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भारत-बांग्लादेश ट्रांसशिपमेंट सुविधा

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, समान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह व भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ

8 अप्रैल, 2025 को भारत ने बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा को बंद करने का निर्णय लिया है।

भारत-बांग्लादेश ट्रांसशिपमेंट सुविधा के बारे में

  • वर्ष 2020 में भारत द्वारा बांग्लादेश को भारतीय बंदरगाहों एवं हवाई अड्डों से बांग्लादेश के सामान को नेपाल, भूटान व म्यांमार जैसे देशों में भेजने (निर्यात) के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा की व्यवस्था की गई थी।
    • ट्रांसशिपमेंट सुविधा एक लॉजिस्टिक प्रक्रिया है जिसमें एक देश के बंदरगाह या हवाई अड्डे से वस्तुओं को किसी अन्य देश के लिए पुनः भेजा जाता है।  
  • यह सुविधा बांग्लादेश के तैयार माल के निर्यात को आसान एवं सस्ता बनाती थी।

Transshipment-Facility

सुविधा के लाभ

  • भारत-बांग्लादेश व्यापार में सहयोग : यह सहयोग दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करता था और आपसी विश्वास को बढ़ावा देता था।
  • किफायती और समयबद्ध परिवहन : यह सुविधा बांग्लादेश के व्यापारियों को अपने माल को तीसरे देशों में भेजने के लिए एक कुशल एवं किफायती तरीका प्रदान करती थी।
  • बांग्लादेश के निर्यात में वृद्धि: इस सुविधा से बांग्लादेश के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में मदद मिली है, विशेष रूप से नेपाल, भूटान एवं म्यांमार के लिए।

भारत द्वारा सुविधा बंद करने के कारण

  • यह कदम भारत के बंदरगाहों एवं हवाई अड्डों पर बढ़ती भीड़ तथा होने वाले देरी की समस्याओं को दूर करने के लिए उठाया गया है।
  • भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह निर्णय व्यापार में रुकावट एवं उच्च लागत के कारण लिया गया है जो भारतीय निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे थे। 
  • बांग्लादेश के व्यापार को प्रभावित करने वाला यह निर्णय उस समय लिया गया जब बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के माध्यम से चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने की बात की थी।
    • चीन में मोहम्मद यूनुस ने भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को स्थलरुद्ध बताया था और इस आधार पर बांग्लादेश को इस क्षेत्र के लिए हिंद महासागर का एकमात्र संरक्षक घोषित किया था। 
  • हालांकि, इस निर्णय से पहले थाईलैंड में बिम्सटेक 2025 की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की मोहम्मद युनुस के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी हुई थी।

इस कदम के प्रभाव

  • व्यापारिक तनाव : इस निर्णय से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव उत्पन्न हो सकता है। इससे द्विपक्षीय व्यापार एवं सहयोग में कमी आ सकती है।
  • बांग्लादेश को आर्थिक क्षति : बांग्लादेश को नुकसान की संभावना है क्योंकि इस निर्णय से उसके निर्यात में देरी एवं लागत में वृद्धि हो सकती है।
  • नकारात्मक सार्वजनिक धारणा : बांग्लादेश में इस निर्णय को नकारात्मक रूप में देखा जा सकता है, विशेष रूप से उन व्यापारियों एवं निर्यातकों के बीच जो इस सुविधा पर निर्भर थे।
  • भारत की छवि पर असर : यह कदम, विशेषकर बांग्लादेश में भारत की छवि को भी प्रभावित कर सकता है जहाँ इसे एक व्यापारिक सहयोग के रूप में देखा जाता था।
  • बांग्लादेश की चीन से निकटता : इस कदम से बांग्लादेश का चीन के साथ व्यापारिक संबंधों में वृद्धि करना भारत के लिए एक चुनौती हो सकती है और चीन के साथ व्यापार संबंधों का विस्तार भारत की रणनीतिक चिंताओं को बढ़ा सकता है।

आगे की राह

  • द्विपक्षीय संवाद : भारत को बांग्लादेश के साथ इस फैसले को लेकर खुली बातचीत करनी चाहिए, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत रहें और यह निर्णय दीर्घकालिक रूप से व्यावहारिक दृष्टिकोण से समझ में आए।
  • नई लॉजिस्टिक रणनीतियाँ : भारत को अपने बंदरगाहों एवं हवाई अड्डों की क्षमता बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे निर्णयों से बचा जा सके और व्यापार की बाधाएँ कम हो सकें।
  • चीन के साथ बांग्लादेश के संबंधों पर नजर : भारत को बांग्लादेश के चीन के साथ बढ़ते संबंधों पर सावधानी से नजर रखनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह रणनीतिक क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा न बने।

निष्कर्ष

भारत द्वारा बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा को बंद करने का निर्णय व्यापारिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, विशेष रूप से बांग्लादेश के निर्यातकों एवं व्यापारियों पर। हालाँकि, यह कदम भारत के लॉजिस्टिक अवसंरचना में सुधार के उद्देश्य से लिया गया है। भविष्य में भारत एवं बांग्लादेश के बीच तनाव को कम करने के लिए संवाद व सहयोग की आवश्यकता है। बांग्लादेश के चीन के साथ बढ़ते संबंधों को लेकर भारत को सतर्क रहना होगा और द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए रणनीतिक कदम उठाने होंगे।

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