
- SEEA एक अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकीय ढांचा है जिसे पर्यावरण और आर्थिक आंकड़ों के एकीकरण के लिए विकसित किया गया है।
- यह यह समझने का एक संरचित तरीका प्रदान करता है कि आर्थिक गतिविधियाँ पर्यावरण को कैसे प्रभावित करती हैं और पर्यावरणीय परिवर्तन आर्थिक तंत्र को कैसे प्रभावित करते हैं।
मुख्य घटक
- SEEA-Central Framework (SEEA-CF):
- यह लकड़ी, जल, खनिज जैसे व्यक्तिगत पर्यावरणीय संसाधनों और उनके आर्थिक उपयोग पर केंद्रित होता है।
- SEEA-Ecosystem Accounting (SEEA-EA):
- यह दायरा बढ़ाकर वनों, नदियों, प्रवाल भित्तियों जैसे परिस्थितिक तंत्रों को भी शामिल करता है और यह आकलन करता है कि ये मनुष्यों व अर्थव्यवस्था को क्या सेवाएँ प्रदान करते हैं।
महत्त्व
- यह नीति-निर्माताओं को आर्थिक विकास की सततता का आकलन करने में मदद करता है।
- प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी सेवाओं का मूल्यांकन करने में सहायक।
- सतत विकास के लिए साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने को बढ़ावा देता है।
EnviStats India 2024: मुख्य विशेषताएँ
- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने EnviStats India 2024 की 7वीं संस्करण जारी की, जो SEEA ढांचे के अनुरूप है।
- यह रिपोर्ट भारत के पर्यावरणीय आँकड़ों और आर्थिक सहभागिता पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।
मुख्य निष्कर्ष
- ऊर्जा संक्रमण में नेतृत्व: भारत ने वैश्विक ऊर्जा संक्रमण प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभाई है।
- संरक्षित क्षेत्रों में वृद्धि: 2000 से 2023 के बीच संरक्षित क्षेत्रों की संख्या में लगभग 72% वृद्धि, और क्षेत्रफल में 16% वृद्धि हुई।
- मैन्ग्रोव विस्तार: 2013 से 2021 के बीच भारत में मैन्ग्रोव वनों में लगभग 8% वृद्धि हुई, जो तटीय पारिस्थितिकी संरक्षण के प्रयासों को दर्शाता है।
2024 की नई पहलें
- महासागर लेखा (Ocean Accounts): पहली बार महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र पर डाटा शामिल किया गया है।
- मृदा पोषक तत्व सूचकांक (Soil Nutrient Index): 2023-24 के अद्यतन आंकड़े, ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ पहल से प्राप्त।
- जैव विविधता आंकड़े: भारत की वनस्पति और जीव-जंतु विविधता पर विस्तृत जानकारी, जैसे: तेंदुआ, हिम तेंदुआ और आनुवंशिक संरक्षण प्रयास।
भारत की SEEA में भागीदारी
भारत ने कई वैश्विक पहलों में भागीदारी कर पर्यावरण-आर्थिक लेखांकन में अपनी प्रतिबद्धता दर्शाई है:
- NCAVES (Natural Capital Accounting and Valuation of Ecosystem Services):
- 2017 में UNSD, UNEP और CBD सचिवालय द्वारा आरंभ।
- उद्देश्य: प्राकृतिक पूंजी को राष्ट्रीय लेखांकन प्रणालियों में एकीकृत करना।
- Environmental Economic Accounts रणनीति (2022–26):
- MoSPI द्वारा जारी, यह रणनीति भारत में आगामी वर्षों में पर्यावरण-आर्थिक लेखांकन के विकास और कार्यान्वयन का रोडमैप प्रस्तुत करती है।
सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक (Gross Environment Product Index - GEPI)
- उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना जिसने GEPI लागू किया।
- यह सूचकांक मानव हस्तक्षेपों के कारण पारिस्थितिक विकास को मापता है।
GEPI के 4 स्तंभ:
- वायु गुणवत्ता
- मृदा स्वास्थ्य
- वन आच्छादन
- जल संसाधन
सूत्र: GEP Index = (Air-GEP + Water-GEP + Soil-GEP + Forest-GEP) |
GEPI का महत्त्व
- पारिस्थितिक कल्याण का समग्र मूल्यांकन प्रदान करता है।
- मानव गतिविधियों के पर्यावरण पर प्रभाव को मापता है।
- राज्य स्तर पर सतत नीतियों के निर्माण में सहायक।