(प्रारंभिक परीक्षा : महत्वपूर्ण योजनाएं एवं कार्यक्रम) |
चर्चा में क्यों
9 जून, 2025 को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के क्रियान्वयन को नौ वर्ष पूर्ण हुए।

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) के बारे में
- परिचय : यह केंद्र सरकार द्वारा मातृ स्वास्थ्य सुनिश्चित करने एवं संस्थागत प्रसव में वृद्धि के लिए प्रारंभ की गई एक प्रमुख पहल है।
- आरंभ : 9 जून 2016
- नोडल मंत्रालय : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
- लक्ष्य : हर महीने की 9 तारीख को आयोजित इस अभियान का लक्ष्य उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं (HRP) की शीघ्र पहचान और प्रबंधन के माध्यम से मातृ और नवजात मृत्यु दर को कम करना है।
- अब तक 6.19 करोड़ गर्भवती महिलाओं की जांच की जा चुकी है।

प्रमुख उद्देश्य
- यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक गर्भवती महिला की दूसरी या तीसरी तिमाही के दौरान चिकित्सक/विशेषज्ञ द्वारा कम से कम एक बार जांच हो।
- प्रसवपूर्व जांच के दौरान देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करना।
- शुरूआती दौर में ही उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था (एच.आर.पी.) की पहचान करना और उसका प्रबंधन करना।
- हर गर्भवती महिला के लिए उचित जन्म योजना और किसी भी जटिल स्थिति के लिए तैयारी सुनिश्चित करना।
- कुपोषण से ग्रस्त महिलाओं का उचित प्रबंधन सुनिश्चित करना।
- किशोरावस्था और प्रारंभिक गर्भावस्था पर विशेष ध्यान देना।
अभियान की मुख्य विशेषताएं
- सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर हर महीने की 9 तारीख को मासिक प्रसवपूर्व जांच।
- प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञों, रेडियोलॉजिस्ट, चिकित्सकों द्वारा निजी क्षेत्र के सहयोग से प्रदान की जाने वाली सेवाएं।
- हर महिला के लिए न्यूनतम पैकेज: आवश्यक जांच (दूसरी तिमाही के अल्ट्रासाउंड सहित) और दवाइयां (IFA, कैल्शियम)।
- सभी एएनसी सेवाओं और जांचों के लिए एकल खिड़की प्रणाली।
- प्रमुख फोकस क्षेत्र
- अपंजीकृत या छूटी हुई प्रसवपूर्व देखभाल सेवाएँ (ए.एन.सी.) महिलाएं
- ड्रॉपआउट्स
- उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाएं
- मातृ और शिशु सुरक्षा कार्ड और सुरक्षित मातृत्व पुस्तिकाओं का वितरण।
- उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की पहचान
- हरा स्टिकर: कोई जोखिम नहीं
- लाल स्टिकर: उच्च जोखिम
प्रमुख उपलब्धियां
- निजी क्षेत्र की सहभागिता : अभियान में 6,813 पंजीकृत स्वयंसेवक और 20,752 स्वास्थ्य सुविधाएं शामिल हैं, जो निजी चिकित्सकों की स्वैच्छिक भागीदारी को प्रोत्साहित करती हैं।

- मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) में कमी : भारत का एम.एम.आर. वर्ष 2014-16 में प्रति लाख जीवित जन्मों पर 130 से घटकर 2021-23 में 80 हो गया, जो 50 अंकों की उल्लेखनीय कमी दर्शाता है।
- विस्तारित पी.एम.एस.एम.ए. (ई-पी.एम.एस.एम.ए.) : जनवरी 2022 में शुरू, यह रणनीति उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की नाम-आधारित ट्रैकिंग, अतिरिक्त विजिट (महीने में अधिकतम 4), और प्रसव के 45वें दिन तक निगरानी सुनिश्चित करती है। अब तक 78.27 लाख से अधिक एच.आर.पी. की पहचान की गई है।
- 31 दिसंबर 2024 तक, सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 78.27 लाख से अधिक उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की पहचान की गई है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों के साथ एकीकरण
पी.एम.एस.एम.ए. सरकार के अन्य मौजूदा कार्यक्रमों के लिए भी पूरक की तरह काम करता है जिनमें निम्नलिखित योजनाएं शामिल हैं :-
- जननी सुरक्षा योजना (JSY) : सशर्त नकद हस्तांतरण के ज़रिए संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई। इस योजना से मार्च 2025 तक 11.07 करोड़ से अधिक महिलाओं को लाभ हुआ है।
- जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK) : निशुल्क संस्थागत प्रसव और नवजात शिशु देखभाल को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया। वर्ष 2014-15 से अब तक 16.60 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को सेवा दी गई है।
- सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) : गर्भवती महिलाओं के लिए सम्मानजनक और गुणवत्तापूर्ण देखभाल को मजबूत करने के लिए शुरू किया गया। मार्च 2025 तक देश भर में 90,015 सुमन स्वास्थ्य सुविधाओं को अधिसूचित किया गया है।
- पोषण अभियान: पोषण सेवाओं में सुधार करके सबसे कमजोर वर्गों बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को लक्षित करने के लिए शुरू किया गया था। वर्तमान में, देश भर में 6.97 करोड़ पोषण पखवाड़ा मनाए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
पी.एम.एस.एम.ए. मातृ स्वास्थ्य के लिए एक लक्षित और संरचित दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। हर महीने एक तय दिन पर गुणवत्तापूर्ण ए.एन.सी. की सुविधा देकर, एच.आर.पी. की पहचान करके और ई-पी.एम.एस.एम.ए. के ज़रिए डिजिटल व्यवस्था तंत्र को मजबूत करते हुए, यह योजना पूरे भारत में मातृ मृत्यु दर को कम करने और सुरक्षित गर्भधारण को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाती है।