तीन समितियों के गठन का सुझाव दिया है।
  • ध्यातव्य है कि एन.आई.पी. में 100 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली सभी ग्रीनफील्ड या ब्राउनफील्ड परियोजनाओं को शामिल किया जाएगा।
  • साथ ही, अवसंरचना क्षेत्र की परियोजनाओं के लिये धन जुटाने के लिये बॉन्ड बाज़ार के विस्तार पर ज़ोर दिया गया है।
  • रिपोर्ट में नए विकास वित्त संस्थान (Development Financial Institution-DFI) की स्थापना और अवसंरचना व भूमि का मौद्रीकरण (Monetisation) करने की सलाह दी गई है, ताकि परियोजनाओं के लिये पर्याप्त वित्तपोषण की व्यवस्था की जा सके।

क्या है एन.आई.पी.?

यह भारत सरकार की एक महत्त्वकांक्षी परियोजना है। इसके अंतर्गत विद्युत, नवीकरणीय ऊर्जा, शहरी विकास, रेलवे, सिंचाई, गतिशीलता, स्वास्थ्य, शिक्षा, जल और डिजिटलीकरण से सम्बंधित विभिन्न परियोजनाएँ शामिल हैं।

परियोजना  के  उद्देश्य

  • सरकार द्वारा आधारभूत ढाँचे के विकास पर बल देकर शहरों एवं कस्बों में परिवहन के साधनों में सुगमता के साथ-साथ सभी लोगों की बुनयादी ढाँचे तक समान पहुँच सुनिश्चित करना।
  • आधुनिक अवसंरचना विकास के साथ-साथ रोज़गार के नए अवसर पैदा करना।
  • बुनयादी ढाँचे के विकास से सम्बंधित परियोजनाएँ बड़े स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करती हैं, जिनमें अधिकांश निवेश ग्रीनफील्ड क्षेत्र से सम्बंधित होते हैं।
  • देश की मज़बूत आधारभूत संरचना से आर्थिक गतिविधियों के स्तर में वृद्धि के साथ-साथ सरकार के पूंजीगत व्यय में वृद्धि करना, इससे सरकार के दीर्घकालिक आय के स्रोतों में बढ़ोत्तरी होगी।
  • अवसंरचना सेवाओं के ज़रिये लोगों की जीवन-गुणवत्ता में सुधार करना तथा वैश्विक मानकों के अनुरूप जीवन सुगमता प्रदान करना।
  • सार्वजनिक अवसंरचना क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को बेहतर करना।
  • वर्ष 2025 तक भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में सहायता प्रदान करना।

एन.आई.पी. की प्रमुख चुनौतियाँ

  • इस परियोजना के अंतर्गत, कुल पूंजीगत व्यय का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा केंद्र एवं राज्य सरकारों के आलावा उनके सार्वजानिक उपक्रमों के हिस्से में जाएगा। इस प्रकार, एन.आई.पी. में निजी क्षेत्र को कम अवसर दिया जा रहा है।
  • अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए एक चुनौती इस परियोजना के आकार को लेकर है। इतने बड़े स्तर के निवेश को कार्यान्वित करने पर सरकार की क्षमताओं पर भी एक प्रश्न चिन्ह है, क्योंकी इसके आर्थिक बोझ से सरकार की राजकोषीय स्थिति गम्भीर रूप से प्रभावित हो सकती है।

ग्रीनफील्ड  परियोजना

  • ग्रीनफील्ड परियोजनाओं का आशय उन परियोजनाओं से है जो पूर्व के किसी कार्य का अनुसरण नहीं कर रहे हैं। इनमें विद्यमान अवसंरचना को फिर से तैयार या नष्ट करने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • ये परियोजनाएँ विनिर्माण, कार्यालय या अन्य भौतिक कम्पनी से सम्बंधित संरचनाओं के समूह में निवेश को संदर्भित करती हैं, जहाँ पहले से किसी प्रकार की सुविधाएँ मौजूद नहीं हैं। जैसे, विदेश में नई उत्पादन सुविधाओं का निर्माण करना।

ब्राउनफील्ड परियोजना

  • जिन परियोजनाओं को संशोधित या अपग्रेड किया जाता है, उन्हें ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट कहा जाता है।
  • इन परियोजनाओं में एक नई उत्पादन गतिविधि शुरू करने के लिये मौजूदा उत्पादन सुविधाओं की खरीद या पट्टे के लिये इनका उपयोग किया जाता है।

क्या हो भविष्य की राह?

  • एन.आई.पी. में बड़े स्तर पर निवेश की योजनाओं के साथ ही अवसंरचनागत सुधारों पर भी बल दिया गया है। अगर ये सुधार उचित रूप से कार्यान्वित हो पाए तो यह परियोजना भारतीय अर्थव्यवस्था को महामारी के आर्थिक प्रभावों से उबारने में अहम भूमिका निभाएगी।
  • एन.आई.पी. वास्तव में एक अति महत्त्वकांक्षी परियोजना है, जिसका वार्षिक जी.डी.पी. में 7-8 प्रतिशत के योगदान का अनुमान है। लेकिन किसी भी अवसंरचना निवेश योजना की सफलता उसके पूंजीगत व्यय के आकार से नहीं, बल्कि उसके साथ किये जाने वाले सुधारों से तय होती है।
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