New
The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. UPSC PT 2025 (Paper 1 & 2) - Download Paper & Discussion Video

सक्रिय औषधीय अवयव (ए.पी.आई.): सम्बंधित मुद्दे

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास)

पृष्ठभूमि

केंद्र सरकार ने पैरासिटामॉल के सक्रिय औषधीय अवयव (Active Pharmaceutical Ingredients- ए.पी.आई.) को निर्यात की प्रतिबंधित सूची से बाहर कर दिया है। इसके साथ ही देश इसका निर्यात करने के लिये पुनः तैयार हो गया है। देश में निर्मित पैरासिटामॉल ए.पी.आई. का लगभग 40 % घरेलू बाजार में खपत हो जाता है, जबकि इसके शेष हिस्से का निर्यात कर दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के चलते मार्च माह में ही भारत सरकार ने निर्यात नियमों में परिवर्तन करते हुए कुछ विशेष ए.पी.आई. सहित कुछ अन्य औषधियों (या फार्मूलेशन) पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिया था।

ए.पी.आई. क्या है?

  • प्रत्येक दवा दो मुख्य अवयवों से बनी होती है। इसमें से एक अवयव है रासायनिक रूप से सक्रिय ए.पी.आई.। यह एक ऐसा अवयव (पदार्थ) है, जो किसी बीमारी के उपचार हेतु जिम्मेदार होता है। ए.पी.आई. को मुख्य या केंद्रीय घटक के रूप में माना जा सकता है।
  • दूसरा अवयव है रासायनिक रूप से निष्क्रिय (Excipients) घटक। यह एक ऐसा पदार्थ है जो ए.पी.आई. के प्रभाव को शरीर के किसी हिस्से या किसी प्रणाली में पहुँचाता है। इन दोनों अवयव को मिला कर ही किसी औषधि का फ़ॉर्मूला तैयार किया जाता है।
  • ए.पी.आई. एक रासायनिक यौगिक है जो किसी दवा को अंतिम रूप से उत्पादित करने हेतु सबसे महत्त्वपूर्ण कच्चा माल है।
  • चिकित्सा में, ए.पी.आई. ही किसी बीमारी को ठीक करने के लिये अभिप्रेत प्रभाव पैदा करता है। उदाहरण के तौर पर पैरासिटामॉल, क्रोसिन के लिये एक ए.पी.आई. है और यह पैरासिटामॉल ए.पी.आई. ही शरीर में दर्द और बुखार से राहत देता है, जबकि एम.जी. (mg) किसी दवा में उपस्थित सक्रिय औषधीय अवयव (ए.पी.आई.) की मात्रा प्रदर्शित करती है। उदहारण के तौर पर क्रोसिन 450 एम.जी. का अर्थ है कि इस टेबलेट में 450 एम.जी. सक्रिय औषधीय अवयव है।
  • फिक्स्ड-डोज़ कॉम्बिनेशन ड्रग्स (औषधि) विभिन्न ए.पी.आई. का उपयोग करते हैं, जबकि क्रोसिन जैसी सिंगल-डोज़ ड्रग्स सिर्फ एक ए.पी.आई. का उपयोग करती हैं।

ए.पी.आई. निर्माण की विधि

  • ए.पी.आई. को किसी कच्चे माल से केवल एक अभिक्रिया द्वारा ही नहीं बनाया जाता है, बल्कि कई रासायनिक यौगिकों के माध्यम से ए.पी.आई. बनता है। ऐसे रासायनिक यौगिक जो कच्चे माल से ए.पी.आई. बनने की प्रक्रिया में होते हैं, इंटरमीडिएट (Intermediate) कहलाते है।
  • कुछ ए.पी.आई. ऐसे होते हैं जो किसी कच्चे माल से ए.पी.आई. में परिवर्तित होने की प्रक्रिया में दस से अधिक प्रकार के इंटरमीडिएट से गुजरते हैं। निर्माण की यह लम्बी प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि यह शुद्ध न हो जाए और शुद्धता के बहुत उच्च स्तर तक न पहुंच जाए।

भारत की चिंता और कोविड-19 प्रेरित महामारी का प्रभाव

  • कई देशों में उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता होने के बावजूद, भारतीय दवा उद्योग ए.पी.आई. के लिये चीन पर अत्यधिक निर्भर है।
  • 2018-19 के वित्तीय वर्ष में, सरकार ने लोकसभा को सूचित किया था कि देश के दवा निर्माताओं ने चीन से 2.4 अरब डॉलर मूल्य की भारी मात्रा में ‘दवा और इंटरमीडिएट’ आयात किये थे।
  • बार-बार लॉकडाउन होने के कारण एच.आई.वी., कैंसर, मिर्गी (Epilepsy- अपस्मार), मलेरिया के इलाज के लिये दवाओं व सामान्य रूप से प्रयोग होने वाली एंटीबायोटिक दवाओं तथा विटामिन की गोलियों का उत्पादन करने के लिये चीन से कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित हुई है।

ए.पी.आई. के लिये भारत की चीन पर निर्भरता का बढ़ना

  • 90 के दशक की शुरुआत में, भारत ए.पी.आई. के विनिर्माण में आत्मनिर्भर था। हालाँकि, ए.पी.आई. के एक बड़े व कम लागत के निर्माता के रूप में चीन के उदय ने भारतीय बाजार पर सस्ते उत्पादों के साथ कब्जा कर लिया।
  • चीन ने एक काफ़ी कम लागत वाले ए.पी.आई. विनिर्माण उद्योग का आधार बनाया। इस उद्योग को कम लागत वाली पूँजी द्वारा समर्थन प्रदान करने के साथ-साथ आक्रामक रूप से सरकारी फंडिंग मॉडलों का प्रयोग व कर प्रोत्साहन जैसे उपायों को भी अपनाया गया।
  • चीन द्वारा इन उद्यागों की संचालन लागत भारत की तुलना में लगभग एक-चौथाई है। यहाँ तक ​​कि चीन में पूँजी एकत्र करने की लागत (Cost of finance) भारत के 13-14 % के मुकाबले 6-7 % है।
  • इन सब कारणों से लाभ में कम मार्जिन होने तथा उद्योग के गैर-आकर्षक व गैर-लाभप्रद होने के कारण ही भारतीय फार्मा कम्पनियों ने वर्षों पूर्व ही ए.पी.आई. का निर्माण बंद कर दिया था।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR