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रूपए में तीव्र गिरावट का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

(सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।)

संदर्भ 

हाल ही में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85 रूपए के सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर पहुँच गया। 

रूपए के मूल्य में गिरावट के कारण 

  • प्रतिभूति बाजारों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेश का निरंतर बहिर्वाह
  • अत्यधिक स्टॉक मूल्यांकन
  • कॉर्पोरेट प्रदर्शन का हतोत्साहन
  • चीन द्वारा आर्थिक प्रोत्साहन 
  • अमेरिका में सत्ता परिवर्तन 
  • ट्रंप द्वारा संरक्षणवादी नीतियों को अपनाये जाने की संभावना 
  • निम्न घरेलू खपत एवं निवेश 

प्रभाव 

  • व्यापार एवं चालू खाते घाटे में वृद्धि 
  • आयात मुद्रास्फीति में वृद्धि 
  • अनिश्चित विदेशी निवेश प्रवाह 

रूपए के मूल्य में गिरावट को रोकने के प्रयास 

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) विदेशी मुद्रा बाजार में सक्रिय रुख अपना रहा है ताकि रूपए की मुक्त गिरावट को रोका जा सके। इसे RBI द्वारा  'व्यवस्थित' विनिमय संचालन की संज्ञा दी गई है।
  • पूर्व RBI गवर्नर, शक्तिकांत दास ने ब्रिक्स मुद्रा के विचार को ख़ारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि भारत का कोई डी-डॉलरीकरण एजेंडा नहीं है। 
    • सरकार को इस मुद्दे को शांत करने के लिए सार्वजनिक मंचों और कूटनीतिक वार्ताओं में इस आशय का एक स्पष्ट बयान भी जारी करना चाहिए क्योंकि यह भारत-अमेरिकी द्विपक्षीय व्यापार को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करा सकता है। 
  • रुपये की अस्थिरता को प्रबंधित करने के लिए RBI विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग एक निश्चित सीमा तक ही कर सकता है। 
  • वित्त मंत्रालय ने माना है कि विनिमय दर में हालिया उतार-चढ़ाव मौद्रिक नीति निर्माताओं की स्वतंत्रता को बाधित करता है।  ऐसे में  नीति निर्माताओं को इस नए जोखिम से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।
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