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राज्य विश्वविद्यालयों पर नीति आयोग की रिपोर्ट

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

नीति आयोग ने भारत के राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के मानकों पर अंतर्दृष्टि प्रदान करने वाली एक नीतिगत रिपोर्ट जारी की है।

राज्य विश्वविद्यालय संबंधी रिपोर्ट के बारे में 

  • परिचय : उच्च शिक्षा क्षेत्र में यह अपनी तरह का पहला नीतिगत दस्तावेज है जो विशेषरूप से राज्यों एवं राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों (SPU) पर केंद्रित है। 
    • यह रिपोर्ट विगत एक दशक में राज्य के सार्वजनिक विश्वविद्यालयों (SPUS) में गुणवत्ता, वित्त पोषण, प्रशासन एवं रोजगार की प्रवृत्ति जैसे प्रमुख संकेतकों का व्यापक विश्लेषण करती है।
  • रिपोर्ट का शीर्षक : राज्यों व राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का विस्तार करना (Expanding Quality Higher Education through States and State Public Universities)
  • महत्व : इसको राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (NEP) के अनुरूप राज्य विश्वविद्यालयों को मजबूत करने और वर्ष 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण के एक हिस्से के रूप में तैयार किया गया है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 

  • एस.पी.यू. की हिस्सेदारी : उच्च शिक्षा में कुल छात्र नामांकन में राज्य के सार्वजनिक विश्वविद्यालयों (SPU) की हिस्सेदारी लगभग 81% है।
  • कुल एस.पी.यू. : जनवरी 2025 तक भारत में 495 एस.पी.यू. हैं जिनमें पहले स्थान पर कर्नाटक में सर्वाधिक 43 एवं उसके बाद पश्चिम बंगाल व उत्तर प्रदेश का स्थान है।
  • सकल नामांकन दर : एस.पी.यू. में छात्र नामांकन दर में वर्ष 2011 से 2021 की अवधि में 38% की वृद्धि हुई है ।
    • सकल नामांकन अनुपात (GER) में वृद्धि के मामले में शीर्ष 10 राज्य : केरल, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, गोवा, उत्तराखंड, सिक्किम एवं राजस्थान
  • छात्र-शिक्षक अनुपात : छात्र-शिक्षक अनुपात (PTR) में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले शीर्ष पाँच राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब एवं तमिलनाडु शामिल हैं।
  • लिंग समानता सूचकांक : लिंग समानता सूचकांक (GPI) में शीर्ष 10 राज्यों में नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा, राजस्थान, त्रिपुरा एवं तमिलनाडु शामिल है।
  • प्रमुख चुनौतियाँ : रिपोर्ट में तीन प्रमुख चुनौतियों की पहचान की गई है : 
    • वित्त पोषण संबंधी बाधाएँ 
    • राज्य सरकारों के साथ शासन संबंधी मुद्दे 
    • संकाय एवं प्रशासकों के लिए क्षमता निर्माण की आवश्यकता 

रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें 

रिपोर्ट में चार श्रेणियों- शिक्षा की गुणवत्ता, प्रशासन, वित्त पोषण एवं रोजगार योग्यता में विभिन्न लघु, मध्यम व दीर्घकालिक सिफारिशें की गई हैं।

1.शिक्षा की गुणवत्ता 

शिक्षा की गुणवत्ता को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया है : अनुसंधान, शिक्षण, डिजिटलीकरण एवं अंतर्राष्ट्रीयकरण। इस संदर्भ में निम्नलिखित सिफारिशें की गई हैं-

अनुसंधान गुणवत्ता 

  • राष्ट्रीय शोध नीति (National Research Policy) की आवश्यकता 
  • सहयोगात्मक एवं अंतःविषयक शोध को बढ़ावा देना
  • शोध के व्यावसायीकरण और स्टार्ट-अप को समर्थन देना
  • स्थानीय चुनौतियों से निपटने के लिए उत्कृष्टता केंद्र क निर्माण करना 
  • अग्रणी एस.पी.यू. को शोध ज्ञान भागीदार के रूप में नामित करना
  • राज्य विश्वविद्यालयों के संघ और नेटवर्किंग को बढ़ावा देना

शिक्षणशास्त्र एवं पाठ्यक्रम की गुणवत्ता में सुधार

  • सेमेस्टर के आधार पर शिक्षण गुणवत्ता का मापन 
  • पाठ्यक्रम की प्रासंगिकता सुनिश्चित करना 
  • बहुविषयक शिक्षा और शैक्षणिक लचीलेपन को बढ़ावा देना 

उच्च शिक्षा का डिजिटलीकरण

  • अत्याधुनिक डिजिटल अवसंरचना और शिक्षण प्लेटफॉर्म बनाना 
    • डिजिटल लर्निंग के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देना 
    • विद्यार्थी जीवन चक्र प्रबंधन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म अपनाना 

उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण

  • विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग एवं विदेश से प्रतिभाओं को आकर्षित करना
  • संकाय के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्षमता निर्माण को सक्षम बनाना एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के लिए प्रायोजन प्रदान करना
  • अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए पाठ्यक्रम को फिर से तैयार करना
  • दोहरी डिग्री कार्यक्रमों को बढ़ावा देना
  • भाषा कौशल को बढ़ावा देने के लिए सहयो

2. वित्त पोषण संबंधी  

  • उच्च शिक्षा वित्त एजेंसी (HEFA) की तर्ज पर राज्य विश्वविद्यालयों के लिए एक राज्य स्तरीय अवसंरचना वित्त एजेंसी स्थापित करने की भी सिफारिश की गई है। 
  • इसके अलावा राज्य विश्वविद्यालय वित्तीय सहायता के लिए मजबूत, पूर्व छात्र और कॉर्पोरेट सहभागिता कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव भी दिया गया है। 

3. प्रशासन 

बेहतर प्रशासन के लिए रिपोर्ट में निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं- 

  • विश्वविद्यालयों की प्रशासनिक स्वायत्तता को बढ़ाना
  •  अनुमोदन प्रक्रिया में सुधारों का समर्थन करना
  • पाठ्यक्रम स्वायत्तता प्रदान करना
  • मान्यता प्रक्रिया में सुधार करना
  • उच्च शिक्षा के लिए राज्य परिषदों (SCHE) को सशक्त बनाना
  • राज्य तकनीकी और उच्च शिक्षा विभागों के बीच संचार एवं सहयोग को सुगम बनाना
  • राज्य स्तरीय उच्च शिक्षा विजन तैयार करना
  • SPU प्रशासन में विविध हितधारकों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना

4. रोजगार संबंधी सिफारिशें 

  • इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप के माध्यम से रोजगार पर ध्यान केंद्रित करना  
  • भाषा प्रशिक्षण को बढ़ावा देना 
  • उद्यमिता एवं नवाचार का समर्थन करने के लिए योजनाओं को लागू करना 
  • विश्वविद्यालयों में आजीवन शिक्षण केन्द्र बनाना 
  • शारीरिक शिक्षा और छात्र कल्याण को एकीकृत करना
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